Saturday, July 27

जगदलपुर : संभाग के देवगुड़ी एवं मातागुड़ियों का किया गया जीर्णोद्धार

’जनजातीय आस्था केन्द्र देवगुड़ी एवं मातागुड़ी को बस्तर विकास प्राधिकरण एवं अन्य मदों से जा रहा है संवारा ’
बस्तर के वीर-वीरांगनाओं के स्मृति को चिरस्थायी बनाने प्रतिमा स्थापना के कार्यों को दी जा रही है प्राथमिकता

जगदलपुर 08 अगस्त 2023/ बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जहाँ पर सदियों से जनजातीय जन निवास कर रहे हंै। इन जनजातीय समुदायों की अपनी सांस्कृतिक विरासत है। इस विरासत में आस्था का प्रमुख केंद्र देवगुड़ी है जिसकी जनजातीय समूहों में अपनी महत्ता है। जनजातीय समुदाय के अधिकांश समूह प्रकृति पूजक होते हैं, वे पेड़ों में अपने देवों का वास स्थल मानकर वनों को बचाने का कार्य करते हैं। इसलिए देव स्थलों में बहुतायत में वृक्ष होते हैं। शासन की पहल पर इन देवगुडियों-मातागुड़ी को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण मद तथा अन्य मदों से संभाग के सभी जिलों में जीर्णोद्धार करने सहित उक्त देव स्थलों में वृहद स्तर पर फलदार एवं छायादार पौधरोपण किया जा रहा है। साथ ही देवगुड़ी-मातागुड़ी, घोटुल और मृतक स्थलों को संरक्षित करने के लिए सम्बन्धित देवता और देवियों के नाम में जमीन को राजस्व रिकार्ड में दर्ज कर उन्हें सामुदायिक वन अधिकार पत्र भी जारी किया गया है। इससे देवगुड़ी-मातागुड़ी के नाम संरक्षित जमीन पर कोई अवैध कब्जा नहीं किया जा सके और संबंधित क्षेत्र के वनों को बचाया जा सके।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण श्री लखेश्वर बधेल के मागदर्शन में कमिश्नर बस्तर संभाग श्री श्याम धावड़े के निर्देशानुसार बस्तर अंचल में आस्था एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देवगुडी एवं मातागुड़ी निर्माण एवं जीर्णोद्धार तथा घोटुल निर्माण कार्यों को प्रमुखता से पूरा किया जा रहा है। बस्तर की आस्था और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कुल 5960 देवगुडी और मातागुड़ी में से 3360 का जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी गयी है, जिसमें से अब तक 2181 देवगुड़ी एवं मातागुड़ी जीर्णोद्धार को पूर्ण किया जा चुका है। वहीं स्वीकृत 297 घोटुल निर्माण कार्य में से 110 कार्यों को पूर्ण किया गया है। इनमें से अधिकांश देवगुड़ी को सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र जारी किया गया है।
इसी तरह बस्तर अंचल के वीर-वीरांगनाओं के योगदान को चिरस्थायी रखने सहित सहेजने की दिशा में 37 प्रतिमा स्थापना की स्वीकृति बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण मद से दी गयी है। साथ ही प्राधिकरण द्वारा बस्तर की जनजातीय संस्कृति व रीति-रिवाजों को पुस्तकों के माध्यम से सहेजने का कार्य किया जा रहा है और पुरखती कागजात पुस्तक में देवगुडी-मातागुड़ी की महता, वीर-वीरांगनाओं के योगदान इत्यादि को समाहित किया जा रहा है। इसके अलावा 06 समाजों के सांस्कृतिक, सामाजिक रीति-रिवाज और पंरम्परा को रेखांकित करने वाली पुस्तक का भी प्रकाशन किया जा रहा है।

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