रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य के मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत गरीबों का घर छीनने का आरोप लगाया और मंत्री से जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया.
भाजपा के सदस्यों ने मंत्री टीएस सिंहदेव का हवाला देते हुए कहा कि योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार की अनिच्छा से निराश होकर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री को भी विभाग छोड़ना पड़ा. इस महीने की 16 तारीख को सिंहदेव ने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए पंचायत विभाग को छोड़ दिया था.
सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को भेजे इस्तीफे में कहा था, ”प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आबंटन का अनुरोध किया था. लेकिन इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी. फलस्वरूप राज्य के लगभग आठ लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके. मुझे दु:ख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका.” सिंहदेव ने हालांकि, कहा था कि वह लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यान्वयन, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग के मंत्री बने रहेंगे.
विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में यह मुद्दा उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति बहुत ही दयनीय है, क्योंकि राज्य सरकार इसके लिए अपना हिस्सा नहीं दे रही है. जिसके परिणामस्वरूप केंद्र ने आवंटित लक्ष्यों को वापस ले लिया है.
रमन सिंह ने कहा कि सिंहदेव ने अपने पत्र (मुख्यमंत्री को पंचायत विभाग छोड़ने के लिए) में कहा था कि योजना के तहत धनराशि जारी नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप आठ लाख लोगों के लिए घर नहीं बनाया जा सका. पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 और 2022-23 में योजना के तहत कितने आवासों को स्वीकृति दी गई और उनमें से कितने पूरे हो चुके हैं.
सिंहदेव की अनुपस्थिति में राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जवाब में कहा कि वर्ष 2019-20 और 2020-21 के वित्तीय वर्षों में पीएमएवाई-ग्रामीण के तहत क्रमश: 1,51,072 और 1,57,815 घर स्वीकृत किए गए थे. अकबर ने बताया कि वर्ष 2019-20 में लक्ष्य में से 72,103 मकान पूरे हो चुके थे जबकि 78,969 अधूरे थे. उन्होंने कहा कि 2020-21 में लक्ष्य में से एक भी मकान नहीं बनाया गया था.
उन्होंने कहा कि पीएमएवाई-ग्रामीण के तहत दो वित्तीय वर्षों 2021-22 और 22-23 में कोई मकान स्वीकृत नहीं किया गया. मंत्री ने बताया कि इसी तरह 2019 से 2022 (तीन वित्तीय वर्ष) के बीच, पीएमएवाई-शहरी के तहत 1,01,081 आवास को मंजूरी दी गई थी. जिसमें से 19,594 आवास पूरे हो चुके थे जबकि 43,304 आवास अपूर्ण/प्रग?तिरत थे. वहीं 38,183 आवास को शुरू किया जाना बाकी है.
अकबर ने कहा कि वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार 762 करोड़ रुपये का ऋण लेना चाह रही थी और पंजाब नेशनल बैंक ने इसे मंजूरी देने में रुचि दिखाई थी. लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाई गई आपत्तियों के कारण यह नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि केंद्र के पास राज्य का लंबित धन है और विपक्षी भाजपा को इसके लिए पहल करनी चाहिए. इसके बाद सदन में हंगामा हो गया. बाद में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया.