पलक झील आर्द्रभूमि संरक्षण क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है और भारत-बर्मा जैव विविधता क्षेत्र के अंतर्गत आता है
- प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय (एनएमएनएच)
आरएमएनएच, मैसूर ने 110 छात्रों के लिए मिशन लाइफ (पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली) के हिस्से के रूप में 10.05.2023 को सूखी पत्तियों को जलाने के बजाय उसे गड्ढे में डालकर जैविक खाद बनाने के बारे में बताते हुए जागरूकता अभियान चलाया गया और उन्हें इस धरती के अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
आरएमएनएच, भुवनेश्वर ने मेरा जीवन: पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली के तहत आरएमएनएच भुवनेश्वर के 50 कर्मचारियों के साथ परिसर सफाई अभियान का आयोजन किया।
आरजीआरएमएनएच, सवाई माधोपुर ने भरतपुर मंडल, राजस्थान भारत स्काउट और गाइड के सरकारी शिक्षकों के लिए मिशन लाइफ ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया। इसके साथ ही कॉलेज और स्कूल के छात्रों के साथ प्रकृति फोटोग्राफी का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 214 सरकारी शिक्षकों, छात्रों और आगंतुकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
- भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) ने स्थानीय लोगों को लामबंद करने और उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए “पानी बचाओ” विषय पर उत्तराखंड के देहरादून में एक जागरूकता रैली का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सभी आयु वर्ग के 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जेडएसआई, देहरादून के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. गौरव शर्मा ने जल संरक्षण पर हरित वार्ता की। इसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन के तरीकों को अपनाया जाना चाहिए।
- राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र (एनसीएससीएम)
लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (एलआईएफई) में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के एक बड़े हिस्से के रूप में, एनसीएससीएम और मिजोरम में मारा स्वायत्त जिला परिषद के वन विभाग ने पलक झील के किनारे प्रकृति की सैर का आयोजन किया। पलक आर्द्रभूमि संरक्षण क्षेत्र मिजोरम की राजधानी आइजोल से लगभग 360 किमी दूर स्थित है और यह 18.5 किलो मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पलक झील आर्द्रभूमि संरक्षण क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है और भारत-बर्मा जैव विविधता क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस आयोजन के एक भाग के रूप में, एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों और वन विभाग के कर्मचारियों ने स्थानीय समुदाय को आर्द्रभूमि परितंत्र और इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बारे में समझाया। इसके अलावा, उन्होंने जैव विविधता और आर्द्रभूमि संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यक्रम में लगभग 60 स्थानीय जनजातियों ने भाग लिया, जिन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग में कमी, पर्यावरण के अनुकूल वैकल्पिक सामग्रियों का उपयोग, वन्यजीव संरक्षण, जल धाराओं और झरनों का संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन जैसे विभिन्न विषयों पर सीखने के अपने अलग-अलग अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम में आम लोगों को उनके पर्यावरण, आवास और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की आवश्यकता के बारे में सरल तरीके से प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, प्रतिभागियों ने कूड़ेदान और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के खिलाफ एक हरित प्रतिज्ञा भी ली। इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आर्द्रभूमि पर प्लेकार्ड और पैम्फलेट लगाए गए थे। एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने जनजातीय समुदायों को मिशन लाइफ–पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली का महत्व समझाया।
राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान
राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली) और युवाओं के बीच जीवन गतिविधियों को बढ़ावा देने के तहत एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में कुल 17 शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने भाग लिया और पर्यावरण के अनुकूल आदतों को अपनाने के लिए लाइफ प्रतिज्ञा यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने की प्रतिज्ञा ली। कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों ने लाइफ के विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए और उन विषयों में से एक पर प्रकाश डाला जिसका पालन वे पर्यावरण की रक्षा के लिए करेंगे। कार्यक्रम के दौरान लाइफ थीम पर भी जोर दिया गया। इसमें विशेष रूप से हिमालयी पर्यावरण को बचाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक को नकारने और वहां कचरे को कम करने की बात कही गई।
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