महासमुंद । महासमुंद जिले के भिथीडीह गांव की इच्छा बाई एक समय अपनी छोटी सी झोपड़ी में कठिनाइयों से जूझ रही थी। उनके पास न कोई पक्का घर था और न ही स्थायी आमदनी का स्रोत। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी और वे दिन-रात अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में डूबी रहती थीं। उन्होंने पति के निधन के बाद कई चुनौतियों का सामना किया।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें एक पक्का घर मिला, जिसने उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा की भावना जगाई। अब वे और उनका परिवार एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में रह रहे हैं। इस नए घर ने उनकी ज़िंदगी को नई दिशा दी और उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का मौका मिला।
सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत उन्हें मजदूरी के अवसर भी मिले। इससे उन्हें न केवल आर्थिक सहायता मिली, बल्कि आत्मनिर्भरता का भी अनुभव हुआ। नियमित मजदूरी ने उनकी आमदनी को स्थिर किया और उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देने का मौका मिला।
आज इच्छा बाई की कहानी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने न सिर्फ अपनी स्थिति को सुधारा, बल्कि अपनी मेहनत और समर्पण से अपने परिवार को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला। सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन और उनकी मेहनत ने उन्हें एक बेहतर और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दिया।