वन्देमातरम्….
सुर्खियों में…
ओपी चौधरी, चरणदास महन्त, बाबा, केजरीवाल…
किसी पे कोर्ट की तलवार, कोई ठोके है ताल…
0 वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव
शर्त लगा लो: ताल ठोकते ओपी चौधरी….
अपने एक बयान में ओपी चैधरी वित्तमंत्री ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 11 सीटें जीतने का दावा किया है।
दावा भी ऐसा कि उसके लिये वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं भूपेश बघेल और अन्य नेताओं से शर्त लगाने को भी तैयार हैं।
लेकिन लगता है अब तक कोई कांग्रेसी नेता शर्त लगाने को आगे नहीं आया।
संजय बाहर,केजरीवाल अंदर…
क्या भाजपा ने रचा है ये बवण्डर…
‘यार झण्डू’
‘हां भाई बण्डू’
यदि भाजपा ही करवा रही है तो फिर भाजपा ने छक्का लगा दिया। केजरीवाल को निपटा दिया।
संजयसिंह को जमानत पर बाहर करके सुनीता केजरीवाल का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता बंद कर दिया क्योंकि वहां पर रास्ते में अब संजयसिंह खड़े हैं।
शायद इस बात में दम भी हो क्योंकि आप के अन्य दमदार नेता और सांसद भी तो अब एकदम से मौन साधे हुए हं,ै लगता है केजरीवाल के मलाईभक्षण से सभी खुद को दूर रखकर अपनी खिचड़ी पकाना चाहते हैं।
‘हां और अब बिना केजरीवाल के पकी खिचड़ी मिल बांटकर खाएंगे। सुनीता को नहीं किसी और को मुख्यमंत्री बनाएंगे’।
और दूसरी बात ये कि ‘भाजपा खुद पर ये ठप्पा लगवाने से भी बच गयी कि सारे विपक्ष को अंदर कर रहे हैं ताकि भाजपा का विरोध न हो सके’।
‘हां भाई बण्डू, बात में दम तो है’
‘एक बात और…. छत्तीसगढ़ के सरल सौम्य नेता चरणदास महन्त ने कहा है कि धोखेबाज घूम रहे हैं, हमारे लोगों को तोड़ रहे हैं।
जबकि कांग्रेस छोड़-छोड़कर जाने वाले कहते हैं कि कांग्रेस ने हमें धोखा दिया। हम राम के वंशज हैं और कांग्रेस ने हमें राम से ही विमुख कर रखा है’।
‘हां भाई बण्डू, इस बात में भी दम तो है’
बाबा रामदेव का केस
और चार बाते….
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विज्ञापनों की गलत व्याख्या के मामले में बाबा रामदेव को कोर्ट से पड़ रही बत्ती से चार बातें बड़ी अच्छी हुईं। याने एक तीर से चार शिकार। पहली ये कि अब विज्ञापन की धांधलेबाजी पर अंकुश लगेगा।
सारी बड़ी कंपनियां जोरशोर से झूठे दम भरती हैं और जब उनका प्रोडक्ट उतना खरा नहीं निकलता तो कई तरह के किन्तु-परन्तु लगाने लगती हैं।
आम आदमी तो कुछ कर नहीं सकता। कोर्ट ने ही डण्डा उठाया है।
दूसरी बात, अब समाज में ये संदेश जाएगा कि कोर्ट का सम्मान करना जरूरी है यदि माननीय कोर्ट उखड़ गयी तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कोर्ट को हल्के में लेना भारी पड़ जाएगा अब.…
तीसरी बात, राज्य सरकारों की ये नीति की ‘समरथ से समझौता और कमजोर को कष्ट’ नहीं चलने वाली। कोर्ट बत्ती देने लगती है।
समझौता हो या सजा सबके लिये समान तराजू, समान पैमाना हो।
और चौथी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये बात कि अधिकारियों को कोर्ट ने आड़े हाथों लिया है कि उत्तराखण्ड सरकार बताए कि ड्रग इंस्पेक्टर और लाईसेंसिंग अधिकारी पर काम न करने के लिये क्या कार्यवाही की गयी।
देश में सारा भ्रष्टाचार सिर्फ इसलिये ही व्याप्त है कि अधिकारी अपना काम नहीं करते। इसमें सबसे दुख की बात ये है कि ऐसे लोगों के लिये कोई सजा भी नहीं है। पर आगे शायद इसमें सुधार हो…
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’ IMNB news Agency की सेवा लेकर
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