प्रदेश के शासकीय कर्मचारी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन का किया घोषणा

*नवा रायपुर 24 जून 2023 :: छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा से संबद्ध संगठन छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ,छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी संघ, शिक्षक संगठन/एसोसिएशन एवं प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठनों के प्रांत अध्यक्षों ने  आज इंद्रावती भवन में मैराथन बैठक में रायशुमारी के बाद  चरणबद्ध  हड़ताल करने का बिगुल फूँक दिया है।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, महासंघ के संयोजक कमल वर्मा, मंत्रालय संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत एवम् मोर्चा के प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि प्रदेश भर के शासकीय सेवक पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 7 जुलाई 2023 को प्रांतव्यापी बंद कर जिला,ब्लॉक/तहसील में सामूहिक अवकाश लेकर धरना,प्रदर्शन एवम् रैली निकालकर एवम् 1 अगस्त 2023 से अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।*
*संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों ने बताया कि सातवे वेतन पर गृहभाड़ा भत्ता (HRA),केंद्र के समान  कर्मचारियों एवम्  पेंशनरों को देय तिथि से महँगाई भत्ता (DA),पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने,जन घोषणा पत्र अनुसार चार स्तरीय वेतनमान सहित अनियमित/दैनिक वेतन भोगी/अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण, राज्य में लागू किये गए पुरानी पेंशन योजना (OPS) में पेंशन पात्रता/निर्धारण हेतु शिक्षक (एल बी)/अन्य संवर्गों की अहर्तादायी सेवा की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से  किये जाने जैसे मुददों पर राज्य शासन द्वारा अब तक समाधानकारक निर्णय नहीं लिये जाने के विरुद्ध 7 जुलाई को प्रदेश के सरकारी दफ्तर बंद करने का निर्णय लिया है। उन्होंने संयुक्त मोर्चा के निर्णय के संबंध में आगे जानकारी दिया कि यदि सरकार ने अपना टालमटोल/दमनकारी नीति जारी रखा तो अगस्त क्रांति के स्वरूप राज्य के कर्मचारी-अधिकारी 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।*
*उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिंगुआ कमेटी का गठन 17 सितंबर 2021 को प्रदेश के कर्मचारियों/अधिकारियों के लंबित 14 सूत्रीय माँगों जैसे वेतन विसंगति,प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को देय तिथी से महँगाई भत्ता,सभी विभागों में लंबित संवर्गीय पदोन्नति,समयमान एवं तृतीय समयमान का लाभ से संबंधित विषयों के लिए हुआ था। लेकिन कमेटी ने कर्मचारी एवं उसके परिवार के हित में छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट सौंपना भी मुनासिब नहीं समझा ! उल्टे छत्तीसगढ़ शासन के टालमटोल नीति के तहत 25 मई 2022 को वेतन विसंगति का परीक्षण कर वेतनमान में संशोधन करने सामान्य प्रशासन विभाग (नियम शाखा) के अध्यक्षता में एक और समिति का गठन कर दिया। छत्तीसगढ़ शासन ने कर्मचारियों/अधिकारियों के प्रथम दृष्टया वास्तविक सेवालाभ को देने के मुद्दे को भी कमेटी अथवा समिति के हवाले किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला ! कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है अथवा दमनकारी कार्यवाही का सामना करना पड़ा है।*

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