Friday, April 19

छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगारी

रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य के 99.90 फीसद लोग किसी न किसी रोजगार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से यह साबित हुआ है. छत्तीसगढ़ राज्य में सितंबर बेरोजगारी दर अब तक अपने न्यूनतम स्तर 0.1 प्रतिशत है. देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है.

बीते दिनों सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार सितम्बर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 0.1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि सितंबर माह में देश में बेरोजगारी दर का यह आंकड़ा 6.43 फीसदी रहा है. देश के शहरी क्षेत्रों में 7.70 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों सितंबर माह में बेरोजगारी का आंकड़ा 5.84 फीसद रहा है. न्यूनतम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोजगार के नए अवसरों के सृजन के लिए बनाई गई योजना और नीतियां रही हैं. छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गांव तक हर हाथ को काम मिला है.

सीएमआईई द्वारा 1 अक्टूबर 2022 को बेरोजगारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सितम्बर 2022 में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में 0.1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है. वहीं इसी अवधि में 0.4 फीसदी के साथ असम दूसरे स्थान पर है. उत्तराखंड 0.5 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है. मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 0.9 प्रतिशत है और गुजरात में यह आंकड़ा 1.6 प्रतिशत रहा है. दूसरी ओर सर्वाधिक सितम्बर 2022 में सर्वाधिक बेरोजगारी दर के मामले में राजस्थान शीर्ष पर है, जहां 23.8 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है. जम्मू एवं काश्मीर में 23.2 फीसदी और हरियाणा में 22.9 फीसदी बेरोजगारी दर बताई गई है. त्रिपुरा में 17.0 फीसदी और झारखंड में 12.2 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है.

इसलिए छत्तीसगढ़ में रोजगार:

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया. महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गांवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किए गए. इसमें सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर गोधन न्याय योजना के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोजगार मिला. रोजगार के नए अवसर सृजित हुए. 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन किया गया. इससे वनांचल में भी लोगों को रोजगार मिला. राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना के बाद उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी. राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा. राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर योजना के तहत पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली. राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किए गए. इससे उद्मिता विकास को गति मिली.

छत्तीसगढ़ में उद्योग-व्यापार को मिली रफ्तार, युवाओं के लिए बढ़ता रोजगार

छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल में उद्योग-व्यापार क्षेत्रों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार होने से जहां एक ओर उद्योग-व्यापार को रफ्तार मिली है, वहीं दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई औद्योगिक नीति 2019-24 की घोषणा करते हुए समय-समय पर अनेक आवश्यक संशोधन भी किए हैं. राज्य में बड़े उद्योगों की स्थापना और संचालन को प्रोत्साहित तो किया ही जा रहा है लेकिन कृषि और वन आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है. वहीं नई औद्योगिक नीति में वंचित वर्गों के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं. गौरतलब है कि ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदंडों में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है.

संशोधन से बदली तस्वीर

छत्तीसगढ़ में प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन) को आजीविका के साधन बनाने से लेकर आय के बड़े स्त्रोत के रूप में तैयार करने के लिए अनेक अभिनव प्रयास हो रहे हैं. वहीं सेवा क्षेत्रों में विस्तार कर एक विजन के साथ राज्य के विकास की गति को बढ़ाने का प्रयास भी बीते चार वर्षों में किया गया है. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में औद्योगिक नीति में आवश्यक संशोधन किए, जिससे की उद्योग-व्यापार को बढ़ावा मिले और छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदल सके. नयी औद्योगिक नीति में फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई.

संशोधन से बदली तस्वीर

दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया है, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 फीसदी की कमी की गई, जबकि भू-भाटक में 33 फीसदी की कमी की गई है. औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने के लिए नियम तैयार किए गए हैं.

इन वर्गों के लिए विशेष प्रावधान:

नयी औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान किया गया है. पूर्व में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए औद्योगिक नीति में किसी तरह का विशेष प्रावधान नहीं था. इस दिशा में ध्यान देते हुए राज्य सरकार ने ओबीसी प्रवर्ग के लिए 10 प्रतिशत भू-खंड आरक्षण का प्रावधान किया है. इन्हें भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे.

एम.एस.एम.ई. सेक्टर को प्रोत्साहन :

छत्तीसगढ़ में बीते वर्षों में एम.एस.एम.ई. सेक्टर को प्रोत्साहन देने विशेष पहल की गई है. इसमें सेवा श्रेणी के उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बीपीओ, 3-डी प्रिटिंग, बीज ग्रेडिंग जैसे 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की तरह ही औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है. वहीं मेडिकल उपकरणों और कई अन्य चिकित्सा व स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सामग्री स्थानीय स्तर पर ही बनाए जा सकने की संभावना को देखते हुए इन क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है.

स्टार्टअप को किया जा रहा है प्रोत्साहित :

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित करने अनेक सराहनीय पहल की जा रही हैं. इसके अंतर्गत स्टार्टअप पॉलिसी की स्थापना, स्टार्टअप के लिए टैक्स में छूट और अनुदान का प्रावधान, इन्क्यूबेटर्स की स्थापना कर स्टार्टअप के लिए को-वर्किंग स्पेस, मेंटरशिप, फंडिंग और टेक्नोलॉजी सपोर्ट के प्रावधान किए गए हैं. इन्हें सराहते हुए हाल ही में केन्द्रीय उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा स्टेट्स स्टार्टअप ईको सिस्टम के विकास के लिए एस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया है.

लगेंगे बायो एथेनॉल प्लांट:

छत्तीसगढ़ में जैविक ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के साथ प्रदूषण कम करने, कृषि उत्पादों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल समेत अनेक लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए बायो एथेनॉल संयंत्रों की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है. इस कड़ी में बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3300 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया गया है. इन बायो एथेनॉल संयंत्रों की स्थापना से यहां 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया होगा. वहीं धान से एथेनॉल की अनुमति मिलने पर इससे बड़े पैमाने पर एथेनॉल बन सकता है. वहीं उत्पादक किसानों को बेहतर दाम भी मिलेगा.

राज्य में 200 फूड पार्क की स्थापना का लक्ष्य:
मुख्यमंत्री बघेल का विजन छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर बढ़ाने और नई संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए योजनाएं बनाने और गतिविधियों के संचालन को लेकर रहा है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में 200 फूड पार्कों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है. फूड पार्क विकासखंडों में स्थापित किए जाएंगे. अब तक 112 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर ली गई है. 52 विकासखंडों में भूमि का अधिपत्य उद्योग विभाग को दिया गया है. इधर रायपुर के पंडरी में 350 करोड़ रुपये की लागत से 10 एकड़ में जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क की स्थापना प्रक्रियाधीन है. इधर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसंस्करण की लघु इकाईयां स्थापित की जा रही हैं, जहां स्थानीय उपलब्धता के आधार पर प्रसंस्करण और पैकेजिंग की सुविधा दी जा रही है.

पौने चार साल के भीतर ही 19 हजार करोड़ से अधिक का निवेश:

छत्तीसगढ़ सरकार के इन प्रयासों की वजह से ही छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार वर्षों में 2 हजार 218 नयी औद्योगिक इकाईयां स्थापित हुई हैं, जिसमें 21 हजार 457 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 40 हजार 324 लोगों को रोजगार मिला है. इसके अलावा प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना के लिए 177 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 89 हजार 597 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है. इसमें से 90 से अधिक इकाईयों ने उद्योग स्थापना की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. इन औद्योगिक इकाईयों में 90 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा.

एकल खिड़की प्रणाली से ऑनलाइन सेवाएं:

छत्तीसगढ़ में उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं. ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 प्रकार की सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं. इसमें दुकान के पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस प्राप्ति जैसी सेवाएं शामिल हैं. गुमाश्ता एक्ट के अंतर्गत प्रति वर्ष नवीनीकरण की अनिवार्यता को समाप्त किया गया है ताकि छोटे व्यापारियों को राहत मिले.

हमने छत्तीसगढ़ में उद्योग-व्यापार को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं. राज्य में उद्योगों की स्थापना और संचालन के नियमों का सरलीकरण किया गया है. नयी औद्योगिक नीति 2019-24 लागू होने के बाद औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों का नया वातावरण निर्मित हुआ है. कृषि और वन आधारित उद्योगों को प्राथमिकता देने के साथ ही निवेश के लिए विशेष पैकेज और रियायतें दी गई हैं. इससे रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं. यह प्रयास नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने में मददगार बनेंगे.

– भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन

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