किसी मामले में पुलिस ने पकड़ा। मामला कोर्ट में चला। सबूत नहीं मिले और साफ तौर पर ये समझ में आया कि बिना वजह आरोपी को फंसाया गया था।
कोर्ट को ये समझ में आ गया कि किसी बेगुनाह को पुलिस ने आरोपी बनाकर अंदर कर दिया था, कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया। ऐसे कई मामले हर रोज देखने को मिलते हैं।
बलात्कार का आरोप लगाकर किसी को हवालात का दरवाजा दिखाना हमारे देश में आम है। ऐसे मामलों में अक्सर आरोपी छूट जाता है क्योंकि आरोप झूठा होता है। लड़के को किसी कारण से या सैटिंग बिगड़ जाने के कारण लड़की द्वारा झूठा घेरा जाता है।
जाहिर तौर पर पुलिस इसमें अपना उल्लू सीधा करती है। पुलिस की तो मामला आते ही बल्ले-बल्ले हो जाती है। आरोपी को धर लिया जाता है।
कोर्ट में झूठा होने के कारण मामला ठहरता नही ंतो आरोपी छूट जाता है।
लेकिन झूठी रिपोर्ट लिखाने वाले को और जानबूझकर झूठी रिपोर्ट लिखने वाले को कुछ नहीं होता।
सिस्टम में ऐसी व्यवस्था तो है कि प्रताड़ित करने वाले को सजा दिलाई जा सके लेकिन ये इतना कठिन होता है कि पीड़ित शख्स जान छुड़ाकर भाग लेने में ही भलाई समझता है।
और फिर आम आदमी की इतनी औकात भी नहीं होती कि पुलिस के खिलाफ लड़कर उसे सजा दिला सके।
कोर्ट का मानवीय फैसला
यूपी बरेली के एक कोर्ट ने एक ऐतिहासिक बेहतरीन फैसला सुनाया है। एक लड़की ने अपनी मां के कहने से एक युवक के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई कि उसने उसके साथ बलात्कार किया है। पुलिस ने पकड़ा ओर जेल भेज दिया। लड़का 16 सौ दिन जेल में रहा। जब कोर्ट में मामला चला तो लड़की ने बयान बदल दिया।
पुलिस और पहले कोर्ट को दिये बयान से पलट गयी और वो बयान मां के कहने से दिया था, बोली।
कोर्ट ने एक बेगुनह को पांच साल जेल में रहने के लिये मजबूर करने वाली लड़की को पांच साल जेल की सजा सुना दी और पांच लाख रूप्ये बेगुनाह साबित हुए युवक को देने का आदेश सुनाया।
कोर्ट ने अपने फैसले मंे महत्वपूर्ण बात कही कि अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिये पुलिस और कोर्ट माध्यम बनाना घोर आपत्तिजनक है।
अनुचित लाभ लेने वाली महिलाओं को पुरूषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती’।
नुकसान की भरपाई कर्मचारी करेगा, सेबी का निर्णय,
गलत करने वालों को सजा नहीं मिलती। उनसे रिकवरी नहीं होती इसलिये ऐसे अपराध पनपते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है।
इस संबंध में सेबी ने हाल ही में एक अच्छा निर्णय लिया है। सेबी को हुए नुकसान को जवाबदार कर्मचारी से ही वसूला जाएगा ये नया नियम बनाया गया है।
निस्संदेह ऐसा ही होना चाहिये ताकि कर्मचारी अधिक जवाबदारी और ईमानदारी के साथ करें।
आमतौर पर आम आदमी की गलती से शासन उसे जुर्माना या सजा देता है लेकिन शासन की गलती से किसी शासकीय अधिकारी को सजा होते नहीं देखा है। ऐसे बदलावों से भविष्य में अधिकारियों को भी सचेत होना होगा, जिससे जनता को राहत मिलेगी।
—————————-
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
मोबा. 9522170700
‘बिना छेड़छाड़ के लेख का प्रकाशन किया जा सकता है’
—————————-