आओ बच्चो तुम्हे सुनाए कहानी कबीरधाम की
चमचे रूपी धरती के भगवान की
इन चमचों को नमन करो
जो भैया जी कह कह कर
अफसरों को चमकाते रह रह कर
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
ये हैं अपना चमचा आला
नाज़ इसे चमचागिरी पे
इसने सारा जीवन काटा
झूठ और लबारी पे
चापलूसी के गुणों से भरा
पला है चाटुकारिता के नारों पे
कूद पडे थे जहां दर्जनों चाटुकार
नेता के द्वारे पे
बोल रहा है जर्रा जर्रा चमचा जी के भ्रष्टाचार की कहानी को
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
देखो ये कार्यालय
जहां अध्यक्ष की नीयत डोली थी
जनता की ताकत को जिसने
कमीशन पे तोला था
हर गली पे गड्ढे
हर नाली जाम थी
बोली कमीशन की
हर चमचा बोला था
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
गुरुनाला ये देखो
यहीं लगी थी भ्रष्टाचार की बोलियां
ये मत पूछो किसने किसने खेली
यहाँ कमीशन की होलियां
एक तरफ़ जेसीबी की दन दन
एक तरफ़ थी ट्रेक्टर की ट्रालियां
चमचे बोल रहे थे
कमीशन की बोलियां
यहां लगा दी थी चमचों ने
बाजी अपनी ईमान की
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
ये देखो दफ्तर
यहां का हर चप्पा कमीशन वाला है
यहां का हर नेता
अपने कमीशन पे मरने वाला है
ढाला है इनको चमचागिरी ने
कमीशन ने पाला है
मुट्ठी में नोट बंधा है और
प्राण में और मिलने चाह है
कर्मभूमि है यही हमारे वीर नेता महान की
इस दफ्तर की सेल्फी लो
ये दफ्तर है जन ना(ला)यकों का
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
दफ्तर में बंटवारा करता घपलेबाज विराट है
नेता के चरणों को धोता लबरो का सम्राट है
संकरी का तट ये देखो , गंगा का जैसे ये घाट है
बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये पानी मे डूबी सड़के ,
जनता आह भरे रह रह कर
अपनी किस्मत कोसे जी भरकर
लंबी है गाथा इनके झूठे गौरव की अभिमान की
नमन ऐसे धरती के भगवान की
भ्रष्टाचारम जयते भ्रष्टाचारम जयते
#जय_हो 17 अगस्त 2024 कवर्धा (छत्तीसगढ़)