ये लो कर लो बात। अब भाई लोग राम राज्य के लिए उतावले हो रहे हैं। कल तक यानी पहले यानी बहुत पहले यानी कई पीढ़ी पहले तो यही लोग भगवान राम के वास्तविक होने पर सवाल करते थे; राम सेतु बनाने का श्रेय भगवान राम से छीनकर प्रकृति को देना चाहते थे; हनुमान के बंदर होने वगैरह को कवि कल्पना बताते थे; यानी आस्था में तर्क घुसाते थे। सौ बातों की एक बात, मस्जिद वाली जगह पर ही राम का जन्म स्थल होने को झुठलाते थे। मंदिर वहीं बन भी गया और भव्य भी बन गया, तब भी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा में अड़ंगे डाल रहे थे। पर अब, रामलला ठीक से अयोध्या में अपने घर पहुंचे भी नहीं हैं कि विरोधियों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया कि राम राज्य कब आएगा? जो मोदी जी रामलला को उंगली पकड़कर लाए हैं, राम राज्य कब लाएंगे? और तो और, राम राज्य लाने के लिए कोई टैम तक दिए बिना, भाई लोगों ने कहना भी शुरू कर दिया कि लगता नहीं है कि मोदी जी राम राज्य लाएंगे। देख लेना, अच्छे दिनों की तरह, राम राज्य भी मोदी जी का जुमला ही निकलेगा!
पर ये तो विरोधियों की चीटिंग है। मोदी जी ने तो कभी कहा ही नहीं कि राम राज्य लाएंगे। माने राम राज्य को अच्छा कहा होगा। राम राज्य को अपना आदर्श भी कहा होगा। श्रीराम के आदर्शों पर चले शासन, कहा होगा। राम राज्य लाना चाहिए, यह भी कहा होगा। काल चक्र परिवर्तन कर रहे हैं, यह भी कहा होगा। नया युग ला रहे हैं, यह भी कहा होगा। हजार साल की शुरुआत कर रहे हैं, यह भी कहा होगा। गांधी जी वाले राम राज्य को भी याद किया होगा, वगैरह। पर राम राज्य लाने का वादा एक बार भी नहीं किया; न अपने मुंह से और न चुनावी घोषणापत्र में। जब राम राज्य लाने का वादा ही नहीं किया है, तब अच्छे दिन की तरह राम राज्य लाने के वादे से मुकरने का सवाल ही कहां उठता है।
यह दूसरी बात है कि इसका मतलब यह हर्गिज नहीं है कि मोदी जी राम राज्य नहीं लाएंगे। राम राज्य लाने का वादा नहीं किया है, तो नहीं लाने का भी वादा कब किया है। वैसे वादा तो मोदी जी ने राम लला को लाने का भी नहीं किया था। पर लाए या नहीं। बाकायदा उंगली पकड़ कर लाए या नहीं? राम राज्य को तो उंगली पकड़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यानी राम राज्य अब भी आ सकता है और आया तो मोदी जी ही लाएंगे, पर अभी मोदी जी ने गारंटी नहीं दी है। साफ है कि राम राज्य के न आने का ठीकरा कोई मोदी जी के सिर नहीं फोड़ सकता। हां, अगर आ ही गया, तो उसका श्रेय तो जाहिर है कि मोदी जी को ही मिलेगा। आखिर, मोदी जी राम को लाकर रास्ता बनाए हैं, तभी तो राम राज्य आएगा!
असल में विरोधी जान-बूझकर क्रोनोलॉजी गड़बड़ कर रहे हैं। माना कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम अपने जन्म स्थल पर आए हैं। कम से कम पांच सौ साल बाद आए हैं। बेशक, मोदी जी के लाए ही आए हैं। पर मोदी जी तो रामलला को लाए हैं। यानी पांच वर्ष के बालक को। माना कि तीर-धनुष सब साथ है; पर है तो बालक ही। अब आए हैं रामलला और मांग की जा रही है राम राज्य की, कोई लॉजिक बनता है क्या? अभी तो लला हैं। अभी तो बड़े होंगे। कम से कम पंद्रह साल तो ऐसे ही लगा लें। इक्कीस साल से कम उम्र में तो हमारे यहां चुनाव तक नहीं लड़ सकते, राज संभालने की तो बात ही कहां है। और उसके बाद भी अगर किसी कैकेयी ने चक्कर डाल दिया तो? चौदह-पंद्रह साल बनवास के और जोड़ लेने होंगे। यानी मोदी जी को कम से कम तीन और अड़े-भिड़े में छह चुनाव और जिताने की गारंटी करे, वही उनसे राम राज्य लाने पर सवाल करे। वर्ना ईमानदारी की बात तो यह है कि एक और चुनाव की गारंटी में तो मोदी जी राम लला को ही ला सकते हैं, पांच साल वाले रामलला को।
यहां तो सीता माता तक नहीं आयी हैं और भाई लोग चले आए राम जी का राज्य मांगने! भाई थोड़ा धीरज भी तो रखना चाहिए! पांच सौ साल, रामलला का इंतजार किया है, तो राम राज्य के लिए अमृत काल के पूरा होने तक यानी पच्चीस-पचास साल तो इंतजार बनता ही है।
खैर! मोदी जी ने विजय के साथ विनय की तुक जोड़ने की वजह से राम राज्य लाने की गारंटी भले ही नहीं दी है, पर उसके लिए काम शुरू भी करा दिया है। देखा नहीं, कैसे उनके राज ने इसकी गारंटी की है कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले और प्राण प्रतिष्ठा के बाद, मंदिरों से ज्यादा मस्जिदों, गिरजों वगैरह के सामने, डांस-वांस किया जाए, पटाखे-वटाखे चलाए जाएं, डीजे-वीजे बजाए जाएं। इमारतों पर चढक़र भगवा झंडे वगैरह फहराए जाएं। इस सब को गड़बड़ी बताने वाले, यह भूल रहे हैं कि यह तो अभ्यास है। यह अभ्यास है, वानर सेना का। वानर सेना इकट्ठी हो रही है। वानर सेना ऐसे ही इकट्ठी होती रही, तो वह दिन दूर नहीं है, जब इसी सेना के बल पर मोदी जी चतुर्दिक अपनी राम पताका फहराएंगे। और प्राण प्रतिष्ठा के साथ, राज में धर्म का प्रवेश तो ऐसा हुआ है, ऐसा हुआ है कि चहुं ओर धर्म ही धर्म दिखाई देता है, राज-काज खोजे से नहीं मिलेगा। और हां! चक्रवर्ती राजा के आगमन के साथ, आज्ञापालक प्रजा भी लौट आयी है। अब तो अस्सी करोड़ प्रजा के लिए पांच किलो महीना मुफ्त अनाज भी लौट आया है। राम रहीम का पैरोल भी। और कितना राम राज्य मांगता है?
*(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और सप्ताहिक ‘लोक लहर’ के संपादक हैं।)*