भविष्य की राह दिखाती ‘भारतबोध का नया समय’ 0 गौरव गौतम

*पुस्तक समीक्षा*
——————

पुस्तक : भारतबोध का नया समय

लेखक : प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी

मूल्य : 500 रुपये

प्रकाशक : यश पब्लिकेशंस, 4754/23, अंसारी रोड़, दरियागंज, नई दिल्ली-110002

—————————

*भविष्य की राह दिखाती ‘भारतबोध का नया समय’*

– *गौरव गौतम*

भारत स्वाधीनता के 75 बसंत पार कर चुका है, जिसमें उसने ग्रीष्म की तपिश के साथ शीत के पाले को भी झेला है। अभी भारत आंतरिक चुनौतियों के साथ-साथ चीन एवं पाकिस्तान के षड्यंत्र और विश्वासघातों का सामना करते हुए ढाई मोर्चे की लड़ाई में निरंतर संघर्षरत है, लेकिन अपनी जिजीविषा के कारण भारत आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ है। भारत G-20 देशों का अगुआ है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के रूप में विश्व को नई राह दिखा रहा है, जो भारत की आत्मचैतन्यता को बताता है। इसी विषय को प्रो. संजय द्विवेदी जी ने अपनी कृति ‘भारतबोध का नया समय’ में व्यक्त किया है। यह कृति दो भागों ‘विमर्श’ और प्रेरक व्यक्तित्व में है। पहले भाग में लेखक ने ‘भारतबोध’ को स्पष्ट किया है। दूसरे भाग के द्वारा लेखक ने यह बताया है कि हमें अपने कार्य करने और सपनों को साकार करने के लिए ऊर्जा कहाँ से लेनी चाहिए, किस तरह का मार्ग चुनना चाहिए और किन चीजों को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। द्विवेदी जी ने देश के लिए ‘विजन’, उसको पूरा करने के ‘साधन’ तथा संकल्प की सिद्धि के लिए जरूरी समर्पण को अपनी कृति में शब्दबद्ध किया है।

गाय की महत्ता अथर्ववेद में ‘धेनुः सदनम रचीयाम्’ यानी गाय संपत्तियों का भंडार है, कहकर की गयी है, वहीं महाभारत, गर्ग संहिता जैसे ग्रंथों में भी गौ के महत्व को स्वीकार किया गया है। किंतु उलटपंथी विचारों के पैरोकार इसी बात में ज्यादा पन्ने खर्च कर देते है कि पवित्र गाय का मिथक एक भ्रम है, मिथ्या है। ऐसे लोगों को ही जवाब देते हुए द्विवेदी जी लिखते हैं कि, “हम गाय को केंद्र में रखकर देखें, तो गाँव की तस्वीर कुछ ऐसी बनती है कि गाय से जुड़ा है हमारा किसान, किसान से जुड़ी है खेती और खेती से जुड़ी है देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था। और इसी ग्रामीण अर्थ रचना की नीव पर खड़ा है भारत।” आज पर्यावरण को ध्यान में रखकर विकास करने की बात की जा रही है, उसके लिए गाय कितनी और कैसे उपयोगी हो सकती है, यह लेखक ने ‘गौसंवर्धन से निकलेंगी समृद्धि की राहें’ में बड़ी स्पष्टता के साथ बताया है। साथ ही कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी के गौ संरक्षण के लिए रतौना (सागर जिले में स्थित ) में किए गए संघर्ष और पत्रकार अब्दुल गनी के कसाई खाने को बंद कराने के लिए किए गए प्रयत्नों का भी उल्लेख किया है।

द्विवेदी जी पत्रकारिता के पेशे से जुड़े हुए हैं। जाहिर है उन्होंने पत्रकारिता के बदलते दौर का अध्ययन किया है और उसे महसूस भी किया है। लेखक ने अपनी पत्रकारिता संबंधी अनुभूति को बड़े ही सहज ढंग से संप्रेषित किया है। इसमें जहाँ एक और पत्रकारिता की चुनौतियों, व्यवसायीकरण, विज्ञापनप्रियता को बताया है, वहीं दूसरी और मदन मोहन मालवीय, माधवराव सप्रे, माखनलाल चतुर्वेदी आदि के पत्रकारिता संबंधी संघर्ष, उनके द्वारा स्थापित मानक आदि को बतलाकर पत्रकारिता के गुणधर्म क्या होने चाहिए इस पर भी ध्यान दिलाया है। यथार्थ को समझते हुए आदर्श को पाने की राह संजय जी ने बतायी है, जिससे उनकी लेखनी वायवीयता के प्रभाव से बच सकी है। पत्रकारिता लोकतंत्र का महत्वपूर्ण और जिम्मेदार स्तंभ है, जब अन्य स्तंभ जनता की उपेक्षा करते हैं, तब पत्रकारिता की यह जिम्मेदारी होती है कि वह निष्पक्ष होकर अपनी बात रखे। संजय जी का कहना है कि “चयनित चुप्पियों और चयनित हंगामों के बीच लोकतंत्र और मूल्यों की रक्षा की जिम्मेदारी हम सबकी है। हर एक नागरिक की है, जिनका भरोसा आज भी लोकतंत्र और इस देश की महान जनता के सहज ‘विवेक’ पर कायम है।”

कृति में लेखक ने भावी भारत को दिशा देने के साथ-साथ वर्तमान की दशा का विवरण देते हुए विश्लेषण किया है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने विश्व को सहायता पहुँचाई और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने नागरिकों के साथ अन्य व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान की। इसीलिए प्रो. द्विवेदी लिखते हैं कि भारत की उपलब्धियां आज सिर्फ अपनी नहीं है, बल्कि ये पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने वाली और पूरी मानवता के लिए उम्मीद जगाने वाली हैं। कुल मिलाकर ‘भारतबोध का नया समय’ भविष्य की राह दिखाती है।

*(लेखक देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में हिंदी के शोधार्थी हैं।)*

  • Related Posts

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव और व्यवस्थाओं को सुव्यवस्था में बदलने में सक्षम : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

    विश्व में देश की विशिष्ट पहचान बनाने में आईएएस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका सर्विस मीट का विचार मंथन नए दौर के नए मध्यप्रदेश के निर्माण में सहायक मुख्यमंत्री ने म.प्र.…

    न उगलते बन रहा, न निगलते, सकते में सोनिया गांधी थम गयी अडानी की आंधी वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…

        माल कमाने में कोई ऐतराज नहीं है सारे इंसान माल कमाने को ही जीवन का लक्ष्य बनाकर चलते हैं। राजनीति में भी आते हैं तो कोई सेवा के…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *