गुयाना में प्रवासी भारतीयों ने कई क्षेत्रों में प्रभाव डाला है और गुयाना के विकास में योगदान दिया है: प्रधानमंत्री
मैं सदैव अपने प्रवासी लोगों को राष्ट्रदूत कहता हूं, वे भारतीय संस्कृति और मूल्यों के राजदूत हैं: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुयाना के जॉर्जटाउन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस अवसर पर गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, प्रधानमंत्री मार्क फिलिप्स, उपराष्ट्रपति भरत जगदेव, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड रामोतार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभा को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए अपने आगमन पर विशेष उत्साह के साथ किए गए उनके भव्य स्वागत पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रपति और उनके परिवार के शानदार आतिथ्य और सहृदयता के लिए धन्यवाद दिया। श्री मोदी ने कहा कि आतिथ्य की भावना हमारी संस्कृति के मूल में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने भारत सरकार की एक पेड़ माँ के नाम पहल के अंतर्गत राष्ट्रपति और उनकी दादी के साथ एक पेड़ लगाया। उन्होंने कहा कि यह एक भावनात्मक क्षण था जिसे वे हमेशा याद रखेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुयाना का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस प्राप्त करके वे बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इस सम्मान के लिए गुयाना के लोगों का आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने इस पुरस्कार को 1.4 बिलियन भारतीयों और 3 लाख भारतीय-गुयाना समुदाय के सम्मान में तथा गुयाना के विकास में उनके योगदान को समर्पित किया।
दो दशक पहले एक जिज्ञासु यात्री के रूप में गुयाना की अपनी यात्रा की अविस्मरणीय यादों का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने प्रसन्न्ता व्यक्त की कि अब वे भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कई नदियों की भूमि पर पुन: आए हैं। उन्होंने कहा कि तब से लेकर अब तक बहुत सारे बदलाव हुए हैं परन्तु गुयाना के लोगों का प्यार और स्नेह वैसा ही बना हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि आप एक भारतीय को भारत से बाहर ले जा सकते हैं, लेकिन आप भारत को उनके अंतर्मन से बाहर नहीं निकाल सकते और इस यात्रा के उनके अनुभव ने इसकी पुष्टि की है।
प्रधानमंत्री ने दिन में पहले भारतीय आगमन स्मारक की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि इसने लगभग दो शताब्दियों पहले भारत-गुयाना के लोगों के पूर्वजों की लंबी और कठिन यात्रा को जीवंत कर दिया। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए हुए लोगों का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि वे अपने साथ संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं की विविधता लेकर आए और समय के साथ गुयाना को अपना घर बना लिया। उन्होंने कहा कि ये भाषाएं, कहानियां और परंपराएं आज गुयाना की संस्कृति का एक समृद्ध हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए उनके संघर्ष के लिए भारत-गुयाना समुदाय की भावना की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने गुयाना को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने की दिशा में कार्य किया है, जिससे वे एक साधारण शुरुआत से शीर्ष पर पहुंचे हैं। श्री चेड्डी जगन के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि श्री जगन एक मजदूर परिवार की साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर वैश्विक स्तर के नेता बने। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति इरफान अली, उपराष्ट्रपति भारत जगदेव, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड रामोतार सभी भारत-गुयाना समुदाय के राजदूत थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक भारतीय-गुयाना बुद्धिजीवियों में से एक जोसेफ रोमन, प्रारंभिक भारतीय-गुयाना कवियों में से एक राम जरीदार लल्ला, प्रसिद्ध महिला कवियित्री शाना यरदान तथा अन्य अनेक भारतीय-गुयानावासियों का कला, शिक्षा, संगीत और चिकित्सा के क्षेत्र में गहरा प्रभाव रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि हमारी समानताओं ने भारत-गुयाना मैत्री को एक मजबूत आधार प्रदान किया है और इस मामले में संस्कृति, भोजन और क्रिकेट विशेष रूप से तीन महत्वपूर्ण चीजें हैं जो भारत को गुयाना से जोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की दिवाली विशेष थी क्योंकि श्री राम लला 500 वर्षों के बाद अयोध्या लौटे थे। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को यह भी याद है कि गुयाना से पवित्र जल और शिलाएं भी अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए भेजी गई थीं। उन्होंने प्रशंसा की कि महासागरों की दूरी के बावजूद भारत माता के साथ उनका सांस्कृतिक संबंध मजबूत है और इसका अहसास उन्हें दिन में आर्य समाज स्मारक और सरस्वती विद्या निकेतन स्कूल के दौरे के समय हुआ। श्री मोदी ने कहा कि भारत और गुयाना दोनों को अपनी समृद्ध और विविध संस्कृति पर गर्व है और वे विविधता को समायोजित करने के अलावा इन्हें उत्सव मनाने के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश दिखा रहे हैं कि सांस्कृतिक विविधता उनकी शक्ति है।
भोजन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय-गुयाना समुदाय की भोजन संबंधी एक अनूठी परंपरा है, जिसमें भारतीय और गुयाना दोनों की मिली-जुली परम्परा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिकेट के प्रति प्रेम पर चर्चा करते हुए कहा कि क्रिकेट ने हमारे देशों को मजबूती से बांधा है और यह सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है, जो हमारी राष्ट्रीय पहचान में गहराई से समाहित है। उन्होंने कहा कि गुयाना में प्रोविडेंस नेशनल क्रिकेट स्टेडियम हमारी मित्रता का प्रतीक है। कन्हाई, कालीचरण, चंद्रपॉल सभी भारत में जाने-माने नाम हैं। श्री मोदी ने कहा कि क्लाइव लॉयड और उनकी टीम कई पीढ़ियों की पसंदीदा रही है। उन्होंने कहा कि गुयाना के युवा खिलाड़ियों का भी भारत में बहुत बड़ा प्रशंसक वर्ग है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई भारतीयों ने इस वर्ष की शुरुआत में वहां आयोजित टी-20 विश्व कप का आनंद लिया।
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