Saturday, September 7

जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की अत्यंत अनिवार्यता संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज_

रायपुर। साहू सदन गुरुर में सैकड़ों श्रद्धालुओं को मिला ध्यान साधना और दिव्य वाणी का लाभ*

*संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज_ जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की अत्यंत अनिवार्यता*

 

*कश्मीर से कन्याकुमारी राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा गतिमान है*

*संकल्प यात्रा आज गुरुर पहुँची*

*जीवन मे आध्यात्मिक ज्ञान की अत्यंत अनिवार्यता है*,जिसके आलोक में एक साधक का जीवन सर्वोन्मुखी विकास होता है। भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है जिसने विरासत के रूप में आध्यात्मिकता को मानव कल्याण के लिए सहज रूप में प्रदान किया है। जो धर्म से लेकर मोक्ष की यात्रा कराती है। जो विश्व की आदि संस्कृति, विश्ववारा संस्कृति है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की चतुःसूत्री ही भारतीय संस्कृति का आधार है।

उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम में साहू सदन गुरुर में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये।

महाराज जी ने कहा कि *भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है*। आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व मे अशांति है।

उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है। *आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा।* कहा कि विश्वगुरु भारत की आध्यात्मिक संस्कृति पूरे विश्व को प्रेम, शांति एवं आनन्द का संदेश देती रही है। हमारी आंतरिक शांति द्वारा ही विश्व-शांति संभव है।

दिव्यवाणी के दौरान श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि विहंगम योग के प्रणेता अमर हिमालय योग अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने अपनी गहन साधना द्वारा ईश्वर से योग की प्राप्ति की एवं इस अतिदुर्लभ विज्ञान को स्वर्वेद नामक अद्वितीय आध्यात्मिक सद्ग्रंथ द्वारा जनमानस को सुलभ कर दिया। स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि *यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है।*

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।

दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर जी के हाथों विहंगम योग का प्रधान सद्ग्रन्थ स्वर्वेद भेंट किया गया।

आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 17 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कश्मीर की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , उड़ीसा के भिन्न भिन्न शहरों के पश्चात छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, अम्बिकापुर, बिलासपुर, राजिम, सरायपाली होते हुए आज बालोद के गुरुर में पहुँच चुकी है।

17 एवं 18दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान – साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।

इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा (Statue of Spirituality) का भी शिलान्यास होगा।

इस अवसर पर बबन सिंह ( निदेशक), कोटेश्वर चापड़ी उपाध्यक्ष, सुश्री श्याम कुमारी उसेंडी , दिनेश सिंह, आर एन साहू, पुरुषोत्तम सपहा, सत्येंद्र स्वर्वेदी आदि लोग उपस्थित रहे।

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