विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित

राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32, अनुसूचित जाति को 13, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान

मुख्यमंत्री ने सभी दलों से आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण के नए प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास किया जाए

रायपुर, 03 दिसम्बर 2022/छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज का दिन बहुत विशेष दिन है। क्योकि आज महत्वपूर्ण और विशेष निर्णय हुए हैं इसलिए विधानसभा के सत्र को विशेष सत्र कहा गया। आरक्षण संशोधन विधेयक में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसी प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 4 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। सदन में आज दो विधेयक छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियो, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गाें के लिए आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 सर्वसम्मति से पारित किया गया।

श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) 1994 के छत्तीसगढ़ राज्य में अनुकूलन के बहुत लम्बे समय बाद वर्ष 2011-12 में तत्कालीन सरकार जागी थी। आज उस सरकार के लोग विपक्ष में हैं और वे हम पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन 2004 से लेकर 2012 तक की लम्बी अवधि तक जब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का नुकसान होता रहा तब इन्हें इस बात की चिन्ता क्यों नहीं हुई। आज जब हमारी सरकार संशोधन विधेयक के माध्यम से इन वर्गों के लिए प्रावधान लेकर आई है तब वे न तो आरक्षण की जरूरत पर चर्चा कर रहे हैं और न इस बात पर कि छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां क्या है।

श्री बघेल ने कहा कि तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में सरजियस मिंज कमेटी की रिपोर्ट को तत्कालीन सरकार ने प्रस्तुत ही नहीं की। सरजियस मिंज कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अन्य प्रदेशों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है और इसे छत्तीसगढ़ में बढ़ाया जा सकता है, इस रिपोर्ट को भी हाईकोर्ट में जमा नहीं किया। उन्होंने इंदिरा साहनी प्रकरण का उल्लेख किया जा रहा है, उस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार अपने राज्यों के परिस्थिति के अनुरूप 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण करने का निर्णय कर सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि क्वांटिफाइबल आयोग के डेटा में ईडब्ल्यूएस का आंकड़ा 3.48 प्रतिशत ही आया है, जबकि हमने 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। इसी तरह ओबीसी की जनसंख्या 42.41 प्रतिशत है जबकि हमने उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12 प्रतिशत से कुछ अधिक थी। हमने 13 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। यदि आगामी जनगणना में 16 प्रतिशत जनसंख्या आती है तो हम 16 प्रतिशत आरक्षण देंगे, जैसा कि पक्ष-विपक्ष के लोग मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति को उनकी जनसंख्या के अनुसार ही आरक्षण देने का प्रावधान है। श्री बघेल ने कहा कि आरक्षण के मामले में जिला एवं संभाग संवर्ग में निश्चित रूप से रोस्टर लागू होगा। जिन स्थानों पर सामान्य वर्ग की जनसंख्या ज्यादा है, वहां पर संभाग/जिला संवर्ग में ईडब्ल्यूएस को जनसंख्या के अनुपात में अधिकतम 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण विधेयक की जितनी चिन्ता हम सब को है उतनी ही राज्यपाल महोदया को है, वे कह चुकी हैं कि उनके सामने विधायक आते ही वे तत्काल दस्तखत करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विधेयक पारित होते ही वे मंत्रियों सहित राजभवन जाएंगे और आज ही राज्यपाल महोदया से दस्तखत करने का आग्रह करेंगे।
मुख्यमंत्री ने सभी दलों से आग्रह किया कि सभी दल दलगत भावना से उपर उठकर छत्तीसगढ़ की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलकर छत्तीसगढ़ में आरक्षण के नए प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास किया जाए।

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