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जिन मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान कम होगा उनका मंत्री पद खतरे में… जब से मोदीजी का ये ऐलान सुना है तब से अपने झण्डू भैया की जान उपर की उपर और नीचे की नीचे हो रही है।
उनका अपना तो कोई मंत्री नहीं है न वे खुद मंत्री हैं पर फिर भी संवेदनशील इंसान हैं लिहाजा मंत्रियों पर मण्डरा रहे खतरे को महसूस कर सकते हैं।
कितनी कठनाई से विधायक का टिकट मिला, फिर कितनी कठनाई से विधायक का चुनाव जीता है। विधायक बनने के बाद कितनी कठनाई से मंत्री पद पाया है।
ये सारे कष्ट सहकर इस मुकाम पर पहुंचे हैं। इसके बाद कहते हैं मतदान कम होगा तो मंत्री पद छीन लेंगे, ये क्या जुल्म है भाई ? यानि मंत्री बनकर भी ऐसी-तैसी करवाएं ? झण्डू की बात पर बण्डू मुस्कुराकर रह गये।
ईनाम पांच लाख
झण्डू का डायलाॅग जारी था कि एक लोकसभा प्रत्याशी ने सार्वजनिक घोषणा की है कि उसकी लोकसभा में जिस विधानसभा से सबसे अधिक वोट मिलेंगे उस क्षे़त्र के विधायक को पांच लाख रूप्ये इनाम मिलेगा कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी करने के लिये।
झण्डू बदस्तूर जारी रहे कि अब बताओ खुलेआम तो पांच लाख बता रहे हैं, बंद कमरे में कितने दे चुके होंगे ये किसको पता.. ? हर प्रत्याशी के खर्च की सीमा चुनाव आयोग ने तय कर रखी है मगर सब जानते हैं कि चुनाव जीतने के लिये बेहिसाब मनी, मसल्स और माईण्ड चाहिये। जहां तक मनी की बात है तो सबको पता है कि हर लोकसभा में छह-आठ करोड़ खर्च होना आम बात है।
खर्च सीमा
छोटे-बड़े राज्यों की खर्च सीमा अलग-अलग है। बड़े राज्यों में खर्चसीमा अधिकतम 95 लाख कर दी गयी है। छोटे राज्यों और संघशासित प्रदेशों मे 75 लाख तक खर्च कर सकते हैं।
चुनावी खर्च से खार खाए अपने बण्डू भैया ने कहा कि हद हो गयी यार, टीएन शेषन ने नियम कड़ाई से लागू करके बैनर, पोस्टर, पोंगे, कार्यालय, गाड़ियांे पर तो लगाम लगा दी मगर फिर भी खर्च कम नहीं हुआ।
क्योंकि इन सब खर्चांे की जगह नगद नारायण ने ले ली। अब तो खुलेआम कैश बंटता है। पूरी ईमानदारी के साथ घर के जितने वोट हिसाब से उतना कैश….
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
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