
सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता : कलेक्टर
– बाल विवाह एवं कुपोषण से मुक्ति के लिए सामाजिक जागृति एवं सक्रिय जनभागीदारी की जरूरत
राजनांदगांव 15 दिसम्बर 2025। कलेक्टर जितेन्द्र यादव आज जिला पंचायत सभाकक्ष में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में शामिल हुए। कलेक्टर ने कहा कि समाज में बाल विवाह कुपोषण जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है। बाल विवाह एवं कुपोषण से मुक्ति के लिए सामाजिक जागृति एवं सक्रिय जनभागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जीवन में तीन महत्वपूर्ण पड़ाव आते है। जिनमें बच्चे की देखभाल पहला पड़ाव है। दुसरा पड़ाव शिक्षा एवं रोजगार है। तीसरा पड़ाव 18 वर्ष की आयु के बाद लड़कियों एवं 21 वर्ष के बाद लड़कों का विवाह होना चाहिए। पहले पड़ाव में बच्चे को सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है और उनके सुपोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बाल विवाह समाज की ऐसी कुरीति है, जिससे बालिकाओं के कुपोषित होने की आशंका बढ़ जाती है और उनके विकास का मार्ग बाधित होता है। हम सभी का दायित्व है कि बाल विवाह एवं कुपोषण जैसी समाज की विसंगति को दूर करें। बाल विवाह की कुप्रथा को समाज से दूर करने के लिए जागरूकता लाने की जरूरत है। समाज में ऐसे कई ऐसे शख्सियत होते है, जो परिवर्तन लेकर आते हंै। सामाजिक सरोकार से जुड़कर इन कुप्रथाओं को दूर करने में अपना योगदान देना है। उन्होंने बाल विवाह मुक्त पंचायतों की जानकारी ली। इस अवसर पर कलेक्टर ने सभी को बाल विवाह मुक्ति के लिए शपथ दिलाई।
कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती गुरूप्रीत कौर ने कहा कि बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिले के विभिन्न विभागों विशेष रूप से शिक्षा विभाग, पुलिस प्रशासन, बाल कल्याण समिति बाल देखरेख संस्थाओं, यूनिसेफ के वालंटियर एवं समाज प्रमुख तथा विवाह एक अनुष्ठान करने वाले विभिन्न स्टेक होल्डर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा जिले को बाल विवाह मुक्त घोषित करना लक्ष्य है। उन्होंने सभी से बाल विवाह रोकथाम के लिए अपना योगदान देने की अपील की।
कार्यशाला में प्रशिक्षक एवं राज्य समन्वयक एसोसिएशन फॅार वॉलंटरी एक्शन बचपन बचाओ आंदोलन रायपुर विपिन ठाकुर ने बाल विवाह के लिए कानून के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत पुरूष की आयु 21 वर्ष तथा महिला की आयु 18 वर्ष पूर्ण नहीं की है, उसे बाल विवाह माना जाएगा। उन्होंने बताया कि विवाह के लिए पुरूष की आयु 21 वर्ष तथा महिला की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। उन्होंने बाल विवाह निषेध नियम 2006 की विस्तृत जानकारी दी तथा बाल विवाह की रोकथाम के लिए कानूनी जानकारी दी। बाल विवाह को रोकने के लिए पुलिस विभाग एवं अन्य विभागों के कार्यों के संबंध में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए चाईल्ड लाईन को तत्काल सूचना देनी चाहिए। कार्यशाला का दो सत्र में आयोजन किया गया। पहले सत्र में पुलिस एवं महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा, चाईल्ड लाईन, पंचायत एवं नगरीय निकाय के प्रतिनिधि शामिल रहे। दूसरे सत्र में समाज प्रमुख, टेंट, ब्यूटी पार्लर सहित अन्य स्टेक होल्डर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यशाला में बाल संरक्षण अधिकारी श्री चंद्रकिशोर लाड़े एवं अन्य अधिकारी सहित समाज प्रमुख, वैवाहिक अनुष्ठान, इन्फ्युलेंसर, समुदाय आधारित संगठन, स्वयं सेवी संगठन, ज्वेलरी शॉप, ब्यूटीपार्लर, मेंहदी मेकर्स, लाइट मेन, बैंड पार्टी एवं डीजे संचालक, कैटरर्स उपस्थित रहे।







