कृषि विज्ञान केन्द्र की स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा

किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से जोड़ें : डॉ. लकपाले
कृषक केवीके के साथ जुड़कर उन्नत कृषि तकनिकों को अपनाकर अपनी और आय बढ़ाये
बेमेतरा । कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा में बुधवार को केवीके की स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ में स्थापित सभी केवीके में भी स्वर्ण जयंती मशाल का प्रतीकात्मक एक केवीके से दूसरे केवीके में यात्रा कर रहा है। इस मशाल यात्रा का मुख्य उद्देश्य किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच एकता, प्रगति और सेवा की भावना को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र लकपाले, निदेशक प्रक्षेत्र, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर थे। वही विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. आर. के. वर्मा, प्रमुख वैज्ञानिक, राष्ट्रीय बीज परियोजना, डॉ. संदीप भंडारकर, अधिष्ठाता, रेवेन्द्र सिह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया, बेमेतरा के साथ डॉ. अंगद सिंह राजपूत, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, केवीके, भांठापारा शामिल हुए। । मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र लकपाले, ने उद्बोधन में क्षेत्र के कृषकों को केवीके के साथ जुड़ने और उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. लकपाले ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र ने हमेशा किसानों के हित में कार्य किया है और उन्नत तकनीकों के माध्यम से उनकी आय में वृद्धि करने का प्रयास किया है। उन्होंने कृषकों को पारंपरिक खेती से हटकर नई और आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया, जिससे वे अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकें।
कार्यक्रम के दौरान किसानों को कई नई कृषि तकनीकों और उनकी उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। मशाल यात्रा के इस आयोजन का उद्देश्य न केवल केवीके की उपलब्धियों का जश्न मनाना था, बल्कि क्षेत्र के किसानों को नई तकनीकों से परिचित कराना भी था।
कार्यक्रम की शुरूआत में केवीके, बेमेतरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, तोषण कुमार ठाकुर ने केवीके की स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा के बारे में बताया प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में सर्वप्रथम केवीके की स्थापना पांडिचेरी में वर्ष 1974 में आई.सी.ए.आर. नई दिल्ली द्वारा पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस पायलेट प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कृषि अनुसंधान केन्द्रों द्वारा कृषकों के लिए जो बहुउपयोगी उन्नत कृषि तकनीक विकसित की जाती है उनका केवीके के माध्यम से विकसित कृषि तकनीकों का परीक्षण, प्रदर्शन एवं अन्य प्रसार कार्य के माध्यम से उन तकनीकों को किसानो तक पहुंचाना एवं अनुसंधान केन्द्र एवं किसानों को केवीके के द्वारा एक कड़ी के रूप में जोड़ना था।
इससे देश में कृषि के क्षेत्र में काफी प्रगति एवं उपलब्धियां प्राप्त हुई। इस प्रकार वर्ष 2024 में भारत में केवीके की शुरूआत का 50 वर्ष पूर्ण हो चुका है इस उपलक्ष्य में पूरे भारत के 731 केवीके में केवीके की स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा आयोजन किया जा रहा है।
डॉ. संदीप भंडारकर ने देश में जो कृषि, विशेषकर खाद्यान्न के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल हुई है उसके बारे में कृषकों को संक्षेप में जानकारी दिया। केवीके की स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा का अगला पड़ाव केवीके, भांठापारा है इसी तारतम्य में कार्यक्रम के अंत में अतिथियों एवं कृषकों के समक्ष केवीके की स्वर्ण जयंती मशाल का प्रतीक चिन्ह को केवीके बेमेतरा के प्रमुख के द्वारा केवीके भांठापारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अंगद सिह राजपूत को सुपुर्द किया गया। तदोपरांत निदेशक प्रक्षेत्र ने केवीके बेमेतरा की प्रक्षेत्र में संचालित विभिन्न गतिविधयों का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर केवीके बेमेतरा के डॉ. जितेन्द्र कुमार जोशी, डॉ. तृप्ति ठाकुर, एवं श्री शिव कुमार सिन्हा के साथ जिले के 40 से अधिक कृषकों की उपस्थिति रही।

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