भारत ने नेशनल टेली मेडिसिन प्रोग्राम ऑफ इंडिया के अहम पड़ाव को पार किया : अक्टूबर 2022 में अपनी शुरूआत के बाद से टेली-मानस पर दो लाख से अधिक कॉल्स मिलीं

सरकार देशभर में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिये संकल्पित है

31 राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों में टेली-मानस के 42 से अधिक प्रकोष्ठ कार्यरत हैं, प्रकोष्ठ प्रति दिन 20 भाषाओं में 1,300 से अधिक कॉल्स पर सेवायें दे रहा है

1900 से अधिक काउंसलर प्रथम पंक्ति की सेवायें प्रदान कर रहे हैं

परीक्षाओं के दौरान परीक्षा संबंधी तनाव से जुड़ी कॉल्स में तेज बढ़ोतरी देखी गई है

New Delhi (IMNB). नेशनल टेली मेडीसिन हेल्थ प्रोग्राम (टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्सः टेली-मानस – ‘जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ का डिजिटल प्रारूप) की शुरूआत सरकार ने अक्टूबर 2022 में की थी, ताकि देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता को मजबूत किया जा सके। अब यह पहल एक अहम पड़ाव पर पहुंच चुकी है। टोल-फ्री सेवा को इस कार्यक्रम की शुरूआत के बाद से अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से दो लाख से अधिक कॉल्स मिली हैं। इससे पता चलता है कि इसके काम में निरंतर प्रगति हो रही है। तीन माह के मामूली से अंतराल में कॉल्स करने की संख्या में बेहद बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान कॉल्स की संख्या एक लाख (अप्रैल 2023 में) से बढ़कर दो लाख जा पहुंची।

इस उपलब्धि के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने एक ट्वीट के जरिये देशवासियों को बधाई दी है।

 

31 राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों में टेली-मानस के 42 से अधिक प्रकोष्ठ कार्यरत हैं। प्रकोष्ठ प्रति दिन 20 भाषाओं में 1,300 से अधिक फोन करने वालों को सेवायें दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 1900 से अधिक काउंसलरों को प्रशिक्षित किया गया है, जो प्रथम पंक्ति की सेवायें प्रदान कर रहे हैं। सबसे आम शिकायतों में अवसाद, अनिद्रा, दबाव और तनाव शामिल हैं। काउंसलरों ने लगभग सात हजार लोगों को दोबारा फोन करके उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली है। ये वे लोग थे, जिन्हें सेवायें देने में काउंसलरों को सफलता मिली थी। जिन फोन करने वाले लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत थी, उन्हें डीएमएचपी और अन्य निकटवर्ती स्वास्थ सुविधा केंद्रों के साथ सफलतापूर्वक जोड़ा गया।

परीक्षाओं के दौरान परीक्षा संबंधी तनाव से जुड़ी कॉल्स में तेजी देखी गई है। काउंसलरों ने इन फोन करने वालों की मदद की। उन्हें मददगार परामर्श दिया और यह भी बताया कि कैसे खुद अपनी सहायता की जा सकती है। इस तरह उन सभी फोन करने वालों की सहायता करने में वे सफल हुये। विभिन्न शिक्षण संस्थानों में ज्यादा से ज्यादा छात्रों/किशोरों तक पहुंच बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।

विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों, जैसे प्रिंट मीडिया, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिये टेली-मानस सेवाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। टेली-मानस कॉलर्स को बुनियादी सलाह और मानसिक स्वास्थ्य सेवायें देता रहेगा। यह काम मौजूदा महत्त्वपूर्ण सेवाओं और संसाधनों के साथ जोड़कर किया जायेगा। आने वाले दिनों में ई-संजीवनी के साथ भी सभी सेवाओं को जोड़ दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि टेली-मानस की पहुंच नौ महीनों में दो लाख लोगों तक हो गई है। टेली-मानस ने देशभर में एक समग्र डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली बनाने और जहां तक उसकी पहुंच नहीं है, वहां तक अपनी पहुंच बनाने का लक्ष्य लेकर अपना सफर शुरू किया है।

टेली-मानस पहल की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केंद्रीय बजट 2022-23 में की थी। घोषणा करते वक्त देश में मानसिक स्वास्थ्य संकट को ध्यान में रखा गया था। यह लोगों को सक्षम बनाने की एक अनोखी पहल है, ताकि वे अपने मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी मुद्दों पर सहायता प्राप्त कर सकें। इस दौरान फोन करने वालों की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाती है। इसलिये आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को जिस हेय दृष्टि से देखा जाता है, पहचान गुप्त होने के कारण उससे बचाव हो जाता है।

नेशनल टेली मेडीसिन हेल्थ प्रोग्राम ऑफ इंडिया क्षमता निर्माण पहलों के जरिये देश में मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करने पर ध्यान दे रहा है। साथ ही वह यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवायें हर घर और हर व्यक्ति तक निशुल्क पहुंचें। इसके तहत समाज के सबसे ज्यादा संवेदनशील और बिना पहुंच वाले लोगों तक पहुंच बनानी है। ये ऐसे लोग हैं, जिन तक अगर पहुंच नहीं बनाई गई, तो उनकी देखभाल नहीं की जा सकेगी। टेली-मानस छह महीनों में एक लाख के अहम पड़ाव तक पहुंच गई है, और इस तरह वह देशभर में एक बेहतरीन डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के लक्ष्य के नये मोड़ पर आ गई है।

टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबरः 14416 या 1-800-891-4416 कई भाषाओं में है और इसके माध्यम से फोन करने वाले अपनी पसंद की भाषा चुनकर सेवायें ले सकते हैं।

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