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छत्तीसगढ़ के 22 साल : सफर बाकी है अभी विशेष आलेख ,संदर्भ: राज्योत्सव शगुफ्ता शीरीन , वरिष्ठ पत्रकार – IMNB NEWS AGENCY

छत्तीसगढ़ के 22 साल : सफर बाकी है अभी विशेष आलेख ,संदर्भ: राज्योत्सव शगुफ्ता शीरीन , वरिष्ठ पत्रकार

 

शगुफ्ता शीरीन , वरिष्ठ पत्रकार
छत्तीसगढ़ राज्य बने 22 साल हो चुके । विकास का लंबा सफर तय हो गया कुछ हासिल हुआ कुछ नही हुआ । हासिल क्या नही हुआ जो हुआ वो दिख रहा जो नही दिख रहा वही हासिल किया जाना है । 22 सालो के दौरान प्रदेशवासियों ने तीन मुख्यमंत्री और उनके कामकाज देखे । प्रदेश को अजीत जोगी के रूप में ऐसा मुख्यमंत्री मिला जिन्हें पता था कि एक नए राज्य में क्या क्या होना चाहिए । उन्होंने जो बुनियाद रखी ,अधोसरंचनाये विकसित करने का सपना देखा वो नए छत्तीसगढ़ का भविष्य संवारने के लिये ही था ।मगर परिस्थितियां साथ नही रही उनके,लेकिन कम समय मे ही विकास का ढांचा तो बनाया ही था उन्होंने । 22 में से 15 सालो तक प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह रहे उन्होंने स्वास्थ, लोक निर्माण और औद्योगिक विकास में काम कर छत्तीसगढ़ को देश मे एक पहचान दिलाई। अब प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल है जो छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संवाहक के तौर पर राज्य के विकास कार्य को अंजाम दे रहे है ।।   यह सच है कि स्वदेशी आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का स्वप्न महात्मा ग़ांधी ने देखा था । आज छत्तीसगढ़ के गांवों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने जो कदम राज्य सरकार उठा रही है वो इसी कड़ी में एक प्रयास है । बात गोबर खरीदी की हो गोमूत्र खरीदी की हो ,कृषि क्षेत्र में नवाचार हो या युवाओ को स्टार्टअप के लिये प्रोत्साहन की बात हो स्वयं को आर्थिक स्वावलंबी बनाने के लिये ही सारे काम किये जा रहे है ।कहा जाता है कि राज्य में स्वस्थ सेवायें, शिक्षा,कृषि और रोजगार की बेहतर स्थिति है ।यह सच भी है ,कुछ मामलों में प्रदेश में हो रहे काम देश के अन्य राज्यो के लिये प्रेरणा बने हुए है । फिर भी कुछ चीज़ें जो खलती है वो यह कि गोठनो की गायों के लिये चारे की प्रयाप्त व्यवस्था के बावजूद वो भूख से मरती क्यो है ।क्या ज़िम्मेदार अपनी ज़िम्मेदारी ठीक तरह से नही निभा रहे है।वही जब दूसरे राज्यों के लोग यानि कि वाहन चालक जब कहते है कि सड़कों के बीचो बीच मवेशी बैठे है मतलब छत्तीसगढ़ की सीमा लग गई है । यह सुनकर मन खट्टा हो जाता है ।यह सच है राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाये सभी वर्गों के लिये है और उसका लाभ लोग ले भी रहे है ।खासकर किसान,मज़दूर ,कृषि मज़दूर ,नगरीय क्षेत्र के साधन विहीन लोग ओर आरक्षित तबके के लोग ।मगर यह बात भी चुभती है कि 22 सालो में प्रदेश में अपराध के मामले अभी कुछ सालों में ही अचानक कैसे बढ गए । चाकू लेकर सरे राह घूमते अपराधी,हत्या,लूटपाट,रेप और राहजनी की घटनाओं को अंजाम दे रहे है । आखिर कब थमेगा ये सिलसिला । प्रदेश में चुस्त पुलिसिंग की ज़रूरत है ।स्वास्थ्य सेवाय चुस्त दुरुस्त करने का दावा करने के बावजूद अभी भी क्यो कुछ इलाकों में लोगो को खटिया में डालकर अस्पताल ले जाना पड़ता है । एम्बुलेंस ,मेडिसिन नही मिलती।कब सुधरेगी ये स्थिति।कुछ कमियां सड़को के निर्माण को लेकर भी है । अभी भी राजधानी रायपुर तक आने के लिये ज़िलों से वाहन नही मिल पाते। अगर कोई बीमार हो जाय तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिये सुबह का इंतज़ार करना पड़ता है । ये स्थिति कब सुधरेगी जब शाम ओर रात के सन्नाटे न हो गावो में बिजली हो । अभी इस क्षेत्र में भी विकास की ज़रूरत है ।बस्तर में तो अब माओवादी घटनायें कम हो गई लेकिन शहरों में अपराध बढ़े है। इस पर अंकुश के लिये ठोस पहल ज़रूरी है ।प्रदेश में जंगली जानवरों के साथ मानव द्वंद की घटनायें बढ़ी है । महासमुंद,धमतरी, जशपुर,बस्तर और अन्य क्षेत्रो में आज भी सरे राह जंगली हाथी लोगो को मार रहे है । फसलो को नुकसान पहुच रहे है । तेंदुए , भालू लोगो पर हमला कर रहे है । पहले तो हाथी विशेषज्ञ आकर नियंत्रण के उपाय खोजते थे अब तो ये प्रयोग भी बंद हो चुका है । सर्पदंश की घटनाएं नागलोक में बढ़ी है ।फिर भी कहा जाता है प्रदेश में सब ठीक ही है । हाल ही में स्कूल शिक्षा मंत्री ने एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण किया है । नगरीय निकाय के लोगो के स्वास्थ्य का ज़िम्मा नगरीय प्रशासन मंत्री सम्हाल रहे है । सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नुमाइंदे लोगो को कम राशन देते है मगर शिकायतों का समाधान नही मिलता। अभी भी एक सीटी स्कैन कराने लोगो को लंबी लाइन लगानी पड़ती है । हस्त शिल्पकारों को कच्चा माल नही मिलता । बाकी सब खैरियत ही है ।

यह सच है कि 22 सालो में छत्तीसगढ़ ने विकास का लंबा सफर तय किया है । मगर अभी भी विकास का लंबा सफर तय करना बाकी है । कांग्रेस की पहली राज्य सरकार विकास मूलमंत्र आधार लोकतंत्र के नारे के साथ काम कर रही थी ।     फिर सबका साथ सबका विकास नारा रहा । अब गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे के साथ विकास के सोपान तय करते 4 साल बीत गए । बचे समय मे लोगो के मत जानकर उनकी भावनाओं के अनुरूप नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की महती ज़रूरत है । अपनी जरूरतों के लिये कोई न भटके,लोगो का आत्मसम्मान बना रहे और छत्तीसगढ़ में अपराध मुक्त माहौल रहे । यही तम्मन्ना है छत्तीसगढ़ के लोगो की ।

कारवा है साथ तो मंज़िले भी मिल ही जायगी , ये कदम थक जाय हालात से गाफिल हो कर ऐसा हुआ था ,न है औऱ न होगा कभी,

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