Saturday, September 7

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भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे गणेशशंकर विद्यार्थी:प्रो.संजय द्विवेदी
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भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे गणेशशंकर विद्यार्थी:प्रो.संजय द्विवेदी

-हिंदुस्तानी अकादमी में संगोष्ठी का आयोजन प्रयागराज, 25 जून। "हिंदी पत्रकारिता में गणेशशंकर विद्यार्थी भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता की तरह सामने आते हैं। उनकी पत्रकारिता का सूत्र है राष्ट्र प्रथम। इन्हीं मूल्यों के लिए उन्होंने अपना जीवन भी बलिदान कर दिया।" ये विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने हिंदुस्तानी अकादमी द्वारा आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष की आसंदी से व्यक्त किए। कार्यक्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डा.धनंजय चोपड़ा, वरिष्ठ पत्रकार शिवा अवस्थी, शिवशरण सिंह गहरवार, आचार्य श्रीकांत शास्त्री भी प्रमुख वक्ताओं में रहे। संचालन आलोक मालवीय ने किया। 'राष्ट्रीय एकता के निर्माण में गणेशशंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो.द्विवेदी ने कहा कि विद्यार्थी जी ने न सिर्फ प्रयागराज में जन्म लिया बल्कि यहीं से उन्हो...
पं.दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष, भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता -प्रो.संजय द्विवेदी
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पं.दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष, भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता -प्रो.संजय द्विवेदी

(प्रो.संजय द्विवेदी) वे सही मायनों में भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता थे। भारतीय राजनीति में उनके आगमन ने एक नया विमर्श खड़ा कर दिया और वैकल्पिक राजनीति को मजबूत आधार प्रदान किया। आज भरोसा करना कठिन है कि श्री दीनदयाल उपाध्याय जैसे साधारण कद-काठी और सामान्य से दिखने वाले मनुष्य ने भारतीय राजनीति और समाज को एक ऐसा वैकल्पिक विचार और दर्शन प्रदान किया कि जिससे प्रेरणा लेकर हजारों युवाओं की एक ऐसी मालिका तैयार हुयी, जिसने इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में भारतीय राजसत्ता में अपनी गहरी पैठ बना ली। क्या विचार सच में इतने ताकतवर होते हैं या यह सिर्फ समय का खेल है? किसी भी देश की राजनीतिक निष्ठाएं एकाएक नहीं बदलतीं। उसे बदलने में सालों लगते हैं। डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी से लेकर श्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची यह राजनीतिक विचार यात्रा साधारण नहीं है। इसमें इस विचार को समर्पित लाखों-लाखों अनाम सहयोगियों को भु...