
झण्डाकाण्ड के बाद से राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे कबीरधाम में जब जब चुनाव आता है तब तब जातिवाद का भंवर उछाल मारता है कभी कभी जातिवाद के इस भंवर जाल में लोकतंत्र भी डूबने लगता है । आचार संहिता लगते ही राजनीति से आचरण संहिता गायब होने लगती है ।
कबीरधाम जिले की राजनीति में जातिवाद का प्रवेश साफ साफ दिखता है । पद व टिकट तक योग्यता को दरकिनार कर जातिगत समीकरणों को आधार बना कर मांगी जाती है, भले ही जातीय समीकरण वोट में तब्दील ना हो पाए पर राजनीति में जातिवाद का झंडा जरूर बुलंद किया जाता है ।
झण्डाकाण्ड के बाद जिले में जातीवाद के झंडाबरदार नेताओ के सपनो में कुठाराघात हुआ और विधायक व सांसद पिछड़े व अल्पसंख्यक नेता को पटखनी दे सामान्य वर्ग से जीत कर आये है और मुस्लिम व पिछड़े वर्ग के नेताओ को हार का सामना करना पड़ा है । राजनीति में जातिवाद के हावी होने के चलते अब धर्म का राजनीति में प्रवेश ना हो इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में अगर राजनीति में धर्म व जातिवाद का चक्कर जब गोल गोल जलेबी की तरह घूमने लगे तो कभी कभी नया ही ट्विस्ट भी देखने को मिलता है। कुछ ऐसी ही बानगी इन दिनों कबीरधाम की राजनीति में दिखाई देने लगी है ।
शहर सरकार और गांव की सरकार चुनने के दौर में जिले की भाजपाई राजनीति जातीय संतुलन बना तेली कूर्मि पटेल को साधने प्रयासरत है । राजनैतिक गलियारों के सूत्र बताते है है विधायक और सांसद सामान्य वर्ग से ब्राह्मणों के चुने जाने के बाद से जिला पंचायत अध्यक्ष सामान्य होने के बावजूद पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जाकर पिछडो को साधने की कवायद की जा रही है । चर्चाओं और सूत्र की बातों में दम है तो जिला भाजपा अध्यक्ष चंद्रवंशी समाज से बनाकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद साहू समाज के पाले में जा सकता है ऐसे में नगरपालिका अध्यक्ष पद पर पिछड़े वर्ग से कौशिक , चंद्रवंशी या जायसवाल की दावेदारी से रोचक हो गया है । चर्चा है कि गौ सेवा आयोग में विशेषर पटेल की ताजपोशी से पटेल समाज को संतुष्ट कर जिला भाजपा अध्यक्ष पद पर राजेंद्र चंद्रवंशी या श्रीमती देवकुमारी चंद्रवंशी की ताजपोशी के जरिये कुर्मी समाज को साधने की कोशिश है ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर साहू समाज से डॉ सियाराम साहू , सीताराम साहू , शिवकुमार साहू किसी की ताजपोशी कर साहू समाज की नाराजगी को दूर करने के प्रयास होंगे । ऐसे में साहू , कुर्मी और पटेल समाज के बाद नगरपालिका में पिछड़े वर्ग से पवन जायसवाल और चंद्रप्रकाश चंदवंशी के साथ साथ मनहरण कौशिक में से किसी एक को मौका दिया जा सकता है ।
बहरहाल राजनीति कब कौन रंक बन जाय कौन राजा बन जाय नही कहा जा सकता । सत्ता के साथ चलने वाले नेता चुनावी मौसम देख कर जरूर फुदकने व टरर्राने लगे है ।
चलते चलते तीन सवाल :-
(1) गांजा की जड़ तक पहुंचने वाली टीम को लेकर 4 पेटी का हल्ला और ओडीसा जाने वाले खाखी वर्दीधारियों की नेपाल यात्रा का क्या है राज ?
(2) अधिक कमाई का लालच दे ठगी करने वाले से बिलासपुर जा 10 पेटी की हुई है वसूली या ये भी है कोरी अफवाह ?
(3) पत्रकार के वसूली सम्बंधित एसपी से सवाल पूछने के बाद आखिर क्यों हटाये गए क्राइम ब्रान्च प्रभारी ? क्या सवाल थे सच जिसकी वजह से गिरी है कंसारी पर गाज ?
और अंत में:-
आज की राजनीति पर ये लाइने सटीक बैठती है :-
मेरे शहर में सिरफिरों की कमी नहीं,
राजनीति के बाजार में दलालों की कमी नहीं ।
बना रखा है मजाक राजनीति की परिभाषा का,
चुनाव देखते ही लार टपकाने वालों की कमी नहीं।।
#जय_हो 13 जनवरी 25 कवर्धा (छत्तीसगढ़)