Thursday, October 17

यदि स्वर्ग है तो वह भारत में है, यदि स्वर्गीय आत्मा है तो वह मेघालय में है, उपराष्ट्रपति ने टिप्पणी की

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर-पूर्व देश के विकास के केंद्र में है


उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र की एकता, आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक सार में उत्तर-पूर्व का महत्वपूर्ण योगदान है

उपराष्ट्रपति का कहना है कि लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट नीति के परिणामस्वरूप क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ

उप-राष्ट्रपति ने जोर देते हुए कहा कि ऐसी जानकारी का स्वतंत्र प्रसार, जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है, सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए

उप-राष्ट्रपति ने कहा, “हम ऐसा नहीं बन सकते, जो अपने राष्ट्र के प्रति अपनी मूल प्रतिबद्धता को नजरअंदाज करें

New Delhi (IMNB). उप-राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा, “उत्तर-पूर्व भारत देश के विकास के केंद्र में है।“ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व भारत राष्ट्रीय एकता, आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक सार का महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। उत्तर-पूर्व को अपने देश का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए, श्री धनखड़ ने “लुक ईस्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों की सराहना की, जिन्होंने क्षेत्र में संचार, कनेक्टिविटी और हवाई अड्डों के विकास में अभूतपूर्व वृद्धि की है।

अज्ञानता और गलत जानकारियों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि क्या सार्वजनिक मंचों पर बिना किसी तथ्यात्मक आधार वाली जानकारी के निर्बाध प्रसार की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे पूछा कि क्या हम अपने राष्ट्र के प्रति अपनी बुनियादी प्रतिबद्धता को नजरअंदाज करते हुए लापरवाह बनकर रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत प्रगति की राह पर है और यह अविभाज्य है और युवाओं को जागरूक करने पर जोर दिया। श्री धनखड़ ने आगे युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और महत्वपूर्ण हितधारक हैं।

आज शिलांग में मेघालय स्किल एंड इनोवेशन हब के शिलान्यास समारोह में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौशल को न तो खोजा जाता है और न ही नवीनीकृत किया जाता है, वास्तव में यह किसी व्यक्ति के विशेष क्षेत्र में प्रतिभा का सर्वोत्तम उपयोग है, जो मानव संसाधन को गुणात्मक बढ़त देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कौशल अब एक गुण ही नहीं, यह हमारी जरूरत भी है।

उप-राष्ट्रपति ने कौशल विकास और उद्यमिता के लिए एक समर्पित मंत्रालय के गठन और पांच वर्षों की अवधि में 5 लाख युवाओं के इंटर्नशिप के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि गांवों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को कौशल केंद्रों का हब होना चाहिए।

मेघालय में अपने अनुभव के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर कहीं स्वर्ग है तो वह भारत में है, अगर कोई स्वर्गीय आत्मा है तो वह मेघालय में है।“ उन्होंने जोर देकर कहा कि मेघालय की अर्थव्यवस्था का इंजन अकेले पर्यटन द्वारा संचालित किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति ने मेघालय को भरपूर उपहार दिया है और उनसे मानव संसाधन के रूप में अत्यंत प्रतिभाशाली कुशल लोगों के माध्यम से इसका पूरा फायदा उठाने का आग्रह किया।

इस अवसर पर मेघालय के राज्यपाल श्री सी.एच. विजयशंकर, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कॉनराड के संगमा, कैबिनेट मंत्री डॉ. माजेल अम्परीन लिंडोह, मेघालय सरकार के मुख्य सचिव श्री डोनाल्ड फिलिप्स वाहलांग और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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