राम के सेवक जवाहर नागदेव की राम…राम…   कितना उचित सचिन पायलट का बयान

वन्देमातरम्….
राम के सेवक जवाहर नागदेव की राम…राम…
कितना उचित सचिन पायलट का बयान

लग गयी फिटकरी, खर्ची हींग, नतीजा जीरो, फेल मीटिंग;
सभी दलों की अपनी डफली, हर दल हांके अपनी डींग

{ है न मजेदार:- सुना भाई चंगू’, ‘क्या भाई मंगू?’ ‘कांग्रेस के महासचिव छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट ने कहा है कि भाजपा चुनावी लाभ के लिये जल्दबाजी में उद्घाटन कर रही है’
‘तो’?
‘तो ये कि पहले जब मामला कोर्ट में था तो यही  लोग ताना मारते थे कि भाजपा कहती है कि मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे… और कब बनेगा मंदिर आदि… , फिर कोर्ट से निर्णय आ गया, काम चालू हो गया और अब प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो कहते हैं जल्दबाजी कर रही है भाजपा’,
‘यानि चित भी मेरी पट भी मेरी’

‘और नही ंतो क्या, ऐसे में यदि मंदिर बनने में वक्त लगता तो कहते देखा इनकी नीयत मंदिर बनाने की कभी थी ही नहीं, ये तो केवल चुनावी लाभ लने के लिये पब्लिक को हमेशा बेवकूफ बनाते आ रहे हैं’}

मसाले भी खतम
रंग भी नहीं आया

अपने यहां कहावत है कि ‘हींग लगी न फिटकरी फिर भी रंग चोखा’ पर इसमें इण्डिया गठबंधन के लिये ये लाईन जोड़ी जाए तो ज्यादा सही होगा कि ‘हींग लगी न फिटकरी फिर भी रंग चोखा, अपनी-अपनी सभी पसारें, देते इक-दूजे को धोखा’।
विपक्ष के गठबंधन इण्डिया के लिये उपरोक्त लाईनें एक दम सही बैठती हैं कि ‘फिटकरी भी लग गयी, खर्च हुई हींग, नतीजा जीरो, फेल मीटिंग; सभी दलों की अपनी डफली, हर दल हांके अपनी डींग’।
अपना पावर ज्यादा दिखाकर अपने लिये अधिक से अधिक सीटें लेने के प्रयास में सभी तरह के लटके-झटके आजमा रहे हैं और निश्चित रूप से एक-दूसरे पर वार भी कर रहे हैं। प्रत्यक्ष भी और ढके-छिपे भी। बस एक ही बात को बार-बार कहते हैं कि इंडिया गठबंधन की पार्टियों के पास कुल मिलाकर दो तिहाई वोट हैं। जबकि एनडीए को पिछले चुनाव में केवल एक तिहाई वोट ही मिले थे।

बात में दम है लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि जब सीट बंटवारे की बात आती है तो इस दो तिहाई वोट के अंदर बंटवारे की सूरत नजर आने लगती है। क्योंकि कोई भी अपनी सीट किसी और के लिये त्यागना नहीं चाहता। फिर अपने-अपने वोट बैंक के लिये भी जूतमपैजार छिपी नहीं है। इसलिये ये संभावना बनती दिखती है कि साथ चलने का दावा करने वाले आमने-सामने नजर आने लगें।
दूसरी बात ये है कि अब तक गंगा में बहुत सा पानी बह चुका है। यानि पिछले चुनाव और अब के चुनाव में काफी अंतर नजर आ रहा है। पहले की तुलना में कांग्रेस कई गलत कदम उठा चुकी है जिससे उसकी स्थिति और कमजोर हुई है।
साथ ही मोदीजी के कई कदमों से समूचा विपक्ष कई बार धर्मसंकट में फंसा है जिससे आम जनता के मन मे मोदीजीे के प्रति स्नेह और विपक्ष के प्रति विरक्ति नजर आई है। तो ये कहना कि अब भी पिछला वाला वोट बैंक कायम है शायद सही न हो।

अब ‘दूसरी भाजपा सरकारों’ को
कम भ्रष्ट बताएंगे राहुल गांधी

अपनी न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने आसाम के मुख्यमंत्री हेमन्त विश्वशर्मा की सरकार को सबसे भ्रष्ट सरकार बता दिया। अब प्रश्न ये उठता है कि अन्य भाजपा सरकारों को कितना भ्रष्ट बताएंगे, क्योंकि सबसे भ्रष्ट तो आसाम की सरकार को बता चुके हैं।
राहुल गांधी के इस सर्टिफिकेट से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को राहत की सांस लेनी चाहिये कि उन पर ‘सबसे’ भ्रष्ट का आरोप नहीं लग पाएगा।
पत्रकार भी चरण वंदन मे लगे रहते हैं और जो चरण वंदन में नहीं लगे होते तो चुपचाप अपना काम खबर बनाने का करते हैं, तनख्वाह पाते हैं और बस यूं ही काम चलता रहता है।
 यही कारण है कि कोई भी राहुल गांधी से ये नहीं पूछता कि आप तो शिवजी के घनघोर भक्त हैं, आपने तो शिव को पढ़ लिया है, समझ लिया है, आप राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में क्यों नहीं जा रहे।
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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