मनीष सिसोदिया जो भगतसिंग का नाम लेकर अकड़ के साथ जेल गये थे अब छटपटा रहे हैं छूटने के लिये। मगर नहीं मिल रही। एक से एक कारण बता रहे हैं मगर कोर्ट को सब समझ में आता है, कोर्ट किसी भी तरह कन्विंस नहीं हो रही।
एक समय अपने केजरीवाल भी जमानत के लिये उतावले हो रहे थे। उनका तर्क था कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिये जाना है और जब चुनाव की बात पर जमानत नहीं मिली तो हास्यास्पद सी मांग रख दी कि उन्हें वीडियों काॅंन्फ्रेंसिंग के जरिये चुनाव प्रचार की अनुमति दी जाए। इस पर कोर्ट ने चुटकी ली कि इसका मतलब ये कि कल को दाउद इब्राहिम भी जेल में रहा तो ये मांग कर लेगा कि चुनाव लड़ना है और प्रचार करना है।
माननीय न्यायालय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई।
जमानत के बदले राज्यसभा
फिर अचानक न जाने क्या हुआ अपने केजरीवाल को अभिषेक मनु सिंधवी वकील के माध्यम से बेल मिल गयी।
कहा जाता है कि सिंघवी ने कहा कि यदि बेल दिला दी तो मुझे राज्य सभा भेजना पड़ेगा और अपने केजरीवाल बोले ‘हाओ जी’। आखिर इससे पहले भी तो एक नामी कांग्रेसी वकील कपिल सिब्बल को अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी से राज्यसभा भेजा था।
केजरी को हां
सोरेन को ना
यहां एक आश्चर्यजनक प्रश्न ये उठता है कि केजरीवाल को जमानत मिल गयी मगर उन्हीें परिस्थितियों में उन्हीं आरोपों पर सोरेन को जमानत नहीं मिली। झारखण्ड के पूर्व सीएम हेमन्त सोरेन ने भी कपिल सिब्बल को खड़ा किया है।
सोरेन ने भी प्रचार के लिये अंतरिम जमानत की मांग की है। 10 तारीख को याचिका दाखिल की थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत नहीं दी।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘31 जनवरी को पकड़ा गया था इसलिये प्रचार का आधार नहीं बनता’। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा नेता हेमन्त सोरेन को आप नेता केजरीवाल का आधार काम नहीं आया।
तिहाड़ में कन्हैया, शान की बात
ऐसी ही एक दिलचस्प बात दुर्गेश पाठक नेता आम आदमी पार्टी ने मजेदार परिचय करवाया कन्हैया कुमार का। पाठक ने मीडिया के सामने कहा कि कन्हैया जी हमारे प्रत्याशी हैं आज भाभी से मिलने आए हैं। चूंकि ये भी तिहाड़ में रहे हैं और भाभी से अपने अनुभव शेयर किये हैं… । बताओ भला तिहाड़ में रहने को कोई कैसे इतनी शान से बता सकता है…. ?
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
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‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’