हर घर तिरंगा भाजपाई आह्वाहन के बीच स्वतंत्रता दिवस अपनी पूरी शानोशौकत से मनाया गया । शान से लहराते तिरंगे के नीचे समोसा , आलुगुण्डा व लड्ड़ू के रसास्वादन के बीच आपदा में अवसर के जुगाड़ के गुणाभाग में मगन अफसरान , नेता , व्ही व्ही आई पी व नवांकुरित नेताओ के कुर्तों की चमक और कलफ देखते बनती है क्या मजाल की एक सलवट दिख जाय कपड़ो पर ।
आजादी के जश्न के बीच एक नेता जी और उनके चमचों व भक्त को शिकायत है ऐसी कैसी आज़ादी कि आजादी के जश्न के दिन दारु भी नही मिलेगी । मैंने उसे प्यार से समझाया नेता जी आजादी की तैयारी भी एक दिन पहले की गयी थी और तुम दारू की नही कर सकते । वसुलिखोर बनाती नेतागिरी के बीच दलबदलने में माहिर सिंग साब की सेवा काहे नाही लेते ।
नवांकुरित नेता जी से छूटने के बाद हाथ मे मोबाईल आंखों में गागल और कार की छत खोल कर झंडा हाथ मे लिए रफ्तार के शौकीन जोशीले युवाओ से भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, सुभाषचंद्र बोस के बारे में पूछ लिया तो वो बोले हॉ अंकल ये नाम कुछ सुने सुने से लगते है आप थोड़ा रुको गुगल में सर्च करता हुँ फिर आपको बताता हूं । अब आप बताओ साहब आज की पीढ़ी कहाँ जा रही ।
वैसे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 1947 में लालकिले से कहा था, आज से इस देश में कोई भूखा – नंगा नहीं रहेगा । कितनी आगे की सोच थी उनकी सच में आज देश में कोई भी नंगा – भूखा नहीं है ।
नेहरू जी की बातो के बाद मोदी जी के लोकल वोकल और पकौड़े तल को याद करते कराते आजादी के पर्व के नाम पर प्राप्त नेशनल हॉलीडे बोले तो छुट्टी के दिन का सदुपयोग कैसे करना है , विचार करते कराते घर वापसी के वक्त मन में यही ख्याल आया कि क्या आज कल बस आजादी की इतनी ही खुशी है जिसके लिए लाखों लोंगो ने अपना बलिदान दे दिया था ? विचार मन मे उमड़ घुमड़ ही रहे थे कि मंदिर की चौखट पर फिर बस स्टैंड में होटल के समीप गोद में बच्ची को लिए माँ बेटी के साथ साथ बालभिक्षावृत्ति में रत बच्चों को भीख मांगते देख सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर 78 सालो की आजादी के बाद भी भिक्षावृति का दंश हमारे माथे पर कलंक बन कर क्यूँ जोंक की तरह चिपका हुआ है ? क्या ऐसी ही आजादी पाई है ? क्या करूँ मजबूर हूँ जब बड़ी बड़ी और सिद्धांतों वाली बातों को सुनता हूं तो मन मे बड़ी कोफ्त सी आती है कि आजकल सिर्फ दिखावे बाजी और सेल्फीबाजो की ही दुनियादारी रह गई है । जिस होटल के सामने ये बच्चे भिक्षावृत्ति करते दिखते है आज उन्ही नामी गिरामी होटलो से वी वी आई पी , नेता , अफसर , कर्मचारियों और पत्रकारो के लिए मिठाई, नाश्ता और बूंदी के लड्डू मिनरल वाटर की बॉटल तो गई पर किसी को भीख मांगते बच्चे नही दिखे ।
सिग्नल चौक से गुजरते वक्त गोबरहींन टुरी मिल गई उसके तमतमाये चेहरे को देख पूछ बैठा का बात हे आज अब्बड़ गुसियाय हस वहू आजादी के दिन का बात है , गुस्से में कहती है तै मोर मति (दिमाग) ल खराब तो कर मत कर आजादी आजादी के बात करके , बताबे का होंगे तोला आज काबर गुसियाय हस ? लइका मन आज घुमबो फिरबो बोलत रहिन पर का करबे महराज हमन न आजाद भारत के गुलाम नागरिक हन आज साहब बपुरा मन के सगा सम्बन्धी दोस्त यार पहचान वाले 15 अगस्त के छुट्टी मनाय बर , पिकनिक में निकले है तो उंखर स्वागत सत्कार दारू मुर्गा के इंतजाम अउ खिलाय पिलाए में हमर आजादी छीना गे हे । का करबो नौकरी हे तो साहब बपुरा मन के गुलामी करेच ल पड़ही ।
उसका गुस्सा जायज तो है हम वीआईपी के चक्कर मे छोटे कर्मचारियों की आजादी छीन जाती है । पर का करे हम तो बड़े वाले धार्मिक प्रवृत्ति के आदमी है तो प्रभु ने जैसा जिसके भाग्य में लिखा है जिसके जैसे पूर्व जन्म के कर्म है उसे अपने कर्मो का वैसा ही फल भोगना पड़ेगा ।
प्रभु की माया प्रभु ही जाने तो चलते चलते मुफ्तखोरी के जुगाड़ के चक्कर मे सरकारी रेस्ट हाऊसों में दारू मुर्गा पार्टी के जुगाड़ में भिड़े जुगाड़बाज बीआईपी , बेईमान ईमानदारों सहित विकास और आधुनिकता की अंधी दौड़ में भागते मेरे प्यारे प्रदेश वासियों को युक्तियुक्त करण के नाम पर वनांचल क्षेत्र में स्कूल बंद कर वनवासी बच्चो को शिक्षा से वंचित करने के प्रयोग के साथ हमेशा की तरह आजादी के पर्व स्वतंत्रता दिवस की अशेष मंगल कामनाएं ।
चलते चलते :-
जल जीवन मिशन के टोंटी चोर ठेकेदार और अफसरों पर कबीरधाम में गाज नही गिरना किस बात का संकेत है भाई हो ?
और अंत मे :-
मैंने जिंदगी से,किसी को नही निकाला ,
लोग मेरे , ऐतबार के हादसों में मर गए ।
#जय_हो 15 अगस्त 2024 कवर्धा【छत्तीसगढ़】