
जन्म-मृत्यु पंजीयन का उद्देश्य जन्म प्रमाणपत्र जन्म के स्थान एवं जन्मतिथि का कानूनी प्रमाण है। इसी तरह मृत्यु प्रमाणपत्र की जरूरत पैतृक संपत्ति एवं बीमा राशि का दावा करने के लिए होती है, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत इसका महत्व है। साथ ही हर एक स्थान के लिए जन्म और मृत्यु का एक वैधानिक रजिस्टर है। यह सामाजिक-आर्थिक योजना बनाने हेतु जनसांख्यिकीय आंकड़ों, स्वास्थ्य प्रणालियों के विकास और जनसंख्या नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। 01 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए जन्मतिथि एवं जन्म स्थान को प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, जन्मतिथि प्रमाण के रूप में आधार, पैन, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हेतु सरकारी व निजी नौकरी के लिए जन्मतिथि सत्यापन हेतु ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मतदाता सूची में नाम जुड़वाने हेतु विवाह पंजीयन हेतु अनिवार्य है।
जन्म-मृत्यु पंजीयन का पंजीयन अधिकार क्षेत्र के अनुसार ग्राम पंचायत, उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल सहित निजी अस्पताल और शहरी क्षेत्र में घर पर होने की स्थिति में स्थानीय शहरी निकाय में किया जाता है। किसी जन्म या मृत्यु की घटना का पंजीयन, घटना जहां घटित हुई हो वहीं पर करना होता है। लाभार्थी के घर के पास वाली पंजीयन इकाई में घटना का पंजीयन करने का कोई भी प्रावधान नहीं है। लाभार्थी खुद प्रमाण पत्र में नाम नहीं जोड़ सकता है। नियमानुसार जहां बच्चे का जन्म हुआ हो उसी पंजीयन केन्द्र में नाम जोडने हेतु आवेदन करना चाहिए।