मानसिक रोगियों को मनोचिकित्सक देंगे परामर्श

० आत्महत्या के प्रयास के मरीजों की होगी काउंसिलिंग
दुर्ग। आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम के लिए जिले में नई शुरुआत की जा रही है। इस क्रम में मानसिक रोगियों को मनोचिकित्सकों द्वारा परामर्श प्रदान किया जाएगा। मुख्य रूप से आत्महत्या के प्रयास से संबंधित मरीजों की विशेष काउंसिलिंग की जाएगी तथा मानसिक स्वास्थ्य की सुदृढ़ता के लिए उन्हें उपचार की सुविधा भी दी जाएगी। इस संबंध में कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है।
बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिले में समुदाय के बीच मानसिक अस्वस्थता के कारण, लक्षण तथा इससे बचाव से जुड़ी आवश्यक जानकारियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इन गतिविधियों में 10 वर्ष से अधिक आयु के स्कूली बच्चों, महिलाओं, किशोर व बुजुर्गों के लिए अलग-अलग जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं तथा मनोरोगियों की पहचान की जाती है, ताकि उनका उपचार किया जा सके। इसी बीच कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने न सिर्फ जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया है, बल्कि एक ऐसे मरीज से मुलाकात भी की है जिसने आत्महत्या के उद्देश्य से जहर का सेवन कर लिया था। कलेक्टर ने संबंधित के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में जानकारी ली। डॉक्टर ने बताया, प्राथमिक उपचार के बाद मरीज अब खतरे से बाहर है। इस मौके पर कलेक्टर ने मरीज और उसके परिजन से भी बात कर उन्हें दिलासा दिया। हिम्मत न हारने और मुसीबतों का डट कर सामना करने का हौसला दिया। साथ ही उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम को इस तरह के मरीजों की मनोचिकित्सक द्वारा काउंसलिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बतायाः अवसाद, आत्महत्या का मुख्य कारण होता है। इस पर नियंत्रण के लिए मानसिक स्वास्थ्य की सेवाएं जिला अस्पताल के स्पर्श क्लिनिक में निःशुल्क उपलब्ध हैं। इस दिशा में जन-जागरूकता से जुड़े कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। तनाव प्रबंधन, आत्महत्या की घटना के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारणों तथा इससे बचाव के प्रभावशाली उपायों पर चर्चा कर लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं अब आत्महत्या के प्रयास से संबंधित मरीजों की विशेष काउंसिलिंग भी की जाएगी, ताकि आत्महत्या की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सके तथा अवसाद से पीड़ित को सकारात्मक वातावरण देकर असमय मौत का रास्ता अपनाने से रोका जा सके।
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परेशानी छिपाकर न रखें
अपनी किसी भी परेशानी को दबाकर या छिपाकर न रखें, बल्कि इसे अपने परिवार या दोस्तों के साथ साझा करें। वहीं परेशानी समझने के बाद परिवार वालों एवं दोस्तों का यह कर्त्तव्य है कि उस परेशानी का निराकरण करने का प्रयास करें। अगर व्यक्ति के अंदर आत्महत्या के विचार आ रहें हैं तो उसको ऐसे विचार त्यागने को कहें ऐसे व्यक्ति के साथ रहें और उसके साथ समय बिताएं। ऐसे व्यक्ति को समझाएं कि आप हमेशा उसके साथ हैं और ऐसे विचार अपने मन में न लाएं। साथ ही ऐसे व्यक्ति का हमेशा ध्यान रखें वह क्या करता है, कहां जाता है, किससे बात करता है, क्या बात करता है उसकी बातों को सुनें एवं उसके लिए जो भी आवश्यक हो वह करें। मानसिक एवं अन्य परेशानियों के लक्षण पाए जाने पर तुरंत पर मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
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यह हैं एनसीआरबी के आंकड़े
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) 2021 के आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 1 लाख लोगों में 26.4 लोग आत्महत्या करते हैं, जबकि पूरे भारत में 1 लाख की आबादी पर यह औसत 12 है। छत्तीसगढ़ की यह संख्या राष्ट्रीय औसत के दोगुने से भी ज्यादा है। इसको कम करने के लिए ही आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है और इस दिवस पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भी आत्महत्या रोकथाम हेतु विशेष प्रयास किए जा रहे हैं जिसके क्रम में सरकार द्वारा स्पर्श क्लिनिक की स्थापना की गई है। इन क्लीनिकों के माध्यम से आत्महत्या का प्रयास करने वाले एवं अन्य मानसिक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों का उपचार किया जा रहा है और उनको एक बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा रहा है।

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