0 सुप्रिया गाली_अंग्रेजी की सोफेस्टिकेटेड, हिंदी की लट्ठमार 0अभी मंजना है ईश्वर साहू को 0पहली बार काश्मीर में भारत की शपथ वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की ताक धिना धिन…

 

{ दिलचस्प – बेहद असहज सी बहस सुनी टीवी पर। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीेनेत ने अपनी एंग्री वूमन की छवि दिखाने और कदाचित् कांग्रेंस हाईकमान राहुल गांधी की नजर मे चढ़ने के लिये आदत अनुसार भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया को अंग्रेजी में गाली दे दी। तब तक कार्यक्रम की गरिमा कायम थी। क्यांेकि गाली अंग्रेजी में थी।

लेकिन गाली गौरव भाटिया को समझ में आ गयी और उन्होंने घेरा बंदी कर दी। उन्होेने स्वदेशी का सहारा ले लिया और उसी भाव की गाली ठेठ हिंदी में दे दी। उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता को गधी कह दिया।
बस फिर क्या था सुप्रिया तिलमिला उठीं। वैसे उन्होंने गौरव को डिमविट कह दिया था जिसका अर्थ होता है उल्लू, बत्तमीज, पाजी आदि… गाली तो वही थी पर ंहंदी की लाठी चली जोर से…. }

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दक्षिण विधानसभा चुनाव को चैलेंज की तरह देखते हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिये। उनका ये बयान एक मंजे हुए, अनुभवी और गम्भीर राजनीतिज्ञ का बयान है। नये नवेले नेता चाहे इस चुनाव को हलके में लेते हों।

हालांकि रायपुर की जनता कुछ अलग सोचती है। जनमानस का मानना है कि दक्षिण की सीट तो भाजपा की झोली में गिरी ही गिरी, ये सीट सिर्फ एक ही कण्डीशन में भाजपा खो सकती है जब भाजपा अपना प्रत्याशी ही न उतारे।

नये विधायक की नयी समस्या

पहली बार विधायक बने ईश्वर साहू का मामला बड़ा दिलचस्प है। ठीक से राजनीति के पथ पर पग रखा भी नहीं है कि हमले चालू हो गये हैं। कभी दारू के लिये आरोप लगे तो कभी किसी मामले में माल लेने की अफवाह फैली तो कभी बेटे की कारस्तानियों पर उंगली उठी।
धीरे-धीरे विधायकजी की धार तेज होगी तो उन पर इन आरोपों को असर भी कम होगा अभी तो नये-नये हैं आरोपों से विचलित होने लगते हैं।

संविधान की शपथ
काश्मीर की या भारत की

बहुत आराम से एक बहुत बड़ी घटना घटी। घटना थी काश्मीर के मुख्यमंत्री का शपथग्रहण। पिछले माह 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला ने अपनी शपथ में कहा कि ‘मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखूंगा… भारत की एकता और अखण्डता को अक्षुण रखूंगा’।

ध्यान दें कि इससे पहले जो शपथ लेते थे वे राज्य के संविधान के प्रति शपथ लेते थे भारत के नहीं। जम्मू काश्मीर में यही चलन था। ये पहली बार है कि भारत के संविधान की शपथ ली गयी है। जोर का झटका धीरे से, शायद इसे ही कहते हैं। ये है मोदी का भारत…. ।

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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’ IMNB news Agency
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