अब तेरा क्या होगा रे बुलडोजर! (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
मोदी जी को इस देश को विश्व गुरु बनाने के लिए और क्या-क्या त्यागना पड़ेगा! पहले, भाई लोगों ने बेचारे से अच्छे दिनों का त्याग कराया। मजाल है, जो पिछले…
श्रद्धा वाकर के बारे में असम के मुख्यमंत्री की अशोभनीय टिप्पणी (नजरिया : बृंदा करात,)
श्रद्धा वाकर के बारे में असम के मुख्यमंत्री की अशोभनीय टिप्पणी (नजरिया : बृंदा करात, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते) असम के मुख्यमंत्री अपनी शालीन भाषा के लिए…
हिन्दी : “ई” की जगह “ऊ” की मात्रा (आलेख : बादल सरोज)
अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट ने भाषा के संबंध में अब तक की मान्य, स्वीकृत और संविधानसम्मत नीति को उलट कर पूरे देश पर जबरिया हिंदी…
वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक,नारायण नारायण
बात बेबाक चंद्र शेखर शर्मा 【पत्रकार】 9425522015 नारायण नारायण “राष्ट्रीय प्रेस दिवस की हार्दिक बधाईयाँ 30 मई 1826 को पंडित युगुल किशोर शुक्ल जी ने प्रथम हिन्दी समाचार पत्र ‘उदन्त…
वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा, की बात बेबाक आज बाल दिवस पर टहलने निकल पड़ा आसपास ,चाचा नेहरू के नन्हे मुन्नों की खुशहाली देखने बस स्टैंड , होटल , मंदिर
चंद्र शेखर शर्मा 【पत्रकार】 9425522015 *बाल दिवस की हार्दिक मंगल कामनाएँ* आज बाल दिवस पर कुछ फुर्सत पा टहलने निकल पड़ा चाट ठेले के आसपास चाचा नेहरू के नन्हे मुन्नों…
वनाधिकार : ‘सुप्रीम’ फैसले पर टिका देश के 16 लाख आदिवासी परिवारों का भविष्य, छत्तीसगढ़ सरकार ने नहीं दिया हलफनामा (विशेष रिपोर्ट : संजय पराते)
रायपुर। वन अधिकार अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कल 10 नवम्बर 2022 को सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई होनी है और फिर 16 लाख…
वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक,सट्टा के गिरफ्त वाले क्रिकेट मैच हारने से देश नहीं हारता देश तब हारता है – जब फौजी शहीद होता है।
किसान कर्जनके बोझ तले मरता है। जब किसी गरीब के बच्चे भूखे सोते हैं। जब फीस ना भर पाने के कारण किसी के डाक्टर इंजीनियर बनने के सपने टूट जाते…
*एक देश, एक नेता : बस मेरा नाम याद रखो, मुझे वोट दो!* *(आलेख : राजेंद्र शर्मा)*
‘‘और याद रखिए, हमारा भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है, आप को किसी को याद रखने की जरूरत नहीं है। सिर्फ कमल का फूल याद रखिए। मैं आप के…
*मदमस्त दरबारी, पर्यटक राजा : धूमधड़ाके से बजा रहे, संविधान का बाजा*
इधर आरिफ मृदंग बजा रहे हैं, उधर रिरिजु सुप्रीम कोर्ट को तुरही सुना रहे हैं। सबके सब लोकतंत्र की छाती पर पाँव रखे संविधान का बाजा बजा रहे हैं। उधर…
*पुल टूटा नहीं, बस लोहे की रस्सियां खुल गयीं* *(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)*
ये लो, कर लो बात। अब पीएम जी का अच्छा पहनना-ओढऩा भी इन भारत विरोधी विपक्षियों की आंखों में खटकने लगा। कह रहे हैं कि मोरबी के झूलते पुल के…