Saturday, September 7

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… कांग्रेसियों के हांेगे ऐश, चुनाव जितवाएंगे भूपेश जीत की भाजपा की,ज़रा कम है आशा, भाजपा के सैनिकों में भरी है निराशा

14 को दूसरी सूची भाजपा की घोषित होने की संभावना है। पहली सूची में ऐसी सीटों पर जोर दिया गया था जिन पर भाजपा दो बार नहीं जीत पाई थी।

तर्क ये है कि इन सीटों पर अधिक समय और ताकत झोंकने से सफलता की संभावना बढ़ जाएगी। बात में दम है। ऐसे बहुत से प्रयास करने होंगे तभी राष्ट्रभक्त भाजपा को राज्य में फिर से पांव जमाने का मौका मिलेगा।

वैसे जो लक्षण अभी भाजपा नेताओं के दिख रहे हैं और जो क्षोभ भाजपा के असली और पुराने कार्यकर्ताओं में दिख रहा है उससे लगता नहीं कि भाजपा कुर्सी से इतनी लंबी दूरी आसानी से तय कर पाएगी।
ईमानदार] और जो चाटुकार नहीं हैं ऐसे कार्यकर्ताओं को उपेक्षा और दलालनुमा चाहे पुराने हों या नये लोगों को प्राथमिकता के चलते कुर्सी दूर दिख रही है। उपर से भूपेश बघेल ने जिस चतुराई से भाजपा के मुद्दे हथिया लिये हैं और जिस होशियारी से अपने काम का प्रचार किया है उससे वे ‘हाथ’ को कुर्सी जरूर दिला देंगे।
शायद एक बार फिर कुर्सी पर कमल नहीं बल्कि हाथ दिखेगा।
कार्यकर्ताओं की अरूचि और ठण्डा रूख इस एक घटना से स्पष्ट हो जाता है। दरअसल भारतीय जनता युवा मोेर्चा की कार्यसमिति की बैठक थी जिसमें दो अति आवश्यक बातों को इग्नोर किया गया।
पहला तो किसी भी कार्यक्रम में सर्वप्रथम ईष्ट देव की या भारत माता की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलन कर सफलता की कामना की जाती है। अग्निदेव से प्रार्थना की जाती है। जो आश्चर्य जनक रूप से इस कार्यक्रम में नहीं किया गया।

अतिथि सत्कार तक नहीं

निश्चित रूप् से हर कार्यक्रम की शुरूआत में अतिथियों का सत्कार किया जाता है। अतिथि का माल्यार्पण से स्वागत किया जाता है लेकिन खबर है कि बरसों की इस साधारण सी पर महत्वपूर्ण परम्परा का निर्वाह भी नहीं किया गया।
युवा मोर्चा की वरिष्ठ नेत्री जो मुख्य वक्ता थीं का स्वागत तक नहीं किया गया। अनमनी सी मुख्य अतिथि ने 5 मिनट में ही अपना भाषण समाप्त कर बाहर की राह पकड़ी। बाद में स्थानीय वरिष्ठ नेता ने इस अव्यवस्था के लिये सबको खरी खोटी सुनाई।

लेकिन ये साफ जाहिर हो गया कि कार्यकर्ता निस्तेज हैं, उदास हैं, नाराज़ हैं, ऐसे में भला भूपेश बघेल द्वारा भाजपा और सत्ता के बीच खोदी गयी खाई को छत्तीसगढ़ भाजपा कैसे पाटेगी, ये देखना दिलचस्प होगा।


केंद्र में दम है
जो न करे वो कम है

भारत को अब भारत ही कहलाना चाहिये, इण्डिया नहीं। जब भी कोई बड़ी बात केंद्र सरकार कहती है तो विपक्ष आस्तीनें चढ़ा लेता है। जैसे 370 हटाने पर कहा जाता था कि खून की नदियां बह जाएंगी, देश में आग लग जाएगी, मोदी को इस काम के लिये दस जनम लेने हांेगे।

लेकिन हुआ क्या ? बहुत आराम से खारामा-खरामा, टहलते-टहलते सरकार ने सारे विरोधियों को, विध्वंसक तत्वों को अंदर कर दिया और 370 हटा दी।

लोगबाग कुढ़ते और कोसते रह गये। कहीं कुछ नहीं हुआ। तो ऐसे ही बड़े और कड़े फैसले लेने को तैयार रहती है मोदी सरकार। इस बार जो विशेष सत्र संसद का बुलाया गया है इसमें भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है।

‘एक देश एक चुनाव’ के साथ और भी कई मुद्दे हैं जिससे विपक्ष की सांस अटक गयी है। एक मुद्दा तो देश के नाम का है। कुछ लोग चाहते हैं कि देश का नाम भारत ही रखा जाए बल्कि हिंदुस्तान रखा जाए। पर इण्डिया  हटाया जाए।


प्रेसीडेन्ट आॅफ इण्डिया नहीं
भारत के राष्ट्रपति

सरकार ने जी 20 के सम्मेलन के लिये राष्ट्रपति महोदय द्वारा भेजे गये निमंत्रण में ‘भारत के राष्ट्रपति’ लिखा गया है न कि प्रेसीडेन्ट आॅफ इण्डिया। देश में ऐसा पहली बार हुआ है। इस बात से विपक्ष कुढ़ रहा है काॅंग्रेस ने तो आपत्ति भी की है।

जबकि देश में अधिकांश वर्ग चाहता है कि देश का नाम भारत ही किया जाए। जापान अंग्रेजी में भी जापान है। पाकिस्तान अंग्रेजी में भी  पाकिस्तान है। इस तरह अंग्रेजी में कोई नाम बदल नहीं जाता।
तो फिर भारत को अंग्रेजी में भी भारत ही कहा जाना चाहिये।
दुनिया भर में केवल भारत ही ऐसा देश है जिसके दो नाम हैं।

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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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