छत्तीसगढ़ गठन के बाद जिले की राजनीति की तस्वीर और तासीर दोनो बदली और धर्मनगरी के नाम से विख्यात कबीरधाम की राजनीति झन्डा – डंडा और जातिवाद के इर्दगिर्द घूमने लगी। जातिवाद के सहारे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने वालो को जनता जनार्दन ने एक बार पटखनी दे जरूर उनको आसमान से धरातल पर ला कर पटका है । जिनमे प्रमुखतः आजादी के बाद के राजा योगीराज , डॉ सियाराम साहू , मोतीराम चन्द्रवंशी , अशोक साहू, लालजी चन्द्रवंशी के साथ साथ प्रदेश में सरकार की 15 बरस लगाम थामने वाले डॉक्टर रमन सिंह का नाम लिया जा सकता है । जातिवाद का दम्भ भरने वाले तेली , कुर्मी और पटेलों के गढ़ में अकबर की साठ हजारी जीत ने जरूर जातिवाद का राग आलापने वालो के मुंह मे करारा तमाचा मारा है ।
चुनाव की नजदीक आती तारीख के चलते राजनीति में उठापटक का खेल चालू हो चुका है कुर्सी दौड़ चालू है । अबकी बार 75 पार का नारा देते भाजपाई जी तोड़ मेहनत कर कार्यकर्ताओ को चार्ज कर रहे है । जिले की दोनो विधानसभा सीटों में कांग्रेस का कब्जा है । कवर्धा विधान सभा सीट से कांग्रेस के मो. अकबर की उम्मीदवारी तय है किन्तु पंडरिया में ममता से कार्यकर्ताओ की नाराजगी के चलते 5 दर्जन से ज्यादा लोग टिकट की दौड़ में शामिल है । वही भाजपा में अकबर के खिलाफ कोई आवेदन नही दे पा रहे वरन भाजापा की जिम्मेदार कोर कमेटी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन को अकबर के खिलाफ खड़े करने का प्रस्ताव दे पार्टी की इज्जत बचाने में लगे है । हालांकि डॉ रमन का राजनांदगांव से लड़ना तय माना जा रहा है बावजूद इसके कवर्धा से उनके नाम का प्रस्ताव अकबर के खिलाफ देना जिला भाजपा की खास रणनीति होगी उन्हें मालूम है डॉ साहब राजनांदगांव से लड़ने वाले है फिर कवर्धा से उनके नाम का शिगूफा जरूर चर्चा का विषय बना हुआ है । जिले की भाजपाई राजनीति में टिकट डॉ साहब के इशारे पर ही मिलनी है तो उनके नाम का प्रस्ताव दे सब उन्हें खुश रखने प्रयास रत है । हांलाकि साहू समाज व कुर्मी समाज के कई नेता जाति की नाव में सवार हो अपनी दावेदारी को ले ताल ठोक रहे ” हमे नही तो सोच लो ” की धमकी वाली बयार चल रही है । भले ही जिले की राजनीति में जातिगत आंकड़ो को ले टिकट के लिए ताल ठोकी जा रही हो किन्तु पिछले परिणाम बताते है कि विधानसभा और लोकसभा में साहू उम्मीदवार देने के बावजूद कवर्धा विधानसभा सीट से साठ हजारी हार का तमगा जरूर जातिवाद के झंडाबरदारों को जरूर मिला । इसी तरह कांग्रेस द्वारा लोकसभा में साहू उम्मीदवार देने के बावजूद शर्मनाक हार साहू समाज के एकता के दावों की पोल खोल दी विधानसभा व लोकसभा में साहू उम्मीदवरों की हार जातिगत आधार पर टिकट मांगने वालों के लिए जरूर सबक है । जब जातिगत मुंडी गिना टिकट मांगी जाती है तो हार भी पार्टीगत न मान कर जातिगत हार मानी जानी चाहिए । कुर्मी समाज भी चंद्रवंशी व चन्द्राकर समाज मे बंटा हुआ है तो चंद्रवंशी समाज गौंटिया और किसान की खींचतान में फंसा दिखता है । गौंटिया और किसान के खींचतान के फेर में बेमेतरा में राजनीतिक कलाबाजी दिखाती ममता पैराशूट लैंडिंग कर चन्द्राकर होने के बावजूद चन्द्रवंशियों को पटखनी दे देती है ।
भाजपा कांग्रेस के बाद अबके बरस आप पार्टी की भी कबीरधाम जिले की राजनीति में धमाकेदार इंट्री होनी है । लोहारा राज परिवार से रानी आकांक्षा सिंह लंबे समय से आप मे सक्रिय है और राजा खड़गराज सिंह भी अचानक गोंडवाना को छोड़ आप मे शामिल हो जिले की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है । जो आदिवासी वोट के सहारे अपनी राजनीतिक पारी में लंबी छलांग लगाने कमर कस रहे है देखने वाली बात होगी कि वनांचल क्षेत्र और लोहारा क्षेत्र में राजपरिवार के प्रभाव वाले क्षेत्र में खड़गराज की उम्मीदद्वारी क्या गुल खिलाती है उनका मैदान में उतरना भाजपा कांग्रेस में से किसको सत्ता से दूर करता है यह तो आने वाला समय बताएगा किन्तु खड़गराज के आप मे आने से आप को अपने वोट प्रतिशत बढ़ाने में जरूर फायदा होगा ।
बहरहाल राजनीति की इस उठा पटक के बीच अब भूले बिसरे कार्यकर्ताओ की भी याद आने लगी है जिनकी अब बारातियो सरीखी पूछ परख भी बढ़ेगी ।
और अंत में :-
साफ दामन का दौर अब खत्म हुआ
लोग अपने धब्बों पर गुरुर करने लगे