Saturday, September 21

Tag: Book discussion…Assessment of journalism of three great poets

पुस्तक चर्चा…  तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन 0 कृपाशंकर चौबे
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पुस्तक चर्चा… तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन 0 कृपाशंकर चौबे

  हिंदी के तमाम मूर्धन्य संपादक पत्रकारिता के किसी संस्थान या विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित नहीं थे। किंतु वे अपने आप में प्रशिक्षण संस्थान थे। वे पूरे के पूरे पाठ्यक्रम थे और वे ही प्रयोगशाला थे। उनके भीतर अपने समाज को देखने और समझने की अचूक दृष्टि थी। इसलिए पत्रकारिता के पश्चिमी सिद्धांतों को रटने से कहीं ज्यादा आवश्यक भारतीय समाज के भीतर पत्रकारिता के स्वाभाविक विकास को समझना है। उसे समझने के लिए संपादकों की कहानी को जानना जरूरी है। उसमें सिद्धांत भी है, तकनीक भी है, उद्देश्य भी है और भविष्य के लिए प्रेरणाएं भी हैं। यह तभी संभव है जब स्वयं कोई मूर्धन्य संपादक यानी भीतर का अनुभवी व्यक्ति अपनी ज्येष्ठ पीढ़ी के मूर्धन्य संपादकों की कहानी बताए। यह मूल्यवान कार्य हिंदी के मूर्धन्य संपादक अच्युतानंद मिश्र ने अपनी सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘तीन श्रेष्ठ कवियों का हिंदी पत्रकारिता में अवदान’ म...