6 माह में 90 हजार खसरों का नक्शा बटांकन पूरा
कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देश पर तेजी से हो रहा कार्य
खसरे एवं नक्शे की उपलब्धता से लोगों को रही काफी सहुलियत
रायगढ़। कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल ने जनसामान्य की सुविधा के लिए नक्शा बटांकन के कार्य को प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए थे। निर्देश पर रायगढ़ के सभी तहसीलों में नक्शा बटांकन कार्य को अभियान चलाकर पूरा किया जा रहा है। जिससे विगत माह दिसम्बर 2023 से अभी तक नक्शा बटांकन कार्य में लगभग 18 प्रतिशत की प्रगति आयी है। इस अवधि में लगभग 90 हजार खसरों का नक्शा बटांकन किया गया है।
नक्शा बटांकन कार्य जिले में तत्परता पूर्वक कराया जा रहा है, जिससे राजस्व अभिलेख में शुद्धता आ रही है। खसरा दुरूस्ती के पश्चात नक्शा अपडेशन नहीं होने से राज्य स्तर पर ऐसे खसरे काफी संख्या में लंबित रहे है। जिसका निराकरण कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। जिससे अब जनसामान्य को खसरा एवं नक्शा के आसानी से उपलब्ध होने पर अब कार्यालय में आना नहीं पड़ रहा है। जिससे बैंक लोन, रजिस्ट्री आदि कार्य हेतु आवश्यक दस्तावेज आसानी से प्राप्त होने के साथ ही भूमि संबंधी विवादों में कमी आयी है। कई गांवों में नक्शा बटांकन के काम जो लम्बे समय से लंबित थे। उन्हें शत-प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। जिनमें तहसील लैलूंगा एवं घरघोड़ा के इन विभिन्न ग्रामों में नक्शा अद्यतनीकरण का कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण किया गया है। इनमें रामपुर, कोड़ासिया, ईश्वरपुर, सोहनपुर एवं चिटकीबहार तथा तहसील घरघोड़ा अंतर्गत ग्राम छिरभौना, पोरडी, राई, घोघरा शामिल है।
तहसील घरघोड़ा अंतर्गत घोघरा ग्राम के भूमिस्वामी श्री बुधेश्वर पिता संतोष ने बताया कि उसका ग्राम घोघरा स्थित भूमिस्वामी मद की भूमि का हल्का पटवारी द्वारा मौका स्थल देखकर तुरंत नक्शा बटांकन कर दिया गया। जिसके कारण उसके पुत्र चंद्रकांत साहू एवं पुत्री मेघा साहू को एसईसीएल में नौकरी का लाभ मिल सका। ग्राम तुरेकेला के कृषक श्री रामकुमार चौहान द्वारा नक्शा बटांकन के संबंध में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया गया कि उनका ग्राम-तुरेकेला में भूमि कब्जा संबंधी विवाद चल रहा था, जिसका नक्शा बटांकन होने से विवाद का निराकरण हो गया एवं इसके लिए श्री रामकुमार पटेल द्वारा उक्त नक्शा बटांकन के लिए शासन को आभार व्यक्त किया। इसी तरह ग्राम-जैमुड़ा के कृषक श्री गंगाधर पिता हीराराम पटेल के द्वारा बताया गया कि गंगाधर पटेल को उनके भूमि का सीमा चिन्ह ज्ञात नहीं था, नक्शा बटांकन होने के उपरांत श्री पटेल को उनके भूमि का सीमाचिन्ह ज्ञात हो गया।