Saturday, September 7

हौले-हौले फाॅलो करने वाले मनमोहन बोले

0 वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव 

बड़ा अच्छा लगा, एक पुराने अच्छे नेता ने जिसने ‘अर्थ’ के विषय में महारत हासिल की है। जिनके संस्कार बड़े सीधे, सहज, सच्चे हैं जो अपने इन्हीं गुणों के चलते देश पर थोप दिये गये और इनकी वफादारी और आज्ञाकारी होन के गुण के कारण बड़े ही अपमानजनक ढंग से ही सही दस साल प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाए जाते रहे।

किसी के इशारों की भाषा समझते थे, इशारों पर चलते रहे।

एक बार एक ने किस्सा सुनाया कि मनमोहन सिंग जी से मैने पूछा ‘प्रधानमंत्री जी दो और दो कितना होता है’… वो बोले ‘वैसे होता तो दो है पर एक बार मैडम से कन्फर्म कर लेने में क्या हर्ज है’… । वैसे बड़े ही सज्जन हैं, बेहद संयमी। इस अपमानजनक व्यवहार का कभी भी बुरा नहीं माना उन्होंने।
मैडम के पीछे-पीछे चलते रहे हमेशा।
जिसका खाएंगे उसका गाएंगे। इस कहावत पर मनमोहन समर्थकों को कोई आपत्ति तो नहीं है न।
हालांकि उनमें एक कमी दिखी। कांगं्रेस में परम्परा है कि कोई कित्ती भी उम्र का हो, अपने से बड़े पद वालों के पैर छूता है… सांकेतिक अर्थों में चरण चुम्बन करता है।

पर इन्होंने कभी मैडम के या युवा नेता के पैर छूते कोई फोटो नहीं देखने को दी।

कांग्रेस के लिये
डूबते को तिनके का…

अब एकाएक कांगे्रस को लगा कि ‘ये वैसे तो किसी काम के नहीं हैं पर डूबते को तिनके का सहारा’। अब इस चुनावी लड़ाई के आखिरी वक्त मंे ये बुझा हुआ तीर भी चला ही लिया जाए।

रखने से भी क्या फायदा लिहाजा एक चिट्ठी पर उनसे साईन करवा ली।

अब इस समय एक चिट्ठी वो भी मनमोहन सिंग जी की…. ?
पता नहीं इस चिट्ठी से कांगे्रस को कौन सी एनर्जी मिलने वाली है, कौन सा क्रांतिकारी परिवर्तन होने वाला है ?

देश मौन-मौन, धीरे-धीरे, हौले-हौले, सोनिया जी के पीछे चलते हुए प्रधानमंत्री को भूला नहीं है….
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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