Saturday, July 27

किसानों की आय दोगुनी करना

नई दिल्ली (IMNB). किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी प्रयासों के अत्‍यंत सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस संबंध में सरकार ने ‘किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई)’ से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए अप्रैल, 2016 में एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया था जिसने इसे हासिल करने के लिए अनेक रणनीतियों की सिफारिश की थी। इस समिति ने सरकार को 14 खंडों में अपनी अंतिम रिपोर्ट सितंबर, 2018 में सौंपी थी जिसमें विभिन्न नीतियों, सुधारों और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति शामिल थी। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समिति ने आय बढ़ाने के निम्नलिखित सात स्रोतों की पहचान की:-

i.          फसलों की उत्पादकता में वृद्धि

ii.         पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि

iii.        संसाधन के उपयोग में दक्षता – उत्पादन लागत में कमी

iv.        फसल की सघनता में वृद्धि

v.         उच्च मूल्य वाली खेती की ओर विविधीकरण

vi.        किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना

vii.       अधिशेष श्रमबल को कृषि से हटाकर गैर-कृषि पेशों में लगाना

किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति की धारणा निम्नलिखित मुख्‍य सिद्धांतों पर आधारित है:

i.          उच्च उत्पादकता हासिल करके कृषि के समस्‍त उप-क्षेत्रों में कुल उत्पादन बढ़ाना

ii.         उत्पादन लागत को युक्तिसंगत बनाना/घटाना

iii.        कृषि उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना

iv.        प्रभावकारी जोखिम प्रबंधन

v.         टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को अपनाना

इस रणनीति के अनुसार सरकार ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की ज्‍यादा आय सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों, सुधारों, विकासात्मक कार्यक्रमों एवं योजनाओं को अपनाया और लागू किया है। इनमें निम्‍नलिखित शामिल है:

1. बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि

वर्ष 2015-16 में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग सहित) के लिए बजट आवंटन केवल 25460.51 करोड़ रुपये था। यह 5.44 गुना से अधिक बढ़कर 2022-23 में 1,38,550.93 करोड़ रुपये हो गया है।

2. पीएम किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता

2019 में पीएम किसान का शुभारंभ किया गया। यह 6000 रुपये प्रतिवर्ष तीन समान किस्तों में प्रदान करने वाली आय सहायता योजना है। इसके माध्यम से अब तक लगभग 11.3 करोड़ पात्र किसान परिवारों को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जारी की जा चुकी है।

3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)

छह साल के लिए- पीएमएफबीवाई 2016 में किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और कैपिंग के कारण बीमा राशि में कमी की समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। कार्यान्वयन के पिछले 6 वर्षों में- 38 करोड़ किसानों के आवेदनों का पंजीकरण किया गया है और 11.73 करोड़ (अनंतिम) से अधिक आवेदक किसानों के दावे प्राप्त हुए हैं। इस अवधि के दौरान, किसानों द्वारा प्रीमियम के अपने हिस्से के रूप में 25,185 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके लिए उन्हें 1,24,223 करोड़ रुपये (अनंतिम) से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावों के रूप में लगभग 493 रुपये का भुगतान किया गया है।

4. कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण

i.   2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 18.5 लाख करोड़ तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया।

ii.  पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को उनकी अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर केसीसी के माध्यम से रियायती संस्थागत ऋण का लाभ भी दिया गया है।

iii.  किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को कवर करने पर ध्यान देने के साथ रियायती संस्थागत ऋण प्रदान करने के लिए फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान चलाया गया है। 11.11.2022 तक, इस अभियान के हिस्से के रूप में 376.97 लाख नए केसीसी आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी स्वीकृत क्रेडिट सीमा 4,33,426 करोड़ रुपये है।

5.  उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना-

i.  सरकार ने 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत की वापसी के साथ सभी आवश्यक खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है।

ii.  धान (सामान्य) के लिए एमएसपी 2013-14 के 1310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2022-23 में 2040 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।

iii.  गेहूं के लिए एमएसपी 2013-14 में 1400 रुपये प्रति क्विंटल से से बढ़ाकर 2022-23 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।

6. देश में जैविक खेती को बढावा देना

I. देश में जैविक खेती को बढावा देने के लिए वर्ष 2015-16 में परम्‍परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई थी। 32384 क्लस्टर गठित किए गए हैं और 6.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जिससे 16.19 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इसके अतिरिक्‍त नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 123620 हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया और प्राकृतिक खेती के अंतर्गत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया। उत्तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, बिहार और झारखंड के किसानों ने नदी जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ अतिरिक्‍त आय प्राप्त करने के लिए गंगा नदी के दोनों जैविक खेती शुरू की है।

II. सरकार का भारतीय सांस्‍कृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) योजना के माध्यम से सतत प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को बढावा देने का भी प्रस्‍ताव है। प्रस्‍तावित योजना का उद्देश्‍य खेती की लागत में कटौती करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और संसाधन संरक्षण और सुरक्षित एवं स्वस्थ मृदा, पर्यावरण तथा भोजन सुनिश्चित करना है।

III. पूर्वोत्‍तर क्षेत्र जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) शुरू किया गया है। इसके तहत 379 किसान उत्पादक कंपनियों का गठन किया गया है, जिसमें 189039 किसान शामिल हैं और 172966 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।

7. प्रति बूंद अधिक फसल

प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना वर्ष 2015-16 के में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और उत्पादकता में वृद्धि करना है। अब तक वर्ष 2015-16 से पीडीएमसी योजना के माध्यम से 69.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।

8. सूक्ष्म सिंचाई कोष

नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये की आरंभिक निधि से एक सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है। वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में, निधि की राशि को बढ़ाकर 10000 करोड़ रुपये किया जाना है। 17.09 लाख हेक्टेयर के लिए 4710.96 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूर किया गया है।

  1. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्‍साहन
  1. कृषि कार्यों में अधिकतम निवेश के उद्देश्‍य से 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ नये 10,000 एफपीओ के गठन और प्रोत्‍साहन के लिए लिए माननीय प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी, 2020 को एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की थी।
  2. 31.10.2022 तक, 3855 एफपीओ को नई एफपीओ योजना के तहत पंजीकृत किया गया है।
  1. परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया है। मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 2020-2021 से 2022-2023 तक की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 2020-21 और 2021-22 के दौरान आज तक 139.23 करोड़ रुपये की 114 परियोजनाओं को एनबीएचएम के तहत वित्त पोषण के लिए स्वीकृति/मंजूरी दी गई है।

 

  1. कृषि यंत्रीकरण

मशीनीकरण कृषि के आधुनिकीकरण और खेती के कार्यों के कठिन परिश्रम को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। सब्सिडी के आधार पर किसानों को 13,88,314 मशीन और उपकरण प्रदान किए गए हैं। किसानों को कृषि यंत्र एवं उपकरण किराये पर उपलब्ध कराने के लिये 18,824 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 403 हाई-टेक केन्‍द्र एवं 16,791 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये गये हैं। चालू वर्ष अर्थात 2022-23 में अनुदान पर लगभग 65302 मशीनों के वितरण, 2804 सीएचसी, 12 हाई-टेक केन्‍द्र और 1260 ग्राम स्तरीय फार्म मशीनरी बैंक स्‍थापित करने के लिए अब तक 504.43 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

  1. किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना

पोषक तत्वों के इष्टतम उपयोग के लिए वर्ष 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई थी।किसानों को निम्नलिखित संख्या में कार्ड जारी किए गए हैं;

  1. चक्र-I (2015 से 2017) – 10.74 करोड़
  2. चक्र -II (2017 से 2019) – 11.97 करोड़
  3. आदर्श ग्राम कार्यक्रम (2019-20) – 19.64 लाख

13. राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) विस्तार प्लेटफार्म की स्थापना करना

(i) 22 राज्यों और 03 संघ राज्य क्षेत्रों की 1260 मंडियों को ई-नाम प्लेटफार्म से जोड़ा गया है।

(ii) दिनांक 31.10.2022 तक की स्थिति के अनुसार, ई-नाम पोर्टल पर 1.74 करोड़ से अधिक किसानों और 2.36 लाख व्यापारियों को पंजीकृत किया गया है।

(iii) दिनांक 31.10.2022 तक की स्थिति के अनुसार, ई-नाम प्लेटफॉर्म पर लगभग 2.22 लाख करोड़ रुपये के मूल्य वाली कुल 6.5 करोड़ मीट्रिक टन मात्रा व 19.24 करोड़ (बांस, पान के पत्ते, नारियल, नींबू और स्वीट कॉर्न) का सामूहिक रूप से व्यापार दर्ज किया गया है।

14. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन ऑयल पाम – एनएमईओ के शुभारंभ को 11,040 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है। इससे अगले 5 वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पाम वृक्षारोपण के तहत 6.5 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त क्षेत्र शामिल किया जाएगा। यह मिशन उद्योग द्वारा सुनिश्चित खरीद से जुड़े किसानों को सरल मूल्य निर्धारण सूत्र के साथ ताजे फलों के गुच्छों (एफएफबी) के व्यवहारिक मूल्य प्रदान करने पर केंद्रित है। यदि उद्योग द्वारा भुगतान की गई कीमत अक्टूबर, 2037 तक व्यवहार्यता मूल्य से कम रहती है तो केंद्र सरकार व्यवहारिक भावांतर भुगतान के माध्यम से किसानों को मुआवजा देगी है।

15. कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)

वर्ष 2020 में कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) की स्थापना के बाद से इस योजना के अंतर्गत देश में कृषि अवसंरचना के लिए 18133 से अधिक परियोजनाओं के लिए 13681 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। योजना के सहयोग से विभिन्न कृषि अवसंरचनाएं सृजित की गईं और कुछ अवसंरचनाएं पूर्ण होने के अंतिम चरण में हैं। इन बुनियादी ढांचे में 8076 गोदाम, 2788 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, 1860 कस्टम हायरिंग सेंटर, 937 छंटाई और श्रेणीकरण इकाइयां, 696 शीत गृह परियोजनाएं, 163 जांच इकाइयां और लगभग 3613 अन्य प्रकार की फसल तैयार होने के बाद की प्रबंधन परियोजनाएं और सामुदायिक कृषि संपत्तियां शामिल हैं।

16. कृषि उपज लॉजिस्टिक्स में सुधारकिसान रेल की शुरुआत

रेल मंत्रालय द्वारा किसान रेल को विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाली कृषि बागवानी वस्तुओं के परिवहन के लिए शुरू किया गया है। पहली किसान रेल जुलाई 2020 में शुरू की गई थी। 31 अक्टूबर, 2022 तक 167 मार्गों पर 2359 किसान रेल सेवाएं संचालित की जा चुकी हैं।

17. एमआईडीएच- समूह विकास कार्यक्रम:

समूह विकास कार्यक्रम (सीडीपी) को बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और पूर्व-उत्पादन, उत्पादन, कटाई के बाद, लॉजिस्टिक्स, ब्रांडिंग और विपणन गतिविधियों के एकीकृत और बाजार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डीए एंड एफडब्ल्यू ने 55 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 को सीडीपी के प्रायोगिक चरण के लिए चुना गया है।

18. कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का निर्माण

वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 के दौरान अब तक 1055 स्टार्टअप्स को डीए एंड एफ़डब्ल्यू के विभिन्न नॉलेज पार्टनर्स और एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर्स द्वारा अंतिम रूप से चुना गया है। कुल 6317.91 लाख करोड़ रुपये डीए एंड एफडब्ल्यू द्वारा सहायता अनुदान के रूप में संबंधित नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और आरकेवीवाई रफ़्तार एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर (आर-एबीआई) को इन स्टार्टअप्स को वित्त पोषण के लिए जारी किए गए हैं।

19. कृषि और संबद्ध कृषि-वस्तुओं के निर्यात में उपलब्धि

देश ने कृषि और संबद्ध वस्तुओं के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हासिल की है। वर्ष 2015-16 की तुलना में कृषि और संबद्ध निर्यात 2015-16 में 32.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, अर्थात इसमें 53.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उपरोक्त संदर्भ में, यह जानकारी दी जाती है कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय [राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ)] ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि वर्ष जुलाई 2012- जून 2013 के सन्दर्भ में, एनएसएस के 70वें दौर (जनवरी 2013-दिसंबर 2013) और कृषि वर्ष जुलाई 2018- जून 2019 के संदर्भ में, एनएसएस के 77वें दौर (जनवरी 2019- दिसंबर 2019) के दौरान कृषि परिवारों का ‘स्थिति मूल्यांकन सर्वेक्षण’ (एसएएस) आयोजित किया था। इन सर्वेक्षणों के आधार पर, एनएसएस के 70वें दौर (2012-13) और एनएसएस के 77वें दौर (2018-19) के लिए प्रति कृषि परिवार की अनुमानित औसत मासिक आय क्रमशः 6426 रुपये और 10,218 रुपये निर्धारित की गई थी।

सरकार के प्रयासों से इन योजनाओं के सकारात्मक कार्यान्वयन के फलस्वरूप किसानों की आय-वृद्धि की दिशा में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त हुए हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक पुस्तक जारी की है, जिसमें असंख्य सफल किसानों में से 75,000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने अपनी आय में दोगुने से अधिक की वृद्धि की है।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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