रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को सत्ताधारी दल कांग्रेस पर सरकारी कर्मचारियों की शिकायतों का समाधान करने में विफल रहने और चुनाव से पहले उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया.
विधानसभा में विपक्षी विधायकों ने राज्य में कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का मामला उठाया और काम रोककर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की. जब पीठासीन अधिकारी ने विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया तब विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया जिसके कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई.
सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक, शिवरतन शर्मा और अजय चंद्राकर समेत भाजपा विधायकों ने कहा कि विभिन्न विभागों के चार लाख से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में 25 से 29 जुलाई तक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. उनका कहना था कि कर्मचारी महंगाई भत्ते और मकान किराया भत्ते में बढ़ोतरी समेत कई अन्य मांग कर रहे हैं.
भाजपा सदस्यों ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन (स्वास्थ्य कार्यकर्ता), सफाई कर्मचारी, मनरेगा कर्मचारी, वन रक्षक और बिजली विभाग के कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में राज्य के कई स्थानों पर हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सरकारी कर्मचारियों से कई वादे किए थे लेकिन उसे पूरा करने में विफल रही है.
भाजपा सदस्यों ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के मामले में शासन एवं प्रशासन उदासीन है. उन्होंने कहा, ‘‘सही मायने में प्राथमिक शिक्षा पूरी शिक्षा की नींव है और राज्य के सहायक शिक्षक शिक्षा जगत की धूरी है. राज्य सरकार द्वारा घोषणा पत्र में वेतन विसंगतियों को दूर करने की बात कही गई थी लेकिन आज पर्यंत तक वेतन विसंगति दूर नहीं कर पाई है. वेतन विसंगति दूर करने के मामले में सरकार केवल समिति गठित करने का छलावा कर रही है. राज्य सरकार को अविलंब सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर करना चाहिए. वेतन विसंगतियों को दूर नहीं करने से सहायक शिक्षकों को आर्थिक हानि हो रही है. ’’
भाजपा सदस्यों ने इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराए जाने की मांग की. जब पीठासीन अधिकारी वरिष्ठ कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी तब भाजपा सदस्यों ने राज्य सरकार पर सरकारी कर्मचारियों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामे को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी.