Saturday, September 7

Tag: If our students are failing in the test of life then how can the teachers pass? -Pro.(Dr.) Sanjay Dwivedi

5 सितम्बर शिक्षक दिवस पर विशेष )जीवन की परीक्षा में अगर हमारे छात्र फेल हो रहे हैं तो शिक्षक पास कैसे हो सकते हैं ? -प्रो.(डा.) संजय द्विवेदी
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5 सितम्बर शिक्षक दिवस पर विशेष )जीवन की परीक्षा में अगर हमारे छात्र फेल हो रहे हैं तो शिक्षक पास कैसे हो सकते हैं ? -प्रो.(डा.) संजय द्विवेदी

कसौटी पर है अध्यापकों का विवेक और रचनाशीलता जब हर रिश्ते को बाजार की नजर लग गयी है, तब गुरू-शिष्य के रिश्तों पर इसका असर न हो ऐसा कैसे हो सकता है ? नए जमाने के, नए मूल्यों ने हर रिश्ते पर बनावट, नकलीपन और स्वार्थों की एक ऐसी चादर डाल दी है, जिसमें असली सूरत नजर ही नहीं आती। अब शिक्षा बाजार का हिस्सा है, जबकि भारतीय परंपरा में वह गुरू के अधीन थी, समाज के अधीन थी। बाजार में उतरे शातिर खिलाड़ीः पूंजी के शातिर खिलाड़ियों ने जब से शिक्षा के बाजार में अपनी बोलियां लगानी शुरू की हैं, तबसे हालात बदलने शुरू हो गए थे। शिक्षा के हर स्तर के बाजार भारत में सजने लगे थे। इसमें कम से कम चार तरह का भारत तैयार हो रहा था। आम छात्र के लिए बेहद साधारण सरकारी स्कूल थे, जिनमें पढ़कर वह चौथे दर्जे के काम की योग्यताएं गढ़ सकता था। फिर उससे ऊपर के कुछ निजी स्कूल थे, जिनमें वह बाबू बनने की क्षमताएं पा सकता था...