Saturday, July 27

ISRO: साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर चंद्रयान-3 तक, ऐसा रहा है हमारा अंतरिक्ष फतह का सफर

History Of ISRO: एक समय था, जब भारत में रॉकेट के पुर्जों को साईकिल पर ले जाया जाता था। आज वही भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान रच रहा है। आइए पढ़ते हैं इस संघर्षों से भरे प्रेरणादायक और खूबसूरत सफर के बारे में।

Chandrayaan-3: साल 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब देश की स्थिति बेहद खराब थी। ऐसे में अंतरिक्ष में जाने की कल्पना करना भी बहुत दूर की बात थी, लेकिन हमने सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया और दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया। अपने बुलंद हौसलों में जिस देश के वैज्ञानिकों ने साइकिल और बैलगाड़ियों पर रॉकेट को ढोया, आज उसके चंद्रयान-3 मिशन पर दुनियाभर की नजर है। आइए इस ऐतिहासिक अवसर पर जानते हैं कि भारत का अंतरिक्ष का सफर कैसा रहा।

 कब हुई थी इसरो की स्थापना?

साल 1962 में भारत ने अंतरिक्ष का सफर करने का फैसला किया और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की। बाद में डॉ. विक्रम साराभाई ने उन्नत टेक्नोलॉजी के विकास के लिये 5 अगस्त, 1969 को इसका नाम बदलकर ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) कर दिया गया। आज इसरो को दुनिया की 6 सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक के रूप में जाना है।

पहली लॉन्चिंग

साल 1963 की बात है, थुंबा से अपने पहले साउंडिंग रॉकेट के साथ भारत के औपचारिक अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शुरुआत से ही इसरो ने अपनी योजनाओं को अच्छी तरह से लागू करके खुद को आत्मनिर्भर करने पर काम किया। 19 अप्रैल 1975 को भारत ने अपने पहले सैटेलाइट ‘आर्यभट्ट’ को रूस के लॉन्च सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया और अंतरिक्ष की दुनिया में अपना नाम दर्ज कराया। हालांकि, यह एक एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट था, लेकिन इसने भारत के सुनहरे भविष्य के लिये नींव तैयार की थी। उस दौर में इस सैटेलाइट को बनाने और लॉन्च करने में 3 करोड़ का खर्च आया था।

ये थी बड़ी उपलब्धियां

18 जुलाई, 1980 को इसरो ने एसएलवी-3 का सफल परीक्षण किया। इस सफल परीक्षण के साथ भारत ने अपना नाम दुनिया के उन देशों में शामिल कर लिया था, जो अपने सैटेलाइट्स को खुद लॉन्च करते थे। इसके माध्यम से इसरो ने रोहिणी सैटेलाइट (आरएस-1) को पृथ्वी के ऑर्बिट में स्थापित किया।

साल 1983 में दूर संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम पूर्वानुमान के लिए इनसैट-1बी को प्रक्षेपित किया गया।

साल 1994 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का सफल प्रक्षेपण किया। इस लॉन्च व्हीकल की मदद से अब तक 50 से अधिक सफल मिशन लॉन्च किए जा चुके हैं।

इसके बाद 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया। 1380 किलोग्राम के चंद्रयान-1 को काफी उम्मीदों के साथ भेजा गया।

एक दौर में साइकिल पर रॉकेट का सामान ढोने वाले इसरो ने साल 2014 में कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। इसरो ने 450 करोड़ रुपये के किफाइती मिशन मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल की धरती पर उतारकर कीर्तिमान स्थापित किया। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बना।

22 जुलाई, 2019 को भारत ने अपना दूसरा मून मिशन, चंद्रयान-2 लॉन्च किया। हालांकि, मिशन असफल रहा लेकिन इसे एक उपलब्धि के तौर पर देखा गया।

14 जुलाई, 2023 को भारत ने चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया है। इसरो की कोशिश है कि स्पेसक्राफ्ट की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करा दी जाए। अगर चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलता पूर्वक उतर जाता है, तो यह इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्थि होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *