स्व-सहायता समूह की सदस्य आशा ने बताया कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क एसएचजी में हम 7 महिलाएं सूट, ब्लाउज, बैग, पेटीकोट तथा रुमाल की सिलाई कर रही हैं।
अब तक आसपास के गांव से आर्डर मिलने पर 25 हजार की बिक्री कर चुके हैं जिससे हमें 15 हजार रुपये का फायदा हुआ है।
सदस्य संतोषी कैवर्त ने बताया कि पहले घर में खाली बैठे रहते थे, काम नहीं था अब सिलाई कार्य से आमदनी भी हो रही है और परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।