Friday, July 26

भारत में घट रही हिंदुओं की आबादी, जानें बाकी धर्मों का क्या है हाल

India Hindu Population: देश में पिछले 65 साल में हिंदुओं की आबादी 8% कम हो गई है, जबकि इस दौरान मुस्लिम आबादी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. ‘धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी का देशभर में विश्लेषण’ नाम से पब्लिश रिपोर्ट में बताया गया है कि पारसी और जैन समुदाय को छोड़ दें तो भारत के सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में कुल 6.58% का इजाफा हुआ है.

देश की आजादी के बाद से 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी कम हुई है. बहुसंख्यक हिंदुओं की आबादी 1950 और 2015 के बीच 7.82% घट गई है. जहां मुस्लिमों की आबादी में ऑवरऑल 43.15% का इजाफा देखने को मिला है. इस तरह मुस्लिमों की 1950 में 9.84% रही आबादी 14.09% पर पहुंच गई है. वहीं, ईसाई धर्म के लोगों की आबादी की हिस्सेदारी 2.24% से बढ़कर 2.36% हुई है. ठीक ऐसे ही सिख समुदाय की आबादी 1.24% से बढ़कर 1.85% हो गई है.

65 सालों में किस धर्म के कितने लोगों की आबादी बढ़ी-घटी?

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में हिंदू आबादी 1950 में 84.68% थी, जो 2015 तक घटकर 78.06% हो गई. इस दौरान मुस्लिम आबादी का हिस्सा 1950 में 9.84% से बढ़कर 2015 में 14.09% हो गया. आजादी के तीन साल बाद ईसाई समुदाय की देश में आबादी 2.24% थी, जो 2015 में बढ़कर 2.36% हो गई. 1950 में सिख समुदाय के लोगों की संख्या देश में 1.24% थी, जिसमें इजाफा देखने को मिला और 2015 तक वे 1.85% हो गए.

इस दौरान बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या भी बढ़ी है. बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 1950 में 0.05% से 2015 आते-आते 0.81% की उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली. इस दौरान जैन समुदाय की हिस्सेदारी 0.45% से घटकर 0.36% हुई, जबकि पारसी आबादी 0.03% से घटकर 0.004% रह गई.

देश की धार्मिक आबादी पर रिपोर्ट किसने तैयार की है?

पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट में देश की धार्मिक आबादी की जानकारी दी गई है. इस रिपोर्ट को ईएसी-पीएम की सदस्य शमिका रवि, ईएसी-पीएम के कंसल्टेंट अपूर्व कुमार मिश्रा और ईएसी-पीएम के प्रोफेशनल अब्राहम जोस ने तैयार किया है. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि देश में समाजिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण मिल रहा है.

शमिका रवि ने अपने पेपर में कहा है कि उदाहरण के तौर पर भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां अल्पसंख्यकों की कानूनी परिभाषा है. उनके लिए संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार प्रदान है. इन प्रगतिशील नीतियों और समावेशी संस्थानों के परिणाम भारत के भीतर अल्पसंख्यक आबादी की बढ़ती संख्या के रूप में दिखाई देते हैं.

पाकिस्तान समेत भारत के पड़ोसी देशों का क्या हाल है?

रिपोर्ट में बताया गया है कि बहुसंख्यक आबादी में गिरावट के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. पहला नंबर म्यांमार का है, जहां बहुसंख्यक आबादी में पिछले 65 वर्षों में 10% की गिरावट देखी गई है. भारतीय उपमहाद्वीप को लेकर कहा गया है कि मालदीव इकलौता ऐसा मुस्लिम बहुसंख्यक देश है, जहां मुस्लिमों की आबादी में गिरावट हुई है. मालदीव में बहुसंख्यक समूह की हिस्सेदारी में 1.47% की गिरावट आई.

वहीं, बांग्लादेश में बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में 18% की वृद्धि हुई, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी वृद्धि है. बांग्लादेश में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है. अगर पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में 3.75% की वृद्धि और 10% की कुल मुस्लिम आबादी में वृद्धि देखी गई.

 

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