सच हुआ मुहावरा : मिल गए अडानी के रंगा-बिल्ला (आलेख : बादल सरोज)
इतिहास में तानाशाहियों को उनकी क्रूरताओं, बर्बरताओं, निर्ममताओं, पाश्विकताओं, जघन्यताओं वगैरा-वगैरा के लिए याद किया जाता है, और ठीक ही याद किया जाता है। तानाशाहियां सभ्यता का ही नहीं, मनुष्यता का भी निषेध होती है। मगर चूँकि तानाशाह खुद मूलतः एक भद्दा मजाक और जीता-जागता चुटकुला होते हैं, इसलिए यह असहनीय काल कुछ हंसाने और गुदगुदाने वाले सच्चे/गढ़े चुटकुलों का काल भी होता है। तानाशाह इतिहास के गटर में समा जाते हैं, मगर चुटकुले रह जाते हैं।
हिटलर के जीवन काल में ही उस पर बने चुटकुले खुद उससे ज्यादा मशहूर हो गए थे, आज भी हैं। इनमे से अनेक भले ब्लैक ह्यूमर वाले हैं, मगर हैं ढेर सारे। चार्ली चैपलिन की फिल्म 'द ग्रेट डिक्टेटर' में हिटलर और मुसोलिनी के किरदार काल्पनिक नहीं थे, उनके असली जीवन और चाल-चलन का फिल्मांकन करते थे। हाल के समय में भी ऐसी कई मिसालें है। जॉर्ज बुश जूनियर और डोनाल्ड ट्रम्प...