
मिनी माता उर्फ मीनाक्षी माता के जन्म दिवस [राजनीतिक जीवन में उनके द्वारा दिए गए जानकारी जो भारतीय संसद के साइट से मिला है के अनुसार
_कुमार_लहरे_लेख
मिनी माता स्मृति दिवस 11- अगस्त [सन् 1972 मध्य रात्रि विमान दुर्घटना से असमय मृत्यु] पर विशेष:
मिनी माता उर्फ मिनाक्षी माता के संबंध मे कुछ जनश्रुति इस प्रकार है;
हमारे बुजुर्ग बताते थे कि आपका एक्सीडेंट स्वाभाविक नहीं था बल्कि सुनियोजित हत्याकांड था वे एक नाम भी लेते थे उस नाम को मैं यहां नहीं लिखुंगा क्योंकि उसका कोई सबूत नहीं है और आज न ही वे बुजुर्ग लोग जीवित हैं जो यह बात बताते थे.
मिनी माता आज के जैसे नेताओं से हटकर थीं. उहोने कभी पद के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा करने के लिए राजनीति को चुना था। जैसे एक शेरनी अपने बच्चों के हिफाजत करने से कभी भी पीछे नहीं रहती वैसे ही उसने जनता के हितों को ध्यान में रखा.
मुंगेली कांड के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री को खूब खरी खोटी सुनाई थी, मिनी माता के व्यवहार को देखकर उन्हें अनेक बार सलाह दिया गया था कि भावुक आक्रामक शेरनी बनकर नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि की तरह व्यवहार करें.
ऐसा ही प्रतिक्रिया उन्होंने अपने ही दल के प्रति भी दिखाई थी. अपने बच्चों के हताहत होने पर वे एक शेरनी की तरह संसद में अपनी आवाज बुलंद कि थी. जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सहित सांसदों ने शांति के साथ सूना था जिसके परिणामस्वरूप एक जांच आयोग का गठन हुआ.
माताजी के बारे मे हमारे बुजुर्ग यह भी बताते थे कि वे विभिन्न सतनामी विरोधी कांडों से बहुत नाराज़ थी. अगर वे असमय काल के गाल मे नहीं समाती तो अलग सतनामी राज्य बन गया होता. [उपरोक्त बातों का मेरे पास कोई रिकॉर्ड नहीं, यह जनश्रुति है] बताया जाता था कि उन्होंने अलग स्वतंत्र धर्म का भी बात किया था. लेकिन इसका विस्तार से जानकारी नहीं है.
सतनामी धर्म संबंधी एक बड़े आयोजन का पर्चा मिला है, जिसे इस पोस्ट में संलग्न किया हूं. इसका मतलब यह भी नहीं है कि वे सिर्फ सतनामियों के लिए कार्य किए या सिर्फ सतनामियों के प्रति ही उनके मन में प्रेम था, बल्कि उन्होंने सभी जाति वर्ग धर्म के लोगों के लिए समान रुप से कार्य किया, और सभी उनका सम्मान भी करते थे. वे स्वयं निसंतान रहे लेकिन जनता को एक मां का आशिर्वाद और प्रेम असीमित दिया. आप वर्तमान और आने वाले पीढ़ी के लिए एक आदर्श बनीं रहेंगी आपके पथ पर चलने के लिए आपके आशीर्वाद का अपेक्षा सभी को रहेगा.
#2_समाचार_पत्र_पत्रिका_के_अनुसार;
रायपुर. Minimata First Woman MP Of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद #मिनीमाता_Minimata की जन्मदिवस पर उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री ने कहा, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद एवं छत्तीसगढ़ राज्य की स्वप्नदृष्टा, कर्मठ समाज सेविका मिनी माता जी की #जन्मदिन पर हम सब सादर नमन करते हैं।
समाज में व्याप्त छुआछूत, गरीबी, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने के लिए मिनीमाता ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। नारी शिक्षा, मजदूरों के उत्थान के लिए काम करने के साथ साथ उन्होंने बाल-विवाह और दहेज प्रथा जैसी समाजिक बुराईयों के खिलाफ समाज से संसद तक अपनी आवाज को बुलंद किया।
छत्तीसगढ़ में कृषि तथा सिंचाई के लिए हसदेव बांध परियोजना भी उन्हीं की दूर-दृष्टि का परिणाम है। भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में आज भी उन्हें याद किया जाता है। हम सब ऐसे व्यक्तित्व पर गर्व करते हैं।
जानिए कौन हैं मिनीमाता (Minimata)
1 – मिनीमाता का जन्म #13मार्च1913 में असम के नगांव जिले में हुआ था। बचपन में उनके परिजन उन्हें मिनाक्षी नाम से पुकारते थे।
2 – मिनीमाता को छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थीं। वे वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं।
3 – मिनीमाता बतौर सांसद जब वे दिल्ली में रहती थीं तो उनका निवास स्थान एक धर्मशाला जैसा था। उन्हें छत्तीसगढ़ी के साथ हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था।
4 – समाज में पिछड़ापन और छुआछूत जैसी तमाम कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
5 – संसद में अस्पृश्यता बिल को पास कराने में मिनीमाता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
6 – बाल विवाह, दहेज प्रथा, गरीबी और अशिक्षा दूर करने के लिए भी मिनीमाता लगातार आवाज उठाती रहीं।
7 – सामान्य और मध्मवर्गीय परिवार से होने के कारण छत्तीसगढ़ की जनता का मिनीमाता से सीधा जुड़ाव था। इसी वजह से प्रदेश की जनता उन्हें राजमाता जैसा सम्मान देती थी।
8 – छत्तीसगढ़ के लोग मिनीमाता से इतना प्यार करते हैं कि आज भी प्रदेश सरकार उनके सम्मान में हर वर्ष महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने वालों को मिनीमाता सम्मान देती है।
9 – छत्तीसगढ़ का विधानसभा भवन भी उनके नाम पर ही बना है।
10- #11अगस्त1972 को एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई।
साभार पत्रिका
———————————————————————-
#_दिवंगत_एफ_आर_जनार्दनजी_के_अनुसार;-
#Minimata_First_Woman_MP Of Chhattisgarh
13 मार्च , मिनीमाता जी की 107 वीं जयंती ( जन्म 13 मार्च सन् 1913 )
के परिप्रेक्ष्य में
स्वाट विश्लेषण ( #SWOT_ANALYSIS) को जानना जरूरी हो जाता है ➖
#प्रमुख_घटना_क्रम :
0 मिनीमाता जी का जन्म , 13 मार्च ( होली दहन के दिन )1913 को , आसाम के नुवागाॅव जिले के ग्राम जमुनामुख ( चाय बागान दौलतपुर ) में हुआ था ।उनके परिवार को भीषण अकाल ( सन् 1901 से 1910 )के कारण छत्तीसगढ ( बिलासपुर जिला ) से आसाम पलायन करना पड़ा था ।
➡ गुरु अगमदास जी ( जन्म- सन् 1895 , निर्वाण – सन् 1952 ) के साथ उनका विवाह सन् 1930 – 2जुलाई , में हुआ ।गुरू अगमदास जी अपने जीवन में चार विवाह किये थे :
➖सन् 1915 में , #पुन्नी माता से ।
➖ सन् 1927में , #सुनयना माता से ।( एक लड़की , मंथरा पैदा हयी , जिसकी विवाह गोफे लाल बघेल जी , बेमेतरा जिला से हुआ था ।)
➖सन् 1930 में मिनीमाता मीनाक्षी जी से हुआ था जिनकी
कोई संतान नहीं हुई
➖तद् उपरान्त संतान / पुत्र प्राप्ति के लिए #करूणा माता ( सुपुत्री – रतीराम जी गोटिया ) से विवाह हुआ सन् 1952 के लोक सभा उप चुनाव में , छत्तीसगढ ( रायपुर)से मिनी माता #प्रथम_महिला_सांसद के रूप में चुन कर लोक सभा पहुॅचीं और आजीवन ( 1952 , 1957, 1962, 1971 ) जांजगीर लोकसभा से सांसद रहीं । पूरे छत्तीसगढ का निरंतर दौरा किया करती थीं ।सन् 1969 में आदिम जाति कल्याण मिडिल स्कूल कोरबा में भी आयीं थीं । 0 मिनी माता के प्रमुख कार्य
➖1955 में छुआछूत निवारण कानून ।
➖1967 हसदो महानदी परियोजना ।
➖1962 भिलाई इस्पात संयंत्र स्थापना ।
➖1967 दहेज निवारण कानून ।
➖1961 छत्तीसगढ महाविद्यालय भिलाई ।
➖मिनीमाता बाॅगो बाध , बालको कोरबा , बैलाडिला – बचेली किरंडुल के विस्तार आदि
➡ 11 अगस्त सन् 1972 में , आधी रात्रि में विमान दुर्घटना में असामयिक निधन हो गया ।तब से प्रति वर्ष 11 अगस्त को पूरे छत्तीसगढ में ” #मिनीमाता_स्मृति_दिवस ” का आयोजन होने लगा ।11 अगस्त सन् 1984 में गुरू घासीदास सेवा समिति द्वारा कोहका ( भिलाई ) में ” #प्रतिभा_प्रोत्साहन_दिवस ” आयोजन की शुरुआत हुई ।( विस्तृत जानकारी के लिये – ” #स्वागत_पत्रिका ” प्रथम प्रकाशन 7 फरवरी 2005 , पेज क्रमांक 36 का अवलोकन करें ।)
➡ 13 मार्च को जयंती शुरुआत करने का श्रेय ” सत्य दर्शन संस्थान ” को दिवंगत घनाराम ढींढे ( जन्म : 1 जनवरी 1954 , निर्वाण 21 सितंबर 2016 ) के अगुवाई में जाता है । होली दहन के दिन जयंती मनाने का सिलसिला भी प्रारंभ हो चुका है ।पुण्य तिथि को लेकर भी मतभेद है ।
आइये #मिनीमाता जी के परिप्रेक्ष्य में #SWOT_ANALYSIS ( स्वाट विश्लेषण ) को समझने का प्रयास करें :
*S➖ #Strength ( ताकत )
*पढ़ाई-लिखाई में निपुण ।
* गुरु परिवार की अहमियत ।
* राजनीतिक दांव-पेंच की ज्ञान ।
* छत्तीसगढ के साथ समाज में लोकप्रिय ।
* बीस साल लगातार सांसद स्थापित रहना ।( राजनीतिक पावर को नजरअंदाज करना बड़ी भूल होती है ।)
* स्वास्थ्य शरीर व समय की उपलब्धता भी उनकी बड़ी ताकत थी ।
* मानव संबंध ( Human Relation ) उनकी काफी सशक्त ( Strong ) थी ।
*W➖ #Weakness ( कमज़ोरियां )
* परिवार की जिम्मेदारियां ।
* पति का साथ नहीं रहना ।
* अव्यवस्थित साधन का होना ।
* शुरू में पर्याप्त अनुभव का न होना ।
*O➖ #Opportunities ( अवसर )
* तत्कालीन सशक्त राजनीतिक दल ” कांग्रेस पार्टी ” का साथ होना ।
* सन् 1952 में पुत्र ( विजय कुमार गुरु जी ) बालिग होते तो शायद मिनीमाता जी , गुरु अगमदास जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन पायीं होतीं ।
* सहानुभूति की लहर ।
* प्रथम छत्तीसगढ से महिला सांसद का होना ।
* पति के साथ का अनुभव का लाभ ।
* संसद में पर्याप्त सहयोग ।
* महिला होने से चर्चा का होना ।
* बीस साल , लंबे समय तक राजनीतिक व सामाजिक अनुभव का होना ।
*T➖ #Threats ( चुनौतियाॅ )
* शुरू से ही चुनौतियाॅ रही हैं ।
* सन् 1952 के लोक सभा उप चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी चौथे पीढ़ी के *गुरू मुक्तावन दास जी* से था ।
* समाज की गुलामी व लाचारी की बड़ी समस्या ।
* सन् 1968 में गुरवइन डबरी और बैगाकापा गांव में घटना भी बड़ी समस्या व चुनौती के रूप में आई ।
➖ मिनीमाता जी नै #Strength ( ताकत ) व #Opportunities ( अवसर )का भरपूर सदुपयोग समाज व देश हित में की । अपनी #Weakness ( कमजोरियों ) को दूर कर , अपनी ताकत को और भी मजबूत की । #Threats ( चुनौतियाॅ ) को सफलता पूर्वक अवसर में बदलने की उनमे तकनीक थीं । इसीलिये आज मिनीमाता जी का नाम व प्रसिद्धि ( Name & Fame ) है ।
➖ आज भी छत्तीसगढ की धरती में ऐसी ही मिनीमाता जी की अत्यंत जरूरत है
➖आज हें उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है :
▪शिक्षा के प्रति जागरूकता ।
▪ब्रह्मणवादी संस्कार व संस्कृति का परित्याग ।
▪मानवतावादी संस्कार व संस्कृति का सृजन व संचालन ।
▪सामाजिक जागृति के ही राजनीतिक जागृति का होना आवश्यक है ।
#ममतामयी_मिनीमाता जी*को सत्- सत् नमन व उनकी #107वीं_जयंती के अवसर पर आप सबको बहुत बहुत बधाइयाॅ । #साभार_एफ_आर_जनार्दन
भिलाई,मोबाइल : 07898870543 दिनांक 13 मार्च 2020
—————–——————————————————-
#4. मिनीमाता के स्मृति दिवस पर ज्ञानी लहरे रायपुर वाले का रचना भी पढ़ें;-
।।ऐ माँ,तुम्हारी याद आती है ।।
ऐ माँ,
तुम्हारी याद आती है,
खुली निगाहों में ,
सारी रात जाती है,
जन-जन की प्यारी थी,
सबकी राज दुलारी थी,
सुंदर प्यारी गौर शरीरा,
हँसमुख चेहरा वाली थी ,
ममता भरी मुस्कान,
तुम्हारी याद आती है।।खुली।।
सेवा भाव मन में लाई,
द्वार निकल बाहर आई,
दीन,दुखियों का हाल देखकर,
दिल में बड़ी कसक आई,
नम निगाहें आज,
तुम्हारी याद आतीं हैं।।खुली।।
उजड़े चमन में तुमने,
बहार लाई थी,
बिखरे सुमन को तुमने,
एक हार बनाई थी,
ऐ उजड़े चमन की मालन,
तेरी याद आती है ।।खुली ।।
अभी-अभी तो आई थी,
कर्म भूमि में छाई थी,
मन की अभिलाषा भी तो ,
पूरी नहीं अधूरी थी,
ग्यारह, आठ-बहत्तर को,
(11-8-1972)
कालचक्र ने घेर लिया,
तुमको हमसे छीन लिया,
ऐ छत्तीसगढ़ की काया,
तेरी याद आती है ।।खुली।।
तेरी प्रेरणा को मैं अपना,
जीवन कर्म बनाता हूँ,
श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ,
चरणों में शीश झुकाता हूँ,
ऐ प्रेरणादायनी माँ,
तुम्हारी याद आती है ।।खुली ।।
ज्ञानी लहरे, रायपुर.
06082021.