भारत ने लीथ के कोमल आवरण वाले कछुए के लिए वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन सुरक्षा को सुदृढ़   किया

नई दिल्ली (IMNB). वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस) के परिशिष्ट II से परिशिष्ट I में लीथ का  कोमल आवरण वाले कछुए (सॉफ्ट-शेल्ड टर्टल के लिए) (निल्सोनिया लेथि) को स्थानांतरित करने के भारत के प्रस्ताव को पनामा में हुए बैठक में पक्षकारों के सम्मेलन (सीओपी) 19वीं बैठक में में अपनाया लिया गया है ।

इस आशय का प्रस्ताव 23 नवंबर 2022 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिदेशक और विशेष सचिव, श्री चंद्र प्रकाश गोयल द्वारा तब  प्रस्तुत किया गया था, जब सीओपी  की  समिति I  ने प्रस्ताव पर विचार किया था।

लीथ का कोमल आवरण वाला कछुआ एक बड़ा ताजे पानी का नरम खोल वाला कछुआ है जो प्रायद्वीपीय भारत के लिए स्थानिक है और नदियों और जलाशयों में मिलता है। यह प्रजाति पिछले 30 वर्षों में अत्यधिक शोषण के अधीन रही है।  भारत के भीतर अवैध रूप से इसका शिकार किया गया और इसका सेवन भी किया गया। मांस और इसकी कैलीपी के लिए विदेशों में भी इसका अवैध रूप से कारोबार किया गया है। इस कछुए की प्रजाति की आबादी में पिछले 30 वर्षों में 90%की गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जिससे कि अब इस प्रजाति को खोजना मुश्किल है। इसे अब अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन)  द्वारा ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ प्राणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

यह प्रजाति वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV में सूचीबद्ध है  जो इसे शिकार के साथ-साथ इसके व्यापार से भी सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि, संरक्षित कछुओं की प्रजातियों का अवैध शिकार और अवैध व्यापार भारत में एक बड़ी चुनौती है क्योंकि हर साल यहां इसके हजारों नमूनों की बरामदगी होती है। जब्त नमूनों की प्रजाति स्तर की पहचान करना भी एक चुनौती है। कछुओं और मीठे पानी के कछुओं को अंतरराष्ट्रीय पालतू पशु बनाने, इसके  मांस और कैलीपी के व्यापार के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में इसकी अवैध घरेलू खपत के लिए लक्षित किया जाता है।

सीआईटीईएस परिशिष्ट I  में इस कछुओं की प्रजातियों की सूची को रखा जाना  यह सुनिश्चित करेगा कि इन प्रजातियों में कानूनी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं होता है। इससे यह यह भी सुनिश्चित होगा कि संरक्षित प्रजाति के नमूनों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केवल पंजीकृत सुविधाओं से ही हो सकता  है और इसके बाद आगे ऐसी प्रजातियों के अवैध व्यापार के लिए उच्च और अधिक आनुपातिक दंड प्रदान किया जाएगा।

लीथ के कोमल–आवरण कछुए की सूची के परिशिष्ट में बदलाव से  इसकी सीआईटीईएस  सुरक्षा स्थिति भी मजबूत होती है इन प्रजातियों के बेहतर अस्तित्व को सुनिश्चित किया जा सके।

वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस)  के लिए सीओपी की 19वीं बैठक आजकल 14 से 25 नवंबर 2022 तक पनामा में आयोजित की जा रही है। परिशिष्ट II में जयपुर हिल गेको (साइरटोडैक्टाइलस जेपोरेंसिस) को शामिल करने और परिशिष्ट से ताजे मीठे  पानी में पाए जाने वाले रेड- क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल (बटागुर कचुगा) के हस्तांतरण के लिए भारत प्रस्ताव सीआईटीईएस के II से परिशिष्ट  I में स्थानांतरण में को भी इस बैठक में सीओपी  द्वारा अपना लिया गया है।

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