राहुल और अनुराग ठाकुर की बहस , राहुल के सर पर सवार जातिगत जनगणना का भूत और मुलायम पुत्र का डायलाग आप किसी की जाति नही पूछ सकते । इन दिनों शोसल मीडिया में छाया हुआ है । संसद में चल रहे इस घमासान के मजे इन दिनों जनता ले रही है । संसद में जो हालात बने है सांसदों के व्यवहार उनकी अनुशासन हीनता को देख प्राइमरी स्कूल के बच्चे ज्यादा अनुशासित दिखते है ।
वैसे हमारा संविधान कहता है कि जाति,धर्म और क्षेत्र के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा । जबकि हकीकत में भेदभाव इन्हीं तीन आधार पर किया जाता है । जन्म से ही हमारी जाति निर्धारित हो जाती है । स्कुल कॉलेज में एडमिशन लेना हो या नौकरी का फार्म भरना हो जाति और धर्म का कालम पहले भरो ।
बच्चों को स्कूल कालेज में जाति धर्म के नाम पर बंटती छात्रवृत्ति में भेदभाव होता दिखाता है । बच्चे जब छोटे थे अक्सर पूछते थे पापा , ताऊजी , चाचाजी हमारा जाति प्रमाण पत्र क्यो नही बनता ? निवास प्रमाण पत्र आधार कार्ड तो आपने बनवा दिया पर हमारा जाति प्रमाण पत्र आप क्यों नही बनवाते ? हमारे दोस्तों का जाति प्रमाण पत्र बन गया है तो हमारा क्यों नही ? उन्हें छात्रवृत्ति भी मिलती है हमें क्यों नही ? मुझसे कुछ नाराज भी होते । अब उन्हें कैसे समझाता कि सरकार की नजर में हम लोग सामान्य है अर्थात अनरिजर्व्ड (अनारक्षित वर्ग) और सामान्य लोगो यानि हमारी जाति नही होती हम लोग सबसे गाली खाने वाली जाति बोले तो सवर्ण घोषित है जो किसी प्रमाणपत्र की मोहताज नही । स्कूलों में जाति निवास बनाये जाने के सरकारी फैसले , स्कूलों में बंटती छात्रवृत्ति , बांटी जाने वाली सामग्री में जातिवाद के चलते बच्चों के मन में ये सवाल उठना स्वाभाविक भी है । बच्चों को आपस में सरकारी योजनाओं में जाति व धर्म के आधार पर भेदभाव होता दिख रहा है पर हमारे देश के खद्दरधारी कर्णधारो नीति नियंताओं को दिखाई नहीं देता । वैसे नेताओ को चुनाव लड़ने फार्म भी जाति के आधार पर छूट में प्राप्त होते है । तभी तो हमारा देश अजब है पर गजब है ।
वैसे एक सवाल तो मेरे मन मे भी है कि जब सवर्णों का जाति प्रमाण पत्र सरकारें बनाती ही नही तो उनकी जातिगत जनगणना कैसे होगी और क्यों होगी ?
धर्म और जाति से परे होने की बाते लच्छेदार भाषणो में ही अच्छी लगती है । मुझे तो जाति ,धर्म और क्षेत्र के आधार पर बंटा सारा देश दिखता है । वैसे सन 1947 में देश का बंटवारा ही धर्म के आधार पर किया गया था तभी तो पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र बना । आज आजादी के 7 दशक बाद भी देश में अधिकांश क्षेत्रीय राजनैतिक दलो का गठन भी जातिय समीकरण और क्षेत्रीयता के आधार पर ही होता है । राजनैतिक दल भी टिकट तेली कुर्मी पटेल , यादव , जाट , अहीर , आदिवासी जैसी जातिय संतुलन और क्षेत्र वाद को देखते हुए देते है । फिर हम किन बातों के दम पर जाति,धर्म और क्षेत्र के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नही होने की बाते कहते है । वैसे भाजपा को राहुल की भावनाओ की कद्र करते जातिगत जनगणना तत्काल करवानी ही चाहिए ताकि कुछ लोगो की जाति को लेकर फैले भरम से मुक्ति और चुनावों से एक मुद्दे के खात्मे के अवसर मिले ।
चलते चलते :-
कवर्धा नगरपालिका में कांग्रेसी पार्षदों को ऐसा कौन सा लॉलीपॉप मिला कि सामान्य सभा की बैठक में 3 प्रस्ताव पर मुहर लगाने में 9 घण्टे लगाने वाले कांग्रेसी 86 प्रस्ताव पर 15 से 20 मिनट में ही मुहर लगा आये मतबल 20 सेकंड से भी कम समय मे एक प्रस्ताव पास ये रिश्ता क्या कहलाता है ?
और अंत मे :-
जो पढ़ सके सिलवटें चेहरों की, वो भाषा सिखाता हूं,
मैं जोकर हूं किरदारों का, मैं सिर्फ़ तमाशा दिखाता हूं..
#जय_हो 01 अगस्त 2024 कवर्धा【 छत्तीसगढ़】