पेंशनरों को “मैं जिन्दा हूं” बताने जीवन प्रमाण पत्र बैंक में जमा करना “जी का जंजाल” बन गया है

*स्टेट बैंक मेन ब्रांच जयस्तंभ चौक रायपुर में पेंशनर्स को भारी असुविधा : बैंक व जिला प्रशासन संज्ञान में ले*

हर साल माह नवंबर में पेनशनभोगी कर्मचारियों को बैंक में एक बार जीवन प्रमाण पत्र जमा कर बताना पड़ता है कि *मैं जिंदा हूं* ताकि उन्हें लगातार मासिक पेंशन का भुगतान होता रहे। इसके लिए पेंशनरों को अनेक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। जीवन प्रमाण पत्र जमा हेतु अलग अलग बैंक में अलग अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही है। कोई बैंक निर्धारित प्रोफार्मा पर केवल हस्ताक्षर ले रहे हैं तो कई बैंक उंगलियो निशान साथ में आधार कार्ड, पेन कार्ड भी मांग रहे है। हद तो तब हो जा रही है जब उम्र अधिक होने से उंगलियों की रेखाएं घिस चुकी हैं और मसीन ट्रेस नहीं कर पा रहे हैं तो जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं हो रहे हैं। जबकि चेहरा प्रमाणीकरण की सुविधा भी है परंतु बैंक अधिकारी अभी समय नहीं है बाद में आना या कहीं और से करा लेना कहकर अपनी बला टाल रहे हैं जो उचित नहीं है। जब बैंक में पहले से आधार कार्ड और पेन कार्ड की जानकारी उपलब्ध है तो फिर से मांगने का क्या औचित्य है ।उक्त जानकारी जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक व भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने दी है।
राजधानी रायपुर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मेन ब्रांच जयस्तंभ चौक रायपुर में जीवन प्रमाण पत्र जमा करने आने वाले पेंशनरों को बहुत परेशानी है। यही एक ऐसा बैंक है जहां पेंशनरों हर काम के लिए सीढ़ी के सहारे बैंक के ऊपरी भाग में जाना पड़ता है। बुजुर्ग पेंशनरों सीढ़ी चढ़ने-उतरने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। कोई सुनने वाला नहीं है। जिला प्रशासन और बैंक प्रशासन को इसे संज्ञान में लेकर नीचे काउंटर मे समुचित व्यवस्था करने की मांग की है।
इसके लिए केन्द्र सरकार ने पेंशनरों की समस्याओं का अध्ययन कर बुजुर्ग असहाय पेंशनरों बैंक कर्मचारी को घर बुलाकर जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की सुविधा दी गई है, परंतु बैंक स्टॉफ की कमी बताकर अन्य दूसरा तरीका अपनाने का सलाह दे रहे हैं। जिसमें डिजिटल माध्यम से प्रमुख हैं। बुजुर्ग पेंशनरों को आज के ये नए तरीके समझ से परे है। वे किसी तरह बैंक में जाकर अपने जिन्दा होने का प्रमाण प्रस्तुत करना ही पसंद करते हैं। बैंक में बुजुर्ग पेंशनरों को बैंक अधिकारियों द्वारा सही व्यवहार नहीं मिल रहा है। एक तरफ यह नियम बताया जा रहा है कि किसी भी नजदीकी स्टेट बैंक के शाखा में कहीं भी जीवन प्रमाण पत्र जमा किया जा सकता है लेकिन बैंक अधिकारी पेंशनर को अपने खातेवाली बैंक में ही जमा करे कहकर टरकाने का काम कर रहे हैं।
जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के विभिन्न जिलों के पदाधिकारी क्रमश: वीरेन्द्र नामदेव,द्रोपदी यादव,जे पी मिश्रा,पूरनसिंह पटेल, अनिल गोल्हानी, बी एस दसमेर,बी के वर्मा,आर एन ताटी,दिनेश उपाध्याय, आर जी बोहरे,सी एम पांडेय,राकेश जैन,महेश पोद्दार,ओ पी भट्ट,बसंत गुप्ता,पिताम्बर पारकर,हेमंत टांकसाले,नागेश कापेवार,प्रवीण त्रिवेदी, डॉ पी आर धृतलहरे,एच एल नामदेव,के आर राजपूत,विनोद जैन, जे पी भारतीय,गायत्री गोस्वामी,अनूप डे, सी एल चंद्रवँशी, आई सी श्रीवास्तव, शैलेन्द्र कुमार सिंह,रामचंद्र नामदेव,शरद अग्रवाल,डॉ एस पी वैश्य,बी डी उपाध्याय,बी एल यादव,नरसिंग राम,आर के नारद, प्रदीप सोनी,सुरेश शर्मा,एस के चिलमवार,लोचन पांडेय,सुरेश मिश्रा,एस के एस श्रीवास्तव,आलोक पांडेय,तीरथ यादव,रमेशचन्द्र नन्दे,जगदीश सिंह,उर्मिला शुक्ला,कुंती राणा, वन्दना दत्ता,परसराम यदु,अनूप योगी,ओ डी उपाध्याय,बी एल गजपाल,एन के भटनागर, डी के त्रिपाठी, एम आर शास्त्री, मीता मुखर्जी, सोमेश्वर प्रसाद तिवारी,हरेंद्र चंद्राकर, इलियास मोहम्मद शेख, व्ही टी सत्यम, रैमन दास झाड़ी, मो. अय्यूब खान, रविशंकर शुक्ला, गुज्जा रमेश, सुरेश कुमार घाटोडे, लोकचंद जैन,नागेंद्र सिंह आदि ने बैंक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को इसे संज्ञान में लेकर पेंशनरों को समुचित व्यवस्था सुविधा मुहैया कराने की मांग किया है।

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