नई दिल्ली । श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने 30 दिसंबर को गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिए हाइब्रिड-मोड पर आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की। इन श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज लागू करने के लिए चल रहे विचार-विमर्श के अंतर्गत, मंत्रालय ने उपलब्ध विभिन्न विकल्पों का और अधिक आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति के साथ यह विशेष बैठक आयोजित की।
इस बैठक में रमेश कृष्णमूर्ति (सीपीएफसी, ईपीएफओ), अजय शर्मा (संयुक्त सचिव, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय), रूपेश ठाकुर (संयुक्त सचिव, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय), अशोक कुमार सिंह (डीजी, ईएसआईसी) तथा मंत्रालय, ईएसआईसी और ईपीएफओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा ढांचा विकसित करने के लिए गठित समिति के सदस्यों और विशेष आमंत्रित सदस्यों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया-जिनमें उद्योग जगत, प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स (जोमैटो, स्विगी), श्रमिक संघ (आईएफएटी), नॉलेज पार्टनर्स (नीति आयोग, आईएलओ, एनसीएईआर, ओएमआई) और राज्य सरकार के प्रतिनिधि शामिल थे।
बैठक के दौरान असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए उपलब्ध केंद्र सरकार की वर्तमान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विश्लेषण किया गया। साथ ही संगठित क्षेत्र को दिए जाने वाले कल्याणकारी लाभों का भी विश्लेषण किया गया। मंत्रालय का प्रयास सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अनुसार विकलांगता, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य एवं मातृत्व, वृद्धावस्था सुरक्षा, क्रेच आदि क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा कवरेज लाना है।
बैठक में असंगठित और संगठित क्षेत्र के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं के लाभों के साथ-साथ परिचालन तंत्र, वित्तपोषण आवश्यकताओं, निगरानी और मूल्यांकन तथा शिकायत निवारण पहलुओं पर भी विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद इन पर एक खुली चर्चा भी हुई। समिति के सदस्यों ने प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था की प्रकृति, कार्य के दौरान मौसमी उतार-चढ़ाव, अलग-अलग कार्य समय और भुगतानों पर अपने विचार रखे और योजनाओं को क्षेत्रीय बारीकियों के अनुरूप बनाने के लिए कुछ संशोधनों का सुझाव दिया।
श्रम एवं रोजगार सचिव सुमिता डावरा ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि मंत्रालय विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के अग्रिम चरण में है। उन्होंने कहा कि समिति को केन्द्र सरकार की पीएम-जेएवाई, पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई और पीएमएमवीवाई जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ-साथ संगठित क्षेत्र के लिए उपलब्ध विकल्पों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए ताकि गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का एक मजबूत ढांचे की सिफारिश की जा सके।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कल्याणकारी योजनाओं को तैयार करने में एक मानक स्थापित करने के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप देने से पहले वैश्विक सर्वोत्तम व्यवस्थाओं का भी गहन विश्लेषण किया जाना चाहिए। इस पर भी बल दिया गया कि समिति को समयबद्ध तरीके से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें सामाजिक सुरक्षा अंतर्गत कवर न किए गए इस श्रमशक्ति की सामाजिक सुरक्षा चिंताओं का समाधान करने वाली रूपरेखा की स्पष्ट रूप से सिफारिश की जानी चाहिए। समिति को पात्रता मानदंड, श्रमिकों को पर्याप्त काम न मिलने और योगदान तंत्र जैसे कारकों पर भी सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।
सचिव सुमिता डावरा ने इस बात पर बल दिया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय गिग और प्लेटफॉर्म क्षेत्र में कार्यरत सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बैठक उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और मंत्रालय इन श्रमिकों के कल्याण के लिए समर्पित वाले ढांचे को अंतिम रूप देने के लिए लगन से काम करना जारी रखेगा।
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