Saturday, September 7

दंतेवाड़ा: माओवादी हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा में जनजातीय महिलाएं चला रहीं भोजनालय

दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा में जनजातीय महिलाओं के एक समूह ने भोजनालय संचालित करने का एक पथ-प्रदर्शक उद्यम शुरू किया है, ताकि उनके परिवारों के लिए सतत आजीविका सुनिश्चित हो सके. जिला प्रशासन द्वारा आजीविका सृजन गतिविधियों के तौर पर ‘मनवा ढाबा’ (मेरा ढाबा) नामक भोजनालय मई में गीदम-बीजापुर रोड पर बड़े करली गांव में शुरू किया गया था.

एक अधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन ने जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के तहत गीदम शहर से छह किलोमीटर दूर गौठान (पशु के लिए आश्रय) के बगल में 3,000 वर्ग फुट जमीन पर भोजनालय स्थापित करने के लिए धन मुहैया कराया था. उन्होंने कहा कि इस सुविधा का प्रबंधन गौठान से जुड़े ‘बॉस बोडिन’ स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की 10 महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो कभी घर के कामों और खेती की गतिविधियों तक ही सीमित थीं.

समूह के सदस्यों में से एक अर्चना कुर्रम ने कहा, ‘‘पहले, मेरा परिवार आजीविका के लिए केवल कृषि गतिविधियों पर निर्भर था. इस एसएचजी में शामिल होने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है. हमारा समूह गोबर खरीद योजना के माध्यम से अच्छा पैसा कमा रहा था और अब ढाबा अच्छा लाभ दे रहा है.’’ जिला प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन की पेशकश करने वाला भोजनालय स्थानीय लोगों के बीच कम समय में लोकप्रिय हो गया है और खास दिनों पर बिक्री लगभग 20,000 रुपये प्रति दिन तक पहुंच जाती है.

उन्होंने कहा कि भोजनालय ने अब तक आठ लाख रुपये का कारोबार किया है और इस सफलता से प्रेरित होकर समूह जल्द ही टिफिन सेवाएं शुरू करने की योजना बना रहा है. वर्तमान में समूह का प्रत्येक सदस्य 5,000 रुपये से 6,000 रुपये प्रति माह कमा रहा है. अधिकारी ने कहा कि इस पहल ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. दंतेवाड़ा के कलेक्टर विनीत नदानवर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि ये जनजातीय महिलाएं रूढ़ियों को तोड़कर एकसाथ आई हैं और ऐसी भूमिका निभाई जो कभी पुरुषों के प्रभुत्व में थीं.’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *