Saturday, September 7

बिजली दरों में वृद्धि वापसी की मांग , नियामक आयोग अध्यक्ष को माकपा ने सौंपा ज्ञापन

*भाजपा का जनविरोधी चेहरा हुआ उजागर* – *चुनाव निपटते ही बढ़ा दी कीमत*

 

माकपा ने बिजली दरों में की गई वृद्धि का तीव्र विरोध करते हुए इस वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए आज शाम माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य धर्मराज महापात्र, जिला सचिव प्रदीप गभने, जिला समिति सदस्य अतुल देशमुख, अजय कन्नौजे, के के साहू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री हेमंत वर्मा से भेंट कर उन्हें ज्ञापन सौंपा ।
माकपा ने प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ता सहित कृषि क्षेत्र के बिजली दरों में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इससे भाजपा का जनविरोधी चेहरा उजागर हो गया ।
पार्टी ने कहा कि चुनाव खत्म होते ही बिना किसी जनसुनवाई और जनता की राय के भाजपा ने एकतरफा तरीके से पहले से ही मंहगाई की मार से तबाह प्रदेश की जनता पर एक और हमला कर दिया । पार्टी ने कहा कि सभी स्लैब के घरेलू बिजली की दर में प्रति यूनिट 20 पैसे की वृद्धि का अर्थ है गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले गरीब लोगों का भी घरेलू बजट बिगड़ना क्योंकि इससे उनका बिजली बिल भी बढ़ गया । याने भाजपा सरकार ने उन्हें तक कोई राहत से इंकार कर दिया । नई दर के अनुसार 0 से 100 यूनिट तक के खपत पर 3.90 रुपए, 101 से 200 यूनिट पर 4.10 रुपए 201 से 400 यूनिट 5.50 रुपए, 401 से 600 यूनिट 6.50 रुपए और 600 यूनिट से अधिक के उपभोक्ता को 8.10 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा । अर्थात भाजपा सरकार ने गरीब से लेकर मध्यम वर्ग सभी पर कहर बरपा दिया । पार्टी ने कहा यदि कोई गरीब अगर 100 से 1 यूनिट भी अधिक बिजली खर्च करेगा तो उसे 3.90 रुपए की दर पर बिल का भुगतान करना होगा ।
पार्टी ने कहा कि केवल यही नहीं सरकार ने स्थिर प्रभार की राशि में भी 5 से लेकर 10 किलो वाट के लिए 20 से लेकर 40 रुपए प्रति किलोवाट तक की वृद्धि कर दी है। उसने किसानो को भी नहीं बख्शा और कृषि पंपों पर 25 पैसे की प्रति यूनिट की बढ़ोतरी कर दी, इससे जहां किसानों की और हालत खराब होगी वही उपज की लगात भी बढ़ेगी जबकि उसकी उपज की एम एस पी पर सी टू फार्मूले पर खरीद की गारंटी, वादे के बाद भी मोदी सरकार ने लागू नहीं किया है । इस वृद्धि से नए टैरिफ में 20 से लेकर 70 पैसे तक की बिजली की प्रति यूनिट में वृद्धि हुई है।
पार्टी ने अपने ज्ञापन में आयोग से इस प्रताव पर पुनर्विचार कर सरकार से बिजली दरों में इस वृद्धि के जनविरोधी फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की और ऐसा न होने पर पूरे प्रदेश में इसका तीव्र विरोध करने की चेतावनी दी है। पार्टी ने कहा कि आज जिस तथाकथित घाटे की बात हो रही है उसके लिए जनता नहीं विद्युत मंडल का विखंडन कर उसे अलग अलग कंपनियों में विखंडित करने वाली भाजपा ही है।

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