हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक का विरोध पुलिस फोर्स और ग्रामीणों के बीच संघर्ष

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18 अक्टूबर, 2024

हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक के विरोध में स्थानीय आदिवासी समुदाय ग्राम हरिहरपुर में पिछले ढाई सालों से आंदोलनरत है। 16 अक्टूबर से ही परसा कोल ब्लॉक के साल्ही गांव के जंगलों की कटाई की सुगबुगाहट शुरू हो गई। शाम होते होते पुलिस बल भी आ गई। 17 अक्टूबर की सुबह से ही बड़ी तादाद में पुलिस बल के संरक्षण में जंगलों की कटाई शुरू हुई जिसे रोकने लोग प्रदर्शन करने लगे। कई लोगों को पुलिस के लाठीचार्ज से गंभीर चोटें आई है उसमें महिलाएं भी घायल हुई है। पुलिस ने पूरे क्षेत्र को छावनी बना दी है और बेतरतीब हज़ारों पेड़ों की कटाई हो रही है।

राजस्थान को कोयला पहुंचाने और अदानी का कारोबार बढ़ाने के लिए हसदेव जंगल में एक नई खदान, परसा कोयला खदान, को जबरन चलाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों पर लाठीचार्ज और दमनात्मक कार्रवाई की गई। परसा कोयला खदान के लिए वन और पर्यावरणीय स्वीकृतियां फर्जी दस्तावेजों पर आधारित हैं, और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इस खदान को तुरंत निरस्त करने की मांग की है।

सन 2015 में हसदेव जंगलों के तीन कोयला ब्लॉकों को भारी जनविरोध के बावजूद अदानी कंपनी को सौंपा गया था, जो राजस्थान के पावर प्लांटों के लिए इस जंगल को तबाह कर कोयले खनन करेगा। इसके विरोध में निरंतर और व्यापक जन आंदोलन हुए है, जिसके कारण अभी तक एक ही कोयला खदान खुल पाई है — PEKB (परसा ईस्ट केते बासन)। आज परसा खदान को खोलने के अवैध प्रयास जारी हैं।

हरिहरपुर, साल्ही, फतेपुर की ग्राम सभाओं ने कभी भी वन स्वीकृति के लिए सहमति नहीं दी है। हमेशा ग्रामसभा में खनन का विरोध किया है। पर कंपनी ने 2018 में सरपंच एवं सचिव पर दबाव करके फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के दस्तावेज बनाकर वन स्वीकृति हासिल की हैं। वर्ष 2021 में 30 गांव से लगभग 350 से अधिक ग्रामीण 300 किलोमीटर की पदयात्रा कर रायपुर पहुंचे थे, जहां राज्यपाल से मुलाक़ात के पश्चात राज्यपाल द्वारा फर्जी ग्रामसभा की जाँच करने आदेश जारी किया था छत्तीसगढ़ के पर्यावरण और जनमत को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ विधान सभा ने सर्वसम्मति से 27.07.2022 को प्रस्ताव पारित किया था कि हसदेव के जंगलों में कोई कोयला खनन नहीं किया जाए। इसी वर्ष छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी कंपनी द्वारा फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के आरोप में जांच बिठाई है जो की विचाराधीन है ।

प्रभावित ग्रामीण पिछले 6 सालों से फर्जी ग्रामसभा की जांच की मांग कर रहे है। उनका स्पष्ट कहना है कि फर्जी एवं कूटरचित ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर परसा खदान को वन और पर्यावरण स्वीकृति मिली थी। इसलिए ये स्वीकृतियां निरस्त होनी चाहिए। लेकिन अनुसूचित जनजाति आयोग ने परसा खदान के लिए हुई फर्जी ग्रामसभा मामले की विस्तृत सुनवाई करके ग्रामीणों के बयान और दस्तावेजों के आधार पर अपनी जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट जारी करती, उसके पहले ही पुलिस बल का उपयोग कर दमनात्मक कार्यवाही करके जंगलों की अवैध कटाई शुरू कर दी । 16 अक्टूबर से ही विभिन्न जन संगठनों के लोग अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करने हेतु आयोग के चक्कर काट रहे है। लेकिन अत्यंत दुखद है कि अनुसूचित जनजाति की अनुशंसा रिपोर्ट बन कर तैयार है लेकिन आयोग के सचिव इसको जारी करने में बाधा उत्पन्न कर रहे है। जिस से स्पष्ट है कि आयोग जैसी संस्थाओं में भी अन्याय के पक्षधर महत्वपूर्ण पदों पर आसीन है और आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहे है।

इस संयुक्त प्रेस वार्ता में सभी संगठन प्रमुखों ने सरकार से जवाब मांगा है कि उपरोक्त जांच रिपोर्ट के लिए कुछ दिनों का इंतजार क्यों नहीं हो पाया ? इस जांच रिपोर्ट को आने से रोका क्यों जा रहा है? विधान सभा के प्रस्ताव को दरकिनार करना क्यों यकायक आवश्यक हो गया और पाँचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्रामसभा के अधिकारों को कुचलकर, उनका दमन करके सरकार किसका विकास करना चाह रही है ? एक लोकतांत्रिक सरकार के लिए इस प्रकार जनमत का खुला उल्लंघन करना अत्यंत शर्मनाक है, और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन यह मांग करता है कि परसा खदान के लिए हो रही पेड़ कटाई पर तुरंत रोक लगाई जाए, ग्रामीणों की कंपनी के खिलाफ फर्जीवाड़े के शिकायत पर जांच रिपोर्ट तुरंत प्रस्तुत की जाए, और जिन सरकारी और कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ है, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।

वार्ता को जनक लाल ठाकुर ,अध्यक्ष छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, बी वे रावटे कार्यकारी अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज,
सुदेश टीकम, संयोजक मण्डल सदस्य, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन
रामलाल करियम, उम्मेश्वर सिंह आर्मो हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति एवं आलोक शुक्ला, संयोजक मण्डल सदस्य, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रेस वार्ता संबोधित किया

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