विरोधियों के विरोध की परवाह नहीं करते हैं। न संसद में, न सडक़ पर। बल्कि वह तो किसी की सुनते भी नहीं हैैं, विरोधियों तो विरोधियों, अपनों की भी नहीं। अपनों की छोडि़ए, खुद अपने मन की भी नहीं, बस अपने मन की दूसरों को सुनाते हैं। जो सुनेगा ही नहीं, उसके किसी के कहे की परवाह करने का सवाल ही कहां उठता है। और जब न किसी की सुनी जाएगी और न किसी बात की परवाह होगी, तो फिर काहे का अटकना और काहे का लटकना, भटकना वगैरह। एक बार तय कर लिया, तो उसके बाद तो रिकार्ड बनाने के रास्ते पर देश का सरपट दौड़ना ही रह जाता है।
इसीलिए तो, अब दुनिया में नये इंडिया का डंका नॉन स्टॉप बज रहा है। एक रिकार्ड का डंका बजना बंद नहीं होता है कि उससे पहले, दूसरे रिकार्ड का डंका बजना शुरू हो जाता है। मसलन फोर्ब्स के डाटा के हिसाब से मोदी जी के नये इंडिया का वर्ल्ड में नंबर वन होने का डंका बजना अभी ठीक से शुरू हुआ ही है,...